भारत, चीन की सेनाओं ने पूर्वी लद्दाख के गोगरा में सैनिकों को पीछे हटाया, सभी अस्थायी ढांचे गिराये

By भाषा | Published: August 6, 2021 09:56 PM2021-08-06T21:56:22+5:302021-08-06T21:56:22+5:30

Indian, Chinese armies withdraw troops, demolish all temporary structures at Gogra in eastern Ladakh | भारत, चीन की सेनाओं ने पूर्वी लद्दाख के गोगरा में सैनिकों को पीछे हटाया, सभी अस्थायी ढांचे गिराये

भारत, चीन की सेनाओं ने पूर्वी लद्दाख के गोगरा में सैनिकों को पीछे हटाया, सभी अस्थायी ढांचे गिराये

नयी दिल्ली, छह अगस्त पूर्वी लद्दाख के गोगरा में करीब 15 महीनों तक आमने-सामने रहने के बाद भारत और चीन की सेनाओं ने अपने-अपने सैनिकों को पीछे हटाने की प्रक्रिया पूरी कर ली है तथा जमीनी स्थिति को गतिरोध-पूर्व अवधि के समान बहाल कर दिया है। क्षेत्र में शांति एवं स्थिरता बहाल करने की दिशा में यह एक कदम है।

थल सेना ने इस घटनाक्रम की घोषणा करते हुए कहा कि सैनिकों को पीछे हटाने की प्रक्रिया चार और पांच अगस्त को की गई तथा दोनों पक्षों द्वारा निर्मित सभी अस्थायी ढांचों और अन्य संबद्ध बुनियादी ढांचों को गिरा दिया गया है तथा परस्पर तरीके से उनका सत्यापन किया गया है।

गोगरा में सैनिकों को पीछे हटाने की प्रक्रिया दोनों पक्षों द्वारा पैंगोंग झील के उत्तरी और दक्षिणी तटों के इलाकों में इसी तरह का कार्य किये जाने के पांच महीने बाद की गई है, जहां उन्होंने टकराव वाले स्थानों से सैनिकों और हथियारों को हटाया था।

थल सेना ने कहा कि गश्त बिंदु (पेट्रोलिंग प्वाइंट)-17ए या गोगरा में सैनिकों को पीछे हटाने की प्रक्रिया 12 वें दौर की सैन्य वार्ता के नतीजों के अनुरूप की गई। यह वार्ता पूर्वी लद्दाख में चुशुल-मोल्दो मीटिंग प्वाइंट पर 31 जुलाई को हुई थी।

घटनाक्रम से अवगत लोगों ने बताया कि दोनों पक्षों ने पीपी-17 ए में एक बफर जोन बनाया है, जहां दोनों पक्षों द्वारा गश्त नहीं की जाएगी। सैन्य वार्ता के 12 वें दौर में दोनों पक्ष टकराव वाले शेष स्थानों पर लंबित मुद्दों का समाधान शीघ्रता से करने पर सहमत हुए थे।

थल सेना ने ‘पीपी-17ए पर सैनिकों को हटाया जाना’ शीर्षक वाले बयान में कहा है, ‘‘बैठक के नतीजे के रूप में, दोनों पक्ष गोगरा इलाके में सैनिकों को पीछे हटाने पर सहमत हुए। इस इलाके में सैनिक पिछले साल मई से आमने-सामने थे।’’

इसमें कहा गया है, ‘‘समझौते के मुताबिक, दोनों पक्षों ने इस इलाके में चरणबद्ध, समन्वित और सत्यापित तरीके से अग्रिम मोर्चे पर तैनातियों को रोका। सैनिकों को पीछे हटाने की प्रक्रिया दो दिनों में, चार और पांच अगस्त को, की गई।’’

थल सेना ने कहा कि दोनों पक्षों के सैनिक अब अपने-अपने स्थायी बेस में हैं।

थल सेना ने कहा, ‘‘इसके साथ ही, टकराव वाले एक और अधिक संवेदनशील इलाके का समाधान हो गया है। दोनों पक्षों ने वार्ता को आगे ले जाने और पश्चिमी सेक्टर में एलएसी पर शेष मुद्दों का समाधान करने की प्रतिबद्धता जताई है।’’

