कोरोना के दौरान भारत में टीबी के मामले में आई भारी कमी, WHO ने कहा- इंडिया ने दर्ज नहीं किए केस
By विशाल कुमार | Published: October 19, 2021 08:33 AM2021-10-19T08:33:43+5:302021-10-19T10:01:19+5:30
2019 और 2020 के बीच दर्ज होने वाले टीबी के मामलों में वैश्विक कमी में सबसे अधिक योगदान देने वाले देशों में भारत (41 फीसदी), इंडोनेशिया (14 फीसदी), फिलीपींस (12 फीसदी) और चीन (8 फीसदी) थे. इन और 12 अन्य देशों का दर्ज होने वाले मामलों में कुल वैश्विक गिरावट का 93 फीसदी हिस्सा था.
नई दिल्ली: विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की एक नई रिपोर्ट के अनुसार, भारत पिछले साल कोविड-19 महामारी के कारण दर्ज न होने वाले ट्यूबरक्यूलोसिस (टीबी) के मामलों में न केवल दुनिया में सबसे ऊपर है, बल्कि तीन अन्य देशों से भी बहुत आगे है.
डेक्कन हेराल्ड की रिपोर्ट के अनुसार, 2019 और 2020 के बीच दर्ज होने वाले टीबी के मामलों में वैश्विक कमी में सबसे अधिक योगदान देने वाले देशों में भारत (41 फीसदी), इंडोनेशिया (14 फीसदी), फिलीपींस (12 फीसदी) और चीन (8 फीसदी) थे. इन और 12 अन्य देशों का दर्ज होने वाले मामलों में कुल वैश्विक गिरावट का 93 फीसदी हिस्सा था.
पिछले हफ्ते प्रकाशित एक रिपोर्ट में डब्ल्यूएचओ का अनुमान है कि वर्तमान में 41 लाख से अधिक लोग टीबी से पीड़ित हैं, लेकिन उन सभी में इस बीमारी का निदान नहीं किया गया है या आधिकारिक तौर पर राष्ट्रीय अधिकारियों को इसकी सूचना नहीं दी है. 2019 में यह आंकड़ा 29 लाख था.
जिन दो देशों भारत और इंडोनेशिया में 2019 और 2020 में टीबी के दर्ज होने वाले मामलों में सबसे अधिक कमी देखी गई, उसमें 2013 और 2019 के बीच वैश्विक स्तर पर सबसे अधिक बढ़ोतरी दर्ज की गई थी.
उस अवधि में दोनों देशों में दर्ज होने वाले कुल मामलों की संख्या में 12 लाख की वृद्धि हुई, लेकिन फिर 2019 और 2020 के बीच 7,00,000 तक गिर गई. विश्व स्तर पर इस तरह की कमी का मतलब है कि 2020 में टीबी उपचार कवरेज 2019 में 72 फीसदी से कम हो कर 59 फीसदी कम हो था.
विश्व स्वास्थ्य निकाय ने अनुमान लगाया कि 2020 में टीबी से लगभग 15 लाख लोगों की मृत्यु हुई (एचआईवी पॉजिटिव लोगों में 2,14,000 सहित) और टीबी से होने वाली मौतों की संख्या में वृद्धि मुख्य रूप से भारत सहित टीबी के अधिकतम संख्या वाले 30 देशों में हुई.