भारत जलवायु परिवर्तन के लिए जिम्मेदार नहीं :जावड़ेकर

By भाषा | Updated: December 11, 2020 19:43 IST2020-12-11T19:43:00+5:302020-12-11T19:43:00+5:30

India not responsible for climate change: Javadekar | भारत जलवायु परिवर्तन के लिए जिम्मेदार नहीं :जावड़ेकर

भारत जलवायु परिवर्तन के लिए जिम्मेदार नहीं :जावड़ेकर

नयी दिल्ली, 11 दिसंबर केंद्रीय पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने शुक्रवार को कहा कि जलवायु परिवर्तन की समस्या के लिए भारत जिम्मेदार नहीं है और वैश्विक उत्सर्जन में उसकी हिस्सेदारी सिर्फ 6.8 प्रतिशत है।

उन्होंने कहा कि भारत एकमात्र जी-20 देश है, जो जलवायु परिवर्तन पर पेरिस समझौते के अनुरूप कदम उठा रहा।

‘पेरिस समझौते के पांच साल’ की पूर्व संध्या पर एक प्रेस वार्ता में मंत्री ने कहा कि भारत जलवायु परिवर्तन पर किए गए वादों के मुताबिक काम कर रहा है क्योंकि इसने सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की उत्सर्जन तीव्रता 2030 तक 33 से 35 प्रतिशत तक घटाने के अपने लक्ष्य में 21 प्रतिशत हासिल कर लिया है।

उन्होंने कहा, ‘‘जलवायु परिवर्तन में भारत की ऐतिहासिक हिस्सेदारी सिर्फ तीन प्रतिशत है। भारत जलवायु परिवर्तन की समस्या के लिए जिम्मेदार नहीं है। फिर भी हम इस समस्या से निपटने के लिए अपनी कोशिश करेंगे। वर्तमान में, हम वैश्विक उत्सर्जन के सिर्फ 6.8 प्रतिशत के लिए जिम्मेदार हैं और प्रति व्यक्ति उत्सर्जन सिर्फ 1.9 टन है। इस तरह ग्रीन हाउस गैस (जीएचजी) के उत्सर्जन में ऐतिहासिक रूप से और मौजूदा समय में हमारी बहुत कम हिस्सेदारी है।’’

जावड़ेकर ने कहा, ‘‘हम उन कुछ देशों में शामिल हैं जो पेरिस समझौते का अनुपालन कर रहे हैं। भारत एकमात्र ऐसा जी-20 देश है जो पेरिस समझौते का अनुपालन कर रहा है।’’

उल्लेखनीय है कि पेरिस समझौता जलवायु परिवर्तन पर कानूनी रूप से बाध्यकारी संधि है। इसे पेरिस में 12 दिसंबर 2015 को 196 देशों ने स्वीकार किया और यह चार नवंबर 2016 से प्रभावी हुआ।

भारत ने पेरिस समझौते के तहत 2015 में 2020 के बाद की अवधि के लिए महत्वाकांक्षी राष्ट्रीय लक्ष्यों (एनडीसी)के तीन मात्रात्मक लक्ष्य निर्धारित किए हैं।

उन्होंने कहा, ‘एक राष्ट्रीय लक्ष्य 2030 तक उत्सर्जन की तीव्रता को जीडीपी के 33-35 प्रतिशत तक घटाना है। मुझे यह कहते हुए खुशी हो रही है कि हमनें 21 प्रतिशत हासिल कर लिया है और शेष अगले 10 में हासिल कर लिया जाएगा। ’’

जावड़ेकर ने यह भी कहा कि विकसित राष्ट्रों ने 11 वर्षों में वित्तीय मदद एवं प्रौद्योगिकी हस्तांतरण के अपने वादों को पूरा नहीं किया है।

उन्होंने कहा, ‘‘यह फैसला लिया गया था कि हर साल विश्व जलवायु परिवर्तन की समस्या से निपटने के लिए विकासशील देशेां को 100 अरब डॉलर की मदद मुहैया करेगा। लेकिन अब तक 10 खरब डॉलर से अधिक की वित्तीय मदद लंबित है। प्रौद्योगिकी हस्तांतरण नहीं हो रहा है।

मंत्री ने इस बात का जिक्र किया कि वर्तमान में वैश्विक स्तर पर कार्बन डाइऑक्साइड गैसों के उत्सर्जन में अमेरिका की हिस्सेदारी 13.5 प्रतिशत या प्रति व्यक्ति उत्सर्जन 15.5 टन है, चीन की हिस्सेदारी 30 प्रतिशत या प्रति व्यक्ति उत्सर्जन 8.12 टन, यूरोपीय संघ और ब्रिटेन की हिस्सेदारी 8.7 प्रतिशत और प्रति व्यक्ति उत्सर्जन 6.47 टन है।

जावड़ेकर के मुताबिक भारत के अलावा जो अन्य देश पेरिस समझौते का अनुपालन कर रहे हैं उनमें कोस्टा रिका, फिलिपीन, भूटान, इथोपिया, मोरोक्को और गाम्बिया शामिल हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘कोई भी विकसित देश पेरिस समझौते का अनुपालन नहीं कर रहा।’’ उन्होंने कहा कि अमेरिका, रूस और सऊदी अरब उन देशों में शामिल हैं जो तापमान में चार डिग्री सेल्सियस की वृद्धि के लिए जिम्मेदार होंगे, जबकि चीन, जापान, दक्षिण अफ्रीका, सिंगापुर, चिली, अर्जेंटीना और संयुक्त अरब अमीरात तापमान में चार डिग्री सेल्सियस से अधिक की वृद्धि के लिए जिम्मेदार होंगे।

तापमान में तीन डिग्री सेल्सियस तक वृद्धि कर सकने वालों में यूरोपीय संघ के अलावा कनाडा, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड और ब्राजील शामिल हैं।

इस साल जारी कुछ रिपोर्टों का हवाला देते हुए जावड़ेकर ने कहा कि जलवायु पारदर्शिता रिपोर्ट, 2020 के मुताबिक भारत एक मात्र जी-20 देश है जिसने अपनी जलवयु प्रतिबद्धताओं/एनडीसी को पूरा किया है।

एक अन्य रिपोर्ट, ‘क्लाइमेट एक्शन ट्रैकर’ में कहा गय है कि भारत उन गिने-चुने देशों में शामिल है जो अपने एनडीसी को हासिल करने के पथ पर अग्रसर है।

मंत्री ने कहा, ‘‘यूएनईपी उत्सर्जन अंतराल रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत का प्रति व्यक्ति उत्सर्जन वैश्विक औसत से 60 प्रतिशत कम है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘जलवायु परिवर्तन प्रदर्शन सूचकांक,2020 में कहा गया है कि भारत उन शीर्ष 10 देशों में शामिल है, जिन्हें बहुत अधिक रेटिंग दी गई है।

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Web Title: India not responsible for climate change: Javadekar

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