पूर्वी लद्दाख का उल्लेख सरकार पश्चिमी सेक्टर के रूप में करती है।

दोनों पक्षों ने गोगरा और हॉटस्प्रिंग्स में सैनिकों को आंशिक रूप से पीछे हटाया था। हालांकि, पैंगोंग सो इलाकों के दक्षिणी तट पर फिर से झड़पें होने के बाद यह प्रक्रिया पूरी नहीं की गई थी।

बयान में कहा गया है, ‘‘इलाके में दोनों पक्षों द्वारा निर्मित सभी अस्थायी ढांचों और अन्य संबद्ध बुनियादी ढांचों को नष्ट कर दिया गया है तथा परस्पर तरीके से उनका सत्यापन किया गया है। दोनों पक्षों ने इलाके में स्थलाकृति को गतिरोध-पूर्व स्थिति में बहाल कर दिया है। ’’

बयान में कहा गया है, ‘‘ सैनिकों को पीछे हटाने का समझौता यह सुनिश्चित करेगा कि गोगरा में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) का दोनों पक्षों द्वारा सख्ती से अनुपालन और सम्मान किया जाएगा, तथा यथास्थिति में एकतरफा तरीके से कोई बदलाव नहीं हो।’’

बयान में कहा गया है, ‘‘भारतीय थल सेना, आईटीबीपी (भारत तिब्बत सीमा पुलिस) के साथ राष्ट्र की संप्रभुता बनाए रखने और पश्चिमी सेक्टर में एलएसी पर शांति एवं स्थिरता बरकरार रखने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है।’’

पेट्रोलिंग प्वाइंट 17ए (पीपी-17ए) पर सैनिकों को पीछे हटाये जाने की प्रक्रिया पूरी होने के साथ अब ध्यान हॉटस्प्रिंग्स, देपसांग और देमचोक पर होगा।

दोनों पक्ष 12 वें दौर की सैन्य वार्ता में टकराव वाले शेष स्थानों पर लंबित मुद्दों का समाधान शीघ्रता से करने पर सहमत हुए थे।

वार्ता के बाद जारी एक संयुक्त बयान में कहा गया था कि दोनों पक्षों ने सैनिकों की वापसी से जुड़े मुद्दों पर स्पष्ट और गहराई से विचारों का आदान-प्रदान किया तथा बैठक ने परस्पर सहमति और अधिक बढ़ाई है।

देपसांग, हॉट स्प्रिंग्स और गोगरा सहित सभी लंबित मुद्दों का समाधान करने पर भारत जोर देता आ रहा है, जो कि दोनों देशों के बीच संपूर्ण संबंधों के लिए आवश्यक है।

बारहवें दौर की सैन्य वार्ता, विदेश मंत्री एस जयशंकर द्वारा अपने चीनी समकक्ष वांग यी को दो टूक शब्दों में इस बात से अवगत कराने के दो हफ्तों बाद हुई थी कि पूर्वी लद्दाख में मौजूदा स्थिति के लंबे समय तक खिंचने से द्विपक्षीय संबंधों पर ‘‘नकारात्मक तरीके’’ से असर पड़ेगा। दोनों मंत्रियों ने 14 जुलाई को ताजिकिस्तान की राजधानी दुशांबे में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के सम्मेलन से अलग एक घंटे की एक द्विपक्षीय बैठक की थी।

बैठक में जयशंकर ने वांग से कहा था कि एलएसी पर यथास्थिति में कोई भी एकतरफा बदलाव भारत को स्वीकार्य नहीं होगा तथा संपूर्ण संबंध पूर्वी लद्दाख में शांति एवं स्थिरता पूरी तरह से बहाल होने के बाद ही बेहतर हो सकते हैं।

पैंगोंग झील क्षेत्रों में हिंसक झड़प के बाद पिछले साल पांच मई को भारतीय और चीनी सेनाओं के बीच सीमा पर गतिरोध शुरू हो गया था। इसके बाद दोनों पक्षों ने हजारों सैनिकों और भारी हथियार प्रणालियों को इलाके में तैनात किया था।

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