भारत-पाक को एक ही तराजू में तोलना चाहता संयुक्त राष्ट्र, UNO की रिपोर्ट झूठ और दुर्भावना से प्रेरितः कुमार
By भाषा | Published: July 12, 2019 01:21 PM2019-07-12T13:21:42+5:302019-07-12T13:21:42+5:30
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने कहा कि भारत के जम्मू-कश्मीर राज्य में हालात के संबंध में संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट झूठी और दुर्भावना से प्रेरित है। उन्होंने कहा, ‘‘हमारी मुख्य समस्या यह है कि हालिया रिपोर्ट आतंकवाद को वैधता प्रदान कर रही है जो कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के रुख के विपरीत है।’’
भारत ने जम्मू-कश्मीर के हालात पर आई संयुक्त राष्ट्र की हालिया रिपोर्ट के बारे में गुरुवार को कहा कि वह राज्य में हालात के संबंध में झूठी और दुर्भावना से प्रेरित है व दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र और ‘राज्य प्रायोजित आतंकवाद को बढ़ावा’ देने वाले देश को एक ही तराजू में तोलना चाहता है।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने कहा कि भारत के जम्मू-कश्मीर राज्य में हालात के संबंध में संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट झूठी और दुर्भावना से प्रेरित है। उन्होंने कहा, ‘‘हमारी मुख्य समस्या यह है कि हालिया रिपोर्ट आतंकवाद को वैधता प्रदान कर रही है जो कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के रुख के विपरीत है।’’
उन्होंने कहा कि यह रिपोर्ट संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देश के बहिष्कार की अस्वीकार्य वकालत है। सोमवार को रिपोर्ट सार्वजनिक होने पर भारत ने कड़ा विरोध जताया था। गौरतलब है कि संयुक्त राष्ट्र की मानवाधिकार इकाई ने सोमवार को कहा था कि भारत और पाकिस्तान कश्मीर में स्थिति में सुधार में असफल रहे और उसकी पूर्व की रिपोर्ट में जतायी गई कई चिंताओं के समाधान के लिए उन दोनों ने कोई ठोस कदम नहीं उठाए।
गत वर्ष संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त के कार्यालय ने कश्मीर पर अपनी पहली रिपोर्ट जारी की थी। उसमें भारत और पाकिस्तान द्वारा गलत कार्यों का उल्लेख किया गया था और उनसे आग्रह किया गया था कि वे लंबे समय से जारी तनाव को कम करने के लिए कदम उठाएं।
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त के कार्यालय ने नयी रिपोर्ट में कहा है, ‘‘कश्मीर और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में मई 2018 से अप्रैल 2019 तक की स्थिति पर संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार रिपोर्ट कहती है कि 12 महीने की अवधि में नागरिकों के हताहत होने की सामने आयी संख्या एक दशक से अधिक समय में सबसे अधिक हो सकती है।’’
मानवाधिकार कार्यालय ने कहा ‘‘व्यक्त की गई चिंताओं के समाधान के लिए ना तो भारत और ना ही पाकिस्तान ने ही कोई कदम उठाए।’’ रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘कश्मीर में, भारतीय सुरक्षा बलों के सदस्यों द्वारा उल्लंघनों की जवाबदेही वस्तुतः अस्तित्वहीन है।’’