आईएनएस विक्रांत मिलने से नौसेना की कितनी बढ़ेगी ताकत, देश के पहले स्वेदशी एयरक्राफ्ट कैरियर की क्या है खासियत, जानिए सब कुछ

By मेघना सचदेवा | Published: July 30, 2022 01:26 PM2022-07-30T13:26:45+5:302022-07-30T13:26:45+5:30

28 जुलाई को कोचीन शिपयार्ड ने आईएनएस विक्रांत भारतीय नौसेना को सौंप दिया है। जल्द ही इसे नौसेना के बेड़े में शामिल किया जाएगा। जिसके बाद भारतीय नौसेना की समुद्री ताकत काफी बढ़ जाएगी ।

Indian navy takes delievry of INS Vikrant, first indigenous aircraft carrier of India, know everything about it | आईएनएस विक्रांत मिलने से नौसेना की कितनी बढ़ेगी ताकत, देश के पहले स्वेदशी एयरक्राफ्ट कैरियर की क्या है खासियत, जानिए सब कुछ

आईएनएस विक्रांत मिलने से नौसेना की कितनी बढ़ेगी ताकत, देश के पहले स्वेदशी एयरक्राफ्ट कैरियर की क्या है खासियत, जानिए सब कुछ

Highlights28 जुलाई को कोचीन शिपयार्ड ने आईएनएस विक्रांत भारतीय नौसेना को सौंप दिया है। आईएनएस विक्रांत भारत का पहला स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर है।इस एयरक्राफ्ट कैरियर को 76 फीसदी स्वदेशी उपकरणों के साथ तैयार किया गया है।

नई दिल्लीः भारत ने देश का सबसे बड़ा स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर तैयार कर लिया है। 28 जुलाई को कोचीन शिपयार्ड ने आईएनएस विक्रांत भारतीय नौसेना को सौंप दिया। जल्द ही इसे जल्द ही नौसेना के बेड़े में शामिल किया जाएगा । जिसके बाद भारतीय नौसेना की समुद्री ताकत काफी बढ़ जाएगी। इस एयरक्राफ्ट कैरियर की क्या खासियत है। इसे बनाने में कितना वक्त लगा। कितने देशों के पास स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर है? आईए जानते हैं सब कुछ ः

आईएनएस विक्रांत भारत के लिए क्यों है खास ?

28 जुलाई को भारतीय नौसेना को और ज्यादा मजबूती मिल गई। नौसेना के बेड़े में आईएनएस विक्रांत को शामिल किया जाएगा। भारत 2022 में आजादी के 75 साल मना रहा है। साथ ही देश सन् 1971 में पाकिस्‍तान पर मिली जीत के 50 साल पूरे होने का जश्‍न मना रहा है। इस मौके पर आईएनएस विक्रांत का नौसेना के बेड़े में शामिल होना देश के लिए गर्व की बात है। आईएनएस विक्रांत भारत का पहला स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर है। कहा जा रहा है जल्द ही आईएनएस विक्रांत को भी कमीशनड कर दिया जाएगा। 2009 में इसका काम शुरू किया गया था। कई बार जटिल परिक्षणों और अड़चनों के बाद जाकर इसे तैयार किया गया है।

खास बात ये है कि इस एयरक्राफ्ट कैरियर को 76 फीसदी स्वदेशी उपकरणों के साथ तैयार किया गया है। कई भारतीय कंपनियों ने मिलकर इसे तैयार किया है। 1971 में पाकिस्‍तान पर मिली जीत में उस वक्त इंडियन नेवी के एयरक्राफ्ट कैरियर विक्रांत ने बड़ी भूमिका अदा की थी। इसलिए भारत के स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर का नाम विक्रांत रखा गया। इस गौरवशाली पल का जिक्र करते हुए नौसेना की तरफ से बताया गया है कि इस एयरक्राफ्ट के साथ ही भारत अब उन चुनिंदा देशों के ग्रुप में शामिल हो गया है जिनके पास एक एयरक्राफ्ट कैरियर को डिजाइन, तैयार करने और उसे पानी में उतारने की क्षमता है। 

भारत के स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर की विशेषता

आईएनएस विक्रांत एक मॉर्डन एयरक्राफ्ट कैरियर है। इसका निर्माण कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड में किया गया है। इस एयरक्राफ्ट का वजन करीब 40000 मीट्रिक टन है। जहाज की लंबाई करीब 260 मीटर और इसकी अधिकतम चौड़ाई 60 मीटर है। इसमें 37500 टन का रैम्‍प लगाया गया है। यह पोत एक साथ 30 फाइटर प्लेन को अपने साथ ले जाने में सक्षम है।

बता दें कि जहाज कुल 88 मेगावाट बिजली की चार गैस टर्बाइनों द्वारा संचालित है और  इसकी अधिकतम स्पीड 28 नाटिकल मील है। जानकारी के मुताबिक इसको बनाने में लगभग 20 हजार करोड़ रुपये की लागत आई है। इस एयरक्राफ्ट कैरियर पर स्ट्राइक फोर्स की रेंज 1500 किलोमीटर है वहीं इसपर 64 बराक मिसाइलें लगी होंगी जो जमीन से हवा में मार करने में सक्षम हैं।

आईएनएस विक्रांत से मिग-29 और बाकी हल्के फाइटर जेट्स टेक ऑफ कर सकेंगे। करीब 30 जेट्स की स्‍क्‍वाड्रन को आईएनएस विक्रांत संभाल सकता है। इस एयरक्राफ्ट कैरियर पर मिग- 29 के अलावा 10 कामोव का 31 या वेस्टलैंड सी किंग हेलीकॉप्‍टर तैनात हो सकते हैं। बताया जा रहा है कि भारतीय स्टील अथॉरिटी ने इसमें बेहतरीन क्‍वालिटी की स्‍पेशल युद्धपोत स्टील का प्रयोग किया है। इससे नौसेना की समुद्री ताकत में इजाफा होगा। 

आईएनएस विक्रांत के नाम से खौफ में क्यों  है पाकिस्तान ?

