बड़ा झटका: चीन-पाकिस्तान को भारत ने 'प्रायर रेफरेंस कंट्री' की लिस्ट में डाला, जानिए कब और क्यों लिया जाता है ये फैसला
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: July 3, 2020 04:22 PM2020-07-03T16:22:55+5:302020-07-03T16:30:33+5:30
बिजली उपकरणों के मामले में भारत ने चीन और पाकिस्तान को 'प्रायर रेफरेंस कंट्री' ( Prior Reference Counties) की लिस्ट में ऐसे समय डाला है जब हाल ही में लद्दाख में सीमा विवाद के बीच भारत और चीन की सेना के बीच हिंसक झड़प में 20 भारतीय जवान शहीद हो गए।
नई दिल्ली: भारत ने चीन और पाकिस्तान को बड़ा झटका देते हुए दोनों देशों को 'प्रायर रेफरेंस कंट्री' ( Prior Reference Counties) की लिस्ट में डालने का फैसला किया है। बिजली मंत्री आर के सिंह (Power Minister R K Singh) ने शुक्रवार (3 जुलाई) के कहा कि भारत अब चीन जैसे देशों से विद्युत उपकरणों का आयात नहीं करेगा। उन्होंने यह भी कहा कि वितरण कंपनियों (डिस्कॉम) को आर्थिक दृष्टि से मजबूत बनाना जरूरी है क्योंकि ऐसा नहीं होने पर क्षेत्र व्यावहारिक नहीं होगा। बिजली मंत्री आर के सिंह ने बताया कि प्रायर रेफरेंस कंट्री (पूर्व संदर्भित देशों) से उपकरणों की आयात की अनुमति नहीं होगी। इसके तहत हम देशों की सूची तैयार कर रहे हैं लेकिन इसमें मुख्य रूप से चीन और पाकिस्तान शामिल हैं।
आखिर कब और क्यों भारत लेता है किसी अन्य देश को ' Prior Reference Counties ' की लिस्ट में डालने का फैसला
बता दें कि ‘प्रायर रेफरेंस कंट्री’ की लिस्ट में उन देशों को रखा जाता है, जिनसे भारत को खतरा होता है या फिर या खतरे की आशंका होती है। मुख्य रूप से इसमें वे देश हैं जिनकी सीमाएं भारतीय सीमा से लगती हैं। इसमें मुख्य रूप से पाकिस्तान और चीन हैं।
आर के सिंह का ऐलान, चीन से बिजली उपकरणों के आयात की अनुमति नहीं दी जाएगी
राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के बिजली और नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रियों के सम्मेलन के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए बिजली मंत्री आर के सिंह ने कहा, चीन जैसे देशों से विद्युत उपकरणों का आयात भारत नहीं करेगा। उन्होंने कहा, काफी कुछ हमारे देश में बनता है लेकिन उसके बावजूद हम भारी मात्रा में बिजली उपकरणों का आयात कर रहे हैं। यह अब नहीं चलेगा। देश में 2018-19 में 71,000 करोड़ रुपये का बिजली उपकरणों का आयात हुआ जिसमें चीन की हिस्सेदारी 21,000 करोड़ रुपये है।
बिजली मंत्री आर के सिंह ने कहा, दूसरे देशों से भी उपकरण आयात होंगे, उनका देश की प्रयोगशालाओं में गहन परीक्षण होगा ताकि यह पता लगाया जा सके कि कहीं उसमें ‘मालवेयर’ और ‘ट्रोजन होर्स’ का उपयोग तो नहीं हुआ है। उसी के बाद उसके उपयोग की अनुमति होगी।
मालवेयर ऐसा साफ्टवेयर या प्रोग्राम होता है जिससे फाइल या संबंधित उपकरणों को नुकसान पहुंच सकता है। वहीं ट्रोजन होर्स मालवेयर सॉफ्टवेयर है जो देखने में तो उपयुक्त लगेगा लेकिन यह कंप्यूटर या दूसरे सॉफ्टवेयर को नुकसान पहुंचा सकता है।
आर के सिंह ने कहा, वितरण कंपनियां जबतक आर्थिक रूप से सुदृढ़ नहीं होंगी, तबतक यह क्षेत्र व्यावहारिक नहीं होगा। उन्होंने राज्यों से बिजली संशोधन विधेयक, 2020 को लेकर कुछ तबकों द्वारा फैलायी जा रही भ्रांतियों को आधारहीन करार दिया।
कुछ तबकों में यह दावा किया जा रहा है कि इस संशोधित विधेयक के जरिये केंद्र सरकार राज्यों के अधिकारों को छीनना चाहती है। आर के सिंह ने कहा ने स्पष्ट किया कि केंद्र का कोई ऐसा इरादा नहीं है बल्कि सुधारों का मकसद क्षेत्र को टिकाऊ और उपभोक्ता केंद्रित बनाना है।
(पीटीआई-भाषा इनपुट के साथ)