नई दिल्ली: भारतीय रेलवे के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ है जब उसे ट्रेन की देरी से पहुंचने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने मुआवजा देने का आदेश दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने रेलवे को उस शख्स को 30 हजार मुआवजा देने का निर्देश दिया है जिसकी जम्मू से श्रीनगर की फ्लाइट ट्रेन के देर होने से छूट गई। शख्स अजमेर-जम्मू एक्सप्रेस से चार घंटे देर से पहुंचा था जिसके कारण उसकी फ्लाइट छूट गई।
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार जस्टिस एम आ शाह और अनिरुद्ध बोस ने मामले में फैसला सुनाते हुए कहा कि अगर रेलवे ये नहीं बता सकता कि ट्रेन अपने गंतव्य पर लेट से क्यों पहुंची और यात्रियों को इसस परेशानी हुई तो शिकायत पर उन्हें मुआवजा दिया जाना चाहिए।
कोर्ट ने जिला, राज्य और नेशनल कंज्यूमर फोरम के आदेश को बरकरार रखते हुए रेलवे को 30 हजार का जुर्माना देना का आदेश दिया।
क्या है पूरा मामला
संजय शुक्ला परिवार के साथ यात्रा कर रहे थे और दोपहर 12 बजे उनकी श्रीनगर के लिए जम्मू से फ्लाइट थी। हालांकि, ट्रेन जम्मू स्टेशन निर्धारित समय से 4 घंटे देर से पहुंची। इसके बाद परिवार समय से जम्मू एयरपोर्ट नहीं पहुंच सका। ये 11 जून 2016 की बात है।
इसके बाद परिवार को टैक्सी से जम्मू से श्रीनगर 15 हजार रुपये देकर जाना पड़ा। साथ ही श्रीनगर में रहने के लिए 10 हजार खर्च करने पड़े।
इसके मामले पर अलवर कंज्यूमर फोरम ने रेलवे को मुआवजे के तौर पर 30 हजार रुपये संजय शुक्ला को देने का फरमान सुनाया। इसमें 5 हजार रुपये मानसिक तौर पर हुई परेशानी के लिए थे।
पिछले महीने भी सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (एनसीडीआरसी) के एक आदेश के खिलाफ केंद्र सरकार द्वारा दायर याचिका पर एक बयान जारी किया था। इसमें ट्रेनों के देरी से आने के कारण अपनी उड़ान से चूकने वाले यात्रियों को 40,000 रुपये का मुआवजा देने की बात कही गई थी।
जस्टिस केएम जोसेफ और जस्टिस रवींद्र भट की बेंच ने नोटिस जारी करते हुए कहा था कि भारतीय रेलवे (आईआर) लंबी दूरी की देरी का अनुमान लगा सकता था और यात्रियों को इसकी सूचना पहले दे सकता था।