अभिषेक कुमार सिंह का ब्लॉग: अंतरिक्ष के दरवाजे पर नई दस्तक

By अभिषेक कुमार सिंह | Published: May 24, 2024 10:05 AM2024-05-24T10:05:16+5:302024-05-24T10:06:36+5:30

भारतीय मूल के अन्य अंतरिक्ष यात्री कल्पना चावला, सुनीता विलियम्स, राजा चारी और न्यू शेपर्ड के पहले मिशन से अंतरिक्ष जाने वाली सिरीशा बांदला अमेरिकी पासपोर्ट धारक थे जो पेशेवर अंतरिक्ष यात्री के रूप में स्पेस में गए थे.

New knock on the door of space | अभिषेक कुमार सिंह का ब्लॉग: अंतरिक्ष के दरवाजे पर नई दस्तक

अभिषेक कुमार सिंह का ब्लॉग: अंतरिक्ष के दरवाजे पर नई दस्तक

Highlightsथोटाकुरा की उपलब्धि और अरबपति जेफ बेजोस की कंपनी ब्लू ओरिजन का मिशन न्यू शेपर्ड चर्चा में है.दिसंबर 2015 में ‘स्पेसएक्स’ ने अमेरिका के कैप कैनावेरल एयरफोर्स स्टेशन से फाल्कन-9 नाम के रॉकेट से 11 सैटेलाइट्स एक साथ लॉन्च किए थे. अंतरिक्ष की सैर इतनी सस्ती नहीं हुई है कि कोई शख्स किसी विमान यात्रा जितने खर्च में अंतरिक्ष का भ्रमण कर ले.

धरती के ओर-छोर को नाप चुके इंसान के लिए अंतरिक्ष की सैर करना सबसे हालिया उपलब्धि है जिसका सपना वह सदियों से देखता रहा है. हालांकि पर्यटक के रूप में पहले ही मनुष्य अंतरिक्ष में दस्तक दे चुका है, लेकिन एक भारतीय पर्यटक गोपी थोटाकुरा ने इस दहलीज पर पहुंचकर हमें भी गौरवान्वित होने का एक अवसर दिया है. थोटाकुरा की उपलब्धि और अरबपति जेफ बेजोस की कंपनी ब्लू ओरिजन का मिशन न्यू शेपर्ड चर्चा में है.

हमारी नजर में स्पेस कंपनी- ब्लू ओरिजन की सातवीं मानव उड़ान की सबसे उल्लेखनीय उपलब्धि यही है कि विंग कमांडर राकेश शर्मा के बाद दूसरे भारतीय ने अंतरिक्ष के आंगन में कदम रखा है. न्यू शेपर्ड-25 (एनएस-25) मिशन से 19 मई 2024 को पांच अन्य पर्यटकों के साथ अंतरिक्ष में पहुंचे भारत के विजयवाड़ा (आंध्र प्रदेश) में जन्मे गोपी थोटाकुरा आधिकारिक तौर पर दूसरे भारतीय अंतरिक्ष यात्री कहे जा रहे हैं. 

हालांकि दोनों में अंतर यह है कि गोपी थोटाकुरा एक निजी कंपनी के सहयोग से पर्यटक के रूप में अंतरिक्ष में पहुंचे, जबकि विंग कमांडर राकेश शर्मा सोवियत इंटर कॉसमॉस कार्यक्रम के तहत सरकारी मिशन पर सोयूज टी-11 से यही करिश्मा काफी पहले 3 अप्रैल, 1984 को कर चुके थे. 

इन दोनों के अलावा भारतीय मूल के अन्य अंतरिक्ष यात्री कल्पना चावला, सुनीता विलियम्स, राजा चारी और न्यू शेपर्ड के पहले मिशन से अंतरिक्ष जाने वाली सिरीशा बांदला अमेरिकी पासपोर्ट धारक थे जो पेशेवर अंतरिक्ष यात्री के रूप में स्पेस में गए थे.

अंतरिक्ष पर्यटन की कल्पना को निजी तौर पर साकार करने का काम मोटे तौर पर 1995 में शुरू हुआ था, जब कुछ उद्योगपतियों ने इस बारे में एक प्रतियोगिता आरंभ की थी.  दिसंबर 2015 में ‘स्पेसएक्स’ ने अमेरिका के कैप कैनावेरल एयरफोर्स स्टेशन से फाल्कन-9 नाम के रॉकेट से 11 सैटेलाइट्स एक साथ लॉन्च किए थे. 

फाल्कन-9 ने न केवल सभी सैटेलाइट्स को पृथ्वी से 200 किलोमीटर ऊपर उनकी कक्षा (ऑर्बिट) में सही-सलामत छोड़ा, बल्कि धरती पर सुरक्षित वापसी भी की. इससे यह भी साबित हुआ कि फाल्कन-9 का बार-बार इस्तेमाल हो सकता है. 

रॉकेट का कई बार इस्तेमाल होना इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि इससे किसी यान को अंतरिक्ष में छोड़ने वाले नए रॉकेट के निर्माण पर होने वाले लाखों डॉलर का खर्च बच जाता है और इस तरह अंतरिक्ष यात्रा की लागत कम हो जाती है.

हालांकि अंतरिक्ष की सैर इतनी सस्ती नहीं हुई है कि कोई शख्स किसी विमान यात्रा जितने खर्च में अंतरिक्ष का भ्रमण कर ले. अभी भी इस यात्रा के लिए अरबों रुपए प्रति यात्री का खर्च है. 

ऐसे में एक प्रश्न यह है कि आखिर निजी कंपनियां इस काम में इतनी रुचि क्यों ले रही हैं. इसका जवाब है अंतरिक्ष पर्यटन से होने वाली कमाई. स्विट्जरलैंड के एक बैंक यूबीएस का अनुमान है कि 2030 तक अंतरिक्ष पर्यटन का बाजार तीन अरब डॉलर यानी दो खरब से भी ज्यादा रुपयों का हो जाएगा.

Web Title: New knock on the door of space

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