भारत में स्वदेशी पोत निर्माण का हब बनने की असीम संभावना है : राजनाथ सिंह

By भाषा | Published: August 28, 2021 02:31 PM2021-08-28T14:31:46+5:302021-08-28T14:31:46+5:30

India has immense potential to become a hub of indigenous shipbuilding: Rajnath Singh | भारत में स्वदेशी पोत निर्माण का हब बनने की असीम संभावना है : राजनाथ सिंह

भारत में स्वदेशी पोत निर्माण का हब बनने की असीम संभावना है : राजनाथ सिंह

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने शनिवार को कहा कि देश में स्वदेशी पोत निर्माण का हब बनने की ‘‘असीम संभावना’’ है। साथ ही उन्होंने कहा कि केंद्र घरेलू उद्योग को विश्व स्तरीय बनाने में मदद के लिए कई नीतियां लाया है। भारतीय तटरक्षक बल के पोत (आईसीजीएस) ‘विग्रह’ को यहां नौसेना के बेड़े में शामिल करने के मौके पर आयोजित एक कार्यक्रम में सिंह ने कहा कि अगले दो वर्षों में दुनियाभर में सुरक्षा पर खर्च दो लाख दस हजार करोड़ डॉलर तक पहुंच जाएगा। ‘विग्रह’ सात अपतटीय गश्ती जहाजों में आखिरी जहाज है। उन्होंने कहा, ‘‘ज्यादातर देशों का पूरे एक साल के लिए भी इस स्तर का बजट नहीं है। अगले पांच वर्षों में इसके कई गुना तक बढ़ने की संभावना है। ऐसी स्थिति में आज हमारे पास अपनी क्षमताओं का पूरा इस्तेमाल करने, नीतियों का फायदा उठाने और देश को स्वदेशी जहाज निर्माण का हब बनाने की ओर बढ़ने की असीम संभावना है।’’ रक्षा मंत्री ने कहा, ‘‘मुझे यह कहते हुए खुशी हो रही है कि इन संभावनाओं पर विचार करते हुए सरकार ने विश्व स्तर पर पहचान बनाने के लिए पहले ही ऐसी नीतियां बनायी है जो हमारे घरेलू उद्योग को मदद करती हैं चाहे वह सार्वजनिक क्षेत्र हो या निजी क्षेत्र की संस्था हो।’’ आईसीजीएस विग्रह पर उन्होंने कहा, ‘‘इसके डिजाइन से लेकर विकास तक यह जलपोत पूरी तरह स्वदेशी है।’’ उन्होंने कहा कि भारतीय रक्षा के इतिहास में पहली बार निजी क्षेत्र की कंपनी लार्सन एंड टूब्रो के साथ एक या दो नहीं बल्कि सात जहाजों के लिए करार हुआ है। सिंह ने कहा, ‘‘सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि 2015 में इस समझौते पर हस्ताक्षर के सात वर्षों के भीतर आज इन सभी सात जहाजों को शामिल करने की प्रक्रिया पूरी हो गयी है।’’ रक्षा विभाग ने एक बयान में कहा कि 98 मीटर लंबे जहाज में 11 अधिकारी और 110 नौसैनिकों के सवार होने की क्षमता है तथा इसे लार्सन एंड टूब्रो शिप बिल्डिंग लिमिटेड ने बनाया है। यह उन्नत तकनीकी रडार, नौवहन और संचार उपकरणों, सेंसर से लैस है। आईसीजीएस विग्रह दोहरे इंजन वाले एक हेलीकॉप्टर और चार तेज गति वाली नौकाओं का भार उठा सकता है। जहाज समुद्र में तेल बिखरने से निपटने के लिए प्रदूषण नियंत्रण उपकरण का भार भी उठा सकता है। यह जहाज 40/60 बोफोर्स गन से लैस है। रक्षा मंत्री ने कहा कि एचएएल (हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड) द्वारा निर्मित ‘‘एडवांस्ड लाइट हेलीकॉप्टर’’ का भी इस जहाज से संचालन किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि यह इस बात का प्रतीक है कि कैसे सरकार, तटरक्षक बल और सार्वजनिक एंव निजी क्षेत्र इस देश की अखंडता एवं संप्रभुता की रक्षा कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि विग्रह का एक मतलब किसी भी तरह के बंधन से मुक्त और इसका एक और अर्थ किसी के कर्तव्य और दायित्वों के विशिष्ट बंधन से भी है। सिंह ने कहा, ‘‘राम, राम हैं क्योंकि वह धर्म से बंधे हुए हैं...