राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की धमकी के बाद भारत क्लोरोक्वीन के निर्यात के दिये संकेत
By शीलेष शर्मा | Published: April 7, 2020 06:24 PM2020-04-07T18:24:22+5:302020-04-07T18:24:22+5:30
दरअसल मलेरिया /टीबी के उपचार में प्रयोग की जाने वाली दवा क्लोरो क्वीन (कुनैन) को लेकर पहला प्रयोग कॅरोना मरीज़ों पर जयपुर के सरकारी अस्पताल के डॉक्टरों ने किया और तीन इटैलियन नागरिकों को कॅरोना की तांडव लीला से बाहर निकाला लेकिन अब अमेरिका में बहस के साथ साथ कोहराम मचा हुआ है।
नयी दिल्ली: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की इस धमकी के बाद कि भारत क्लोरो क्वीन (कुनैन ) के निर्यात पर लगे प्रतिबंध को हटाये नहीं तो ज़वाबी कार्यवाही होगी ने भारत सरकार को कुनैन अमेरिका को निर्यात करने के लिये मज़बूर कर दिया है ,सूत्रों का कहना है जल्दी ही भारत सरकार अमेरिका सहित कुछ अन्य देशों को कुनैन की सप्लाई शुरू करेगा।
सरकार की मंशा को भांपते हुये कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गाँधी ने ट्वीट किया " मित्रों में प्रतिशोध की भावना ? भारत को सभी देशों की सहायता के लिये तैयार रहना चाहिये लेकिन सबसे पहले जान बचाने की सभी दबाइयाँ और उपकरण अपने देश के कोने कोने तक पहुंचना अनिवार्य है ".
दरअसल मलेरिया /टीबी के उपचार में प्रयोग की जाने वाली दवा क्लोरो क्वीन (कुनैन) को लेकर पहला प्रयोग कॅरोना मरीज़ों पर जयपुर के सरकारी अस्पताल के डॉक्टरों ने किया और तीन इटैलियन नागरिकों को कॅरोना की तांडव लीला से बाहर निकाला लेकिन अब अमेरिका में बहस के साथ साथ कोहराम मचा हुआ है।
इस दवा को कोरोना पर नियंत्रण पाने के लिये उपयोग किया जाये या नहीं यह सवाल वैज्ञानिकों ,राष्ट्रपति ट्रम्प उनके अधिकारीयों और इलाज कर रहे डॉक्टरों के बीच हो रही बहस से गहरे मतभेदपैदा हो गये हैं, बाबजूद इसके राष्ट्रपति ट्रम्प इस बात पर अड़े हैं कि हाइड्रो क्सीचिओरो क्वीन/क्लोरोक्वीन ( कुनैन ) का प्रयोग कॅरोना महामारी पर अंकुश लगाने के लिये किया जाये ,चूँकि भारत क्लोरोक्वीन दवा का सबसे अधिक उत्पादन करने वाला देश है और उसने इस दवा के निर्यात पर रोक लगा रखी है।
इसी कारण ट्रम्प को जबावी कार्यवाही की धमकी पड़ी और धमकी के बाद विदेश मंत्रालय ने बयान ज़ारी किया कि पड़ौसी देशों और महामारी का जहाँ बड़े पैमाने पर आघात हो रहा है ,मानवीय आधार पर भारत मदद करेगा।
भारत ने सीधे सीधे तो ट्रम्प की धमकी के दवाव में आने की बात नहीं स्वीकारी लेकिन परोक्ष संकेत यही थे कि भारत झुक कर दवा भेजने को तैयार है।
अमेरिका में क्लोरोक्वीन को लेकर मतभेद तब सामने आये जब राष्ट्रपति ट्रम्प के विपरीत नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ़ एलर्जी एवं संक्रमण बीमारियों के निदेशक डॉक्टर एंथोनी फॉसी ने चेतावनी के साथ वयान दिया कि इस बात का कोई ठोस प्रमाण नहीं है कि क्लोरोक्वीन कोरोना मरीज़ों पर कोई असर करेगी। उन्होंने यहाँ तक कह डाला कि परिक्षण के बाद ही यह प्रमाणित होगा कि क्लोरोक्वीन कॅरोना पर असर डाल रही है ,उससे पहले यह हवाई बातें हैं। डॉक्टर एंथोनी के समर्थन में अनेक दवा अनुसंधान कर्ताओं ने क्लोरोक्वीन के प्रतिकूल प्रभावों की ओर इशारा किया है जिससे वहां यह बहस गहराती जा रही है।