नई दिल्ली: अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में भारत अब दुनिया के बड़े खिलाड़ियों में से एक है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान (इसरो) ने चंद्रयान-3 की चांद के दक्षिणी ध्रुव पर सफल लैंडिंग और फिर सूर्य़ के अध्ययन के लिए आदित्य एल-1 की सफल लॉन्चिंग से पूरी दुनिया को अपना लोहा मनवाया है। अब भारत में अंतरिक्ष के क्षेत्र में काम करने वाले स्टार्टअप्स की संख्या भी बढ़ रही है।
केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा है कि 2014 में भारत में केवल चार अंतरिक्ष स्टार्टअप थे और 2023 में यह संख्या बढ़कर 150 से अधिक हो गई है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में, देश की अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था का मूल्य 8 अरब अमेरिकी डॉलर है और इसके साल 2040 तक 40 अरब डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है।
जितेंद्र सिंह ने बताया कि 2014 में, देश में 350 स्टार्टअप थे लेकिन आज हमारे पास 1.25 लाख से अधिक स्टार्टअप और 130 यूनिकॉर्न हैं। सिंह ने एमिटी यूनिवर्सिटी में जी20 के तत्वावधान में एस20 सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए कहा कि 1.25 लाख स्टार्टअप में से 6,000 यूनिकॉर्न क्षेत्र में हैं, जिसने देश में नवाचार के परिदृश्य को बदल दिया है। उन्होंने कहा कि 2014 में देश में केवल चार अंतरिक्ष स्टार्टअप थे, जबकि 2023 में 150 से अधिक स्टार्टअप हैं। हमारी अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था वर्तमान में 8 बिलियन अमेरिकी डॉलर है और 2040 तक इसके 40 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है।
क्या हैं इसरो के अगले अभियान
चंद्रयान-3 और आदित्य एल-1 के बाद । इसरो अब अंतरिक्ष की समझ को और बढ़ाने के लिए अन्य परियोजना पर काम कर रहा है। इसके लिए एक्पोसैट मिशन अंतरिक्ष में भेजा जाएगा। एक्पोसैट (एक्सर रे पोलारिमीटर सैटेलाइट) भारत का पहला समर्पित पोलारिमेट्री मिशन है जो कठिन परिस्थितियों मे भी चमकीले खगोलीय एक्सरे स्रोतों के विभिन्न आयामों का अध्ययन करेगा। इसके लिए पृथ्वी की निचली कक्षा में अंतरिक्ष यान भेजा जाएगा जिसमें दो वैज्ञानिक अध्ययन उपकरण (पेलोड) लगे होंगे।
इसके बाद गगनयान की अक्टूबर में पहली परीक्षण उड़ान होने वाली है। गगनयान मिशन के तहत ISRO अंतरिक्षयात्रियों को पृथ्वी से 400 किमी ऊपर अंतरिक्ष में यात्रा कराएगा। इसरो की योजना साल 2024 तक अंतरिक्ष में मानव मिशन भेजने की है। केंद्र सरकार ने पिछले साल ही गगनयान प्रोजेक्ट के लिए 10 हजार करोड़ रुपए जारी किए थे।
इसके अलावा इसरो नासा के साथ मिलकर भी एक प्रोजेक्ट पर काम कर रहा है। नासा-इसरो सिंथेटिक एपर्चर रडार (निसार) नासा और इसरो के बीच एक संयुक्त परियोजना है। इसे दोहरे आवृत्ति वाले सिंथेटिक एपर्चर रडार उपग्रह के साथ सह-विकसित और लॉन्च किया जाएगा जिसका उपयोग रिमोट सेंसिंग के लिए किया जाएगा।