यह मेरा अटूट विश्वास है कि हमारा यह विग्रह पूरी तरह किसी भी तरह की चुनौतियों के बंधन से मुक्त है और देश की सेवा और कर्तव्य का विशेष बंधन हमारे देश की तटीय सीमाओं की सफल निगरानी बनेगा।’’ केंद्रीय मंत्री ने कहा कि इन आधुनिक जहाजों को शामिल करने से भारतीय तटरक्षक बल की क्षमता और इसकी विकास यात्रा काफी बढ़ गयी है जिसकी शुरुआत पांच-सात छोटी नौकाओं से हुई थी और आज इसके पास 20,000 से अधिक सक्रिय कर्मी, 150 से अधिक नौकाएं और 65 से अधिक विमानों का बेड़ा है। उन्होंने कहा, ‘‘इसके साथ ही मुझसे कहा गया कि तटरक्षक बल के ज्यादातर मंच स्वदेशी हैं जो इस यात्रा को और संपूर्ण बनाता है। इसकी क्षमता बढ़ने के साथ ही तटरक्षक बल हमारे देश की क्षमता भी लगातार बढ़ा रहा है। सुरक्षा क्षमताओं में मजबूती इस शुरुआत का ही नतीजा है कि 2008 के मुंबई हमले के बाद से समुद्र मार्ग से कोई आतंकवादी घटना नहीं हुई।’’ उन्होंने दूसरे देशों में इस बल के योगदान की तारीफ की। उन्होंने कहा कि 2020 में भारी मालवाहक टैंकर ‘न्यू डायमंड’ और इस साल मालवाहक जहाज ‘एक्सप्रेस पर्ल’ में आग लगने के दौरान उसने श्रीलंका को सक्रिय और समय रहते मदद पहुंचायी। सिंह ने कहा, ‘‘अगर आपने यह नहीं किया होता तो मुझे लगता है कि इसके परिणाम अकल्पनीय होते।’’ उन्होंने ‘वाकाशियो’ मोटर जहाज से तेल रिसाव के दौरान मॉरिशस को दी गयी तटरक्षक बल की सहायता को याद किया। उन्होंने कहा, ‘‘मुझे यह बताते हुए खुशी हो रही है कि पिछले दो वर्षों में हमारे पड़ोसी देशों के सहयोग से तटरक्षक बल ने तस्करी गतिविधियों से निपटते हुए 10,000 करोड़ रुपये से अधिक का सामान बरामद किया। उन्होंने कहा कि समुद्री सुरक्षा-चोरी, आतंकवाद, हथियारों और मादक पदार्थों की अवैध तस्करी, मानव तस्करी, अवैध रूप से मछली पकड़ना और पर्यावरण को नुकसान जैसे कुछ खतरे हमारे समुद्री हितों पर प्रतिकूल असर डालने के लिए जिम्मेदार हैं। सिंह ने कहा, ‘‘आज दुनिया बहुत तेजी से बदल रही है। देशों के बीच आर्थिक, राजनीतिक और व्यापार संबंध लगातार बदल रहे हैं। किसी अन्य देश से अगली खबर आने के बारे में कुछ भी नहीं कहा जा सकता। जाहिर है कि हमारा देश इन घटनाक्रम से अछूता नहीं रह सकता। हमारे जैसे देश पर यह और अधिक लागू होता है जिसके हित हिंद महासागर से सीधे जुड़े हुए हैं। ऐसे में हमें हर वक्त सतर्क रहने की जरूरत है।’’ सेना प्रमुख जनरल एम एम नरवणे, तटरक्षक बल के महानिदेशक के. नटराजन और तमिलनाडु के उद्योग मंत्री थंगम थेन्नारासू ने भी कार्यक्रम में भाग लिया।

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