1971 में भारत की पाक की जंग में आईएनएस विक्रांत ने पाक में जो खौफ पैदा किया था उसी का नतीजा है कि भारत ने अपने पहले स्वदेशी  एयरक्राफ्ट कैरियर का नाम भी आईएनएस विक्रांत रखा है। दरअसल उस वक्त इस्तेमाल किया गया आईएनएस विक्रांत ब्रिटेन की रॉयल नेवी से अधूरे कंस्ट्रक्शन के साथ खरीदा गया था। 1961 में इसका निर्माण पूरा हुआ और 4 मार्च को इसे सेवा में ले आया गया था। कहा जाता है कि 1971 में इंडो पाक वॉर में इस विमान वाहक पोत की वजह से ही पाकिस्तान के पसीने छूट गए थे। उस वक्त पाकिस्तान ने इसे नुकसान पंहुचाने की कोशिश की, पर नाकामयाब रहा। माना जा रहा है कि स्वदेशी आईएनएस विक्रांत भी दुश्मन देशों में खौफ पैदा करेगा ताकि वो भारत पर आक्रमण से पहले अंजाम की सोचें। 

एयरक्राफ्ट कैरियर्स क्यों है जरूरी ?

किसी भी देश की नौसेना के लिए एयरक्राफ्ट कैरियर्स जरूरी होते हैं। कहा जाता है कि एयरक्राफ्ट कैरियर्स आतंकी हमलों से बचाने के लिए काफी काम आते हैं। ये कैरियर्स महासागर में किसी भी जगह से फाइटर जेट्स या हेलीकॉप्‍टर्स को टेकऑफ करने और लैंड करने की जगह देते हैं जिससे सेना को एक्शन लेने में देरी नहीं होती। दूर दराज के इलाकों में किसी भी तरह की अनहोनी के बाद फौरन हेलीकॉप्‍टर्स टेकऑफ कर सकते हैं। ये समंदर में चलता फिरता द्वीप होते हैं।इसके अलावा ये फाइटर जेट्स को एक सही दूरी से दुश्‍मन की वॉरशिप पर हमला करने में सक्षम बनाते हैं।  

किस देश के पास है सबसे ज्यादा ताकतवर एयरक्राफ्ट कैरियर?

फुजियान टाइप 003 एयरक्राफ्ट कैरियर- चीन

जानकारी के मुताबिक चीन ने अपना तीसरा विमानवाहक पोत फुजियान लॉन्च कर दिया है, ये चीन का पहला स्वदेशी जहाज है। इसे पूरी तरह से देश के अंदर बनाया और डिजाइन किया गया है। चीन के पास अब तक दो एयरक्राफ्ट कैरियर थे जो भारत के दोनों एयरक्राफ्ट कैरियर से बड़े हैं हालांकि अब तीसरा एयरक्राफ्ट कैरियर भी लांच कर दिया गया है।

गेराल्ड आर फोर्ड क्लास- अमेरिका

अमेरिका के गेराल्ड आर फोर्ड क्लास के जंगी जहाज की बात की जाए तो ये अपने क्लास का पहला विमानवाहक पोत। इसे मई 2017 में कमीशन किया गया था। यह 337 मीटर लंबा है। इसकी बीम 748 मीटर की है। इसका फुल लोड डिस्प्लेसमेंट 1 लाख टन है। जबकि इसपर 78 मीटर चौड़ा फ्लाइट डेक है।

निमित्स क्लास- अमेरिका

वहीं अमेरिका के पास निमित्स क्लास भी है। ये परमाणु ईंधन से संचालित होने वाले एयरक्राफ्ट करियर्स हैं दुनिया के दूसरे सबसे बड़े विमानवाहक पोत हैं। 

क्वीन एलिजाबेथ क्लास एयरक्राफ्ट कैरियर

नौसेना द्वारा बनाया गया सबसे बड़ा जंगी जहाज क्वीन एलिजाबेथ क्लास एयरक्राफ्ट कैरियर जापान के यामातो क्लास युद्धपोत के बाद दूसरा गैर अमेरिकी सबसे बड़ा बैटलशिप है।

एडमिरल कुजनेतसोव- रूस

रूस का एडमिरल कुजनेतसोव सर्वश्रेष्ठ विमानवाहक पोत है। 305 मीटर लंबे इस पोत का बीम 72 मीटर का है इसका डिस्प्लेसमेंट 58500 टन है।

चार्ल्स दे गॉल का डिस्प्लेसमेंट-फ्रांस

फ्रांस का परमाणु ईंधन से चलने वाला चार्ल्स दे गॉल का डिस्प्लेसमेंट 36 हजार टन है। इसकी लंबाई 780 फीट और चौड़ाई 103 फीट है।

कितने देशों के पास एयरक्राफ्ट कैरियर बनाने की तकनीक है?

बता दें कि आईएनएस विक्रांत के तैयार होने के बाद भारत भी उन देशों में शामिल हो गया है जो स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर तैयार करने में सक्षम है। इनमें यूएस, रूस, फ्रांस और चीन शामिल हैं। आईएनएस विक्रांत भारत का दूसरा ऑपरेशनल एयरक्राफ्ट कैरियर होगा। फिलहाल भारत के पास आईएनएस विक्रमादित्य है जो कि रूस से लाया गया था। 

भारत के आईएनएस विक्रांत और विक्रमादित्य दोनों ही दुनिया के 10 सबसे बड़े एयरक्राफ्ट करियरर्स में शामिल हैं। 

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