संविधान की धारा 370 को निष्प्रभावी करके जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा समाप्त करने के भारत को बड़ी कूटनीतिक विजय मिली है, क्योंकि पाकिस्तान का साथ चीन समेत किसी भी देश ने नहीं दिया है. लेकिन, अंतर्राष्ट्रीय संस्थान घाटी के मुख्यधारा के नेताओं को कैद करने और इंटरनेट-फोन सेवाओं समेत सभी तरह के संवाद पर रोक लगाने को लेकर सवाल खड़े कर रहे हैं.
इसे बेअसर करने के लिए सरकार ने संवाद सेवाएं बहाल करने का निर्णय किया है, पर वह सोशल मीडिया और अन्य माध्यमों पर निगरानी रखेगी, जिससे देशविरोधी तत्व अफवाह न फैला पाएं, अंतर्राष्ट्रीय बिरादरी से मिले समर्थन का ही असर है कि भारत ने पाकिस्तान के उकसावे भरे कृत्यों पर सख्त प्रतिक्रि या नहीं दी.
पाकिस्तान के कूटनीतिक संबंध तोड़ने पर भी भारत ने पलटवार नहीं किया है. भारत नहीं चाहता है कि वह पाक के जाल में फंसे और सख्त प्रतिक्रि या देकर उसे अंतर्राष्ट्रीय बिरादरी को यह दिखाने का अवसर प्रदान करे कि दोनों देशों के द्विपक्षीय रिश्ते खराब हो गए हैं. इसी नीति के तहत ही विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने अनुरोध किया कि पाकिस्तान कूटनीतिक संबंध तोड़ने के फैसले पर पुनर्विचार करे.
जम्मू-कश्मीर हमारा आंतरिक मामला है. विदेश मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा कि इस मामले का कुलभूषध जाधव केस और करतारपुर कॉरिडोर पर असर नहीं होगा. करतारपुर कॉरीडोर पर कल ही पाकिस्तान साफ कर चुका है कि वह काम नहीं रोकेगा. जाधव के केस में वन काउंसलर पहुंच देने पर बाध्य है.