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भारतीय वायुसेना ने 300 किमी की दूरी से पाकिस्तान के बड़े विमान को मार गिराया, ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर फिर बोले एयर चीफ मार्शल एपी सिंह, कहा-दुश्मन को ‘गहरा’ आघात

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: August 10, 2025 21:20 IST

भारत ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान पांच पाकिस्तानी लड़ाकू विमानों और एक बड़े विशेष मिशन विमान को मार गिराया था।

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ठळक मुद्दे“सतह से हवा में मार करने वाली अब तक की सबसे बड़ी घटना” बताया।जवाबी कार्रवाई के लिए आए तो उन्होंने जोरदार हमला किया।वर्ष 2019 के बालाकोट हमलों के दौरान ऐसी स्थिति नहीं थी।

नई दिल्लीः वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल एपी सिंह का यह दावा कि भारतीय वायुसेना ने लगभग 300 किलोमीटर की दूरी से पाकिस्तान के एक बड़े विमान को मार गिराया, भारतीय वायुसेना की अभूतपूर्व वायु श्रेष्ठता को दर्शाता है जिससे दुश्मन को ‘गहरा’ मनोवैज्ञानिक आघात पहुंचा है। यह बात सैन्य अधिकारियों ने शनिवार को बेंगलुरु में एयर चीफ मार्शल के संबोधन की बारीकियों को समझाते हुए कही, जिसमें उन्होंने कहा था कि भारत ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान पांच पाकिस्तानी लड़ाकू विमानों और एक बड़े विशेष मिशन विमान को मार गिराया था।

भारतीय वायुसेना प्रमुख ने ईएलआईएनटी (इलेक्ट्रॉनिक इंटेलिजेंस) या एईडब्ल्यू एंड सी (एयरबोर्न अर्ली वार्निंग एंड कंट्रोल) विमान को मार गिराए जाने को “सतह से हवा में मार करने वाली अब तक की सबसे बड़ी घटना” बताया, जिसके बारे में हम बात कर सकते हैं। एक वरिष्ठ सैन्य अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, “यह महत्वपूर्ण है, क्योंकि सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल द्वारा 300 किलोमीटर या उससे अधिक दूरी पर ऐसी किसी प्रणाली (विमान) को मार गिराने की कोई सार्वजनिक जानकारी उपलब्ध नहीं है।”

एक अन्य अधिकारी ने बताया कि इस हमले से पाकिस्तान को मनोवैज्ञानिक, रणनीतिक और सामरिक दृष्टि से बड़ा झटका लगा है, जिससे उबरना उसके लिए कठिन होगा। यदि यह एईडब्ल्यू एंड सी विमान था, तो यह झटका कहीं अधिक गंभीर था, क्योंकि विश्व स्तर पर प्रत्येक वायुसेना के पास ऐसे विमानों की सीमित संख्या होती है।

एक एईडब्ल्यू एंड सी विमान हवाई क्षेत्र की निगरानी और हवाई खतरों का शीघ्र पता लगाने में मदद करता है और हवाई युद्ध की स्थिति में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। बताया जाता है कि पाकिस्तान के पास छह से आठ एईडब्ल्यू एंड सी विमान हैं। उन्होंने कहा, “इस हमले ने दिखाया कि हम पाकिस्तान के हर कोने तक पहुंच सकते हैं।”

उन्होंने विस्तार से बताया कि कैसे रूसी एस-400 वायु रक्षा मिसाइल प्रणालियों को शामिल करने से भारत को अपनी हवाई प्रभुता बढ़ाने में मदद मिली। वर्ष 2019 के बालाकोट हमलों के दौरान ऐसी स्थिति नहीं थी क्योंकि पाकिस्तानी विमान सीमा के बहुत करीब आ गए थे और जब वे जवाबी कार्रवाई के लिए आए तो उन्होंने जोरदार हमला किया।

एक तीसरे अधिकारी ने बताया कि लोगों ने भारत की हवाई प्रभुत्व क्षमता पर सवाल उठाए थे। छह साल पहले हवाई युद्ध के दौरान दुश्मन के विमान को मार गिराने के बाद पाकिस्तान ने ग्रुप कैप्टन अभिनंदन वर्धमान को कुछ समय के लिए बंदी बना लिया था। अब, परिदृश्य अलग है। बेहतर हवाई प्रभुत्व वाले लड़ाकू विमानों के साथ एस-400 मिसाइल प्रणालियों ने भारत की वायु शक्ति क्षमता में एक अलग आयाम जोड़ दिया है। रूस ने 2018 में हुए 5.43 अरब अमेरिकी डॉलर के सौदे के तहत वायु रक्षा मिसाइल प्रणाली के तीन स्क्वाड्रन की आपूर्ति की है।

एस-400 मिसाइल प्रणाली के शेष दो स्क्वाड्रन की आपूर्ति अगले एक वर्ष के भीतर किए जाने की संभावना है। एस-400 मिसाइल प्रणाली एक अत्याधुनिक वायु रक्षा तंत्र है जो 450 किलोमीटर तक की लंबी दूरी पर स्थित अनेक हवाई खतरों से निपटने में सक्षम है। ऐसा माना जा रहा है कि भारत अब अपनी सामरिक क्षमता को और बढ़ाने के लिए एस-400 मिसाइलों की अतिरिक्त खेप खरीदने के विकल्प पर विचार कर रहा है। हालांकि, रक्षा क्षेत्र में एक और राय यह भी है कि भारत को रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) द्वारा नियोजित अपनी महत्वाकांक्षी परियोजना कुशा पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।

इस कार्यक्रम के तहत भारत एस-400 प्रणाली के समान एक लंबी दूरी की स्वदेशी वायु रक्षा प्रणाली विकसित करने की योजना बना रहा है। दूसरे अधिकारी ने बताया कि बालाकोट हमलों के बाद लोगों ने भारतीय वायुसेना के हमले की प्रभावशीलता पर भी सवाल उठाए थे, लेकिन इस बार वायुसेना ने दस्तावेजी सबूत पेश किए।

अधिकारियों ने यह भी बताया कि किस प्रकार भारत ने पाकिस्तान के कई प्रतिष्ठानों पर हमला किया तथा उसकी संचार प्रणालियों को जाम कर दिया। भारत ने पहलगाम आतंकवादी हमले के जवाब में पाकिस्तान द्वारा नियंत्रित क्षेत्रों में आतंकवादी बुनियादी ढांचे को निशाना बनाते हुए सात मई को ऑपरेशन सिंदूर शुरू किया। इन हमलों के कारण चार दिनों तक भीषण झड़पें हुईं, जो 10 मई को सैन्य कार्रवाई रोकने पर सहमति के साथ समाप्त हुईं।

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