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अमेरिका, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया के त्रिपक्षीय सुरक्षा समझौते पर भारत ने नहीं की कोई टिप्पणी

By भाषा | Updated: September 16, 2021 22:56 IST

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नयी दिल्ली, 21 सितंबर भारत ने अमेरिका, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया के बीच हिंद-प्रशांत क्षेत्र में गहन सहयोग उपलब्ध कराने और तीनों देशों की रक्षा क्षमताओं की अधिकाधिक साझेदारी सुनिश्चित करने के लिये हुए त्रिपक्षीय सुरक्षा समझौते पर तत्काल कोई टिप्पणी नहीं करने का फैसला किया है।

हिंद-प्रशांत में चीन का मुकाबला करने के प्रयास के रूप में देखी जाने वाली साझेदारी, अमेरिका और ब्रिटेन को पहली बार परमाणु ऊर्जा से चलने वाली पनडुब्बियों को विकसित करने के लिए ऑस्ट्रेलिया को प्रौद्योगिकी प्रदान करने की अनुमति देगी।

नयी सुरक्षा साझेदारी पर सवालों का जवाब देते हुए विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा, “फिलहाल इस मुद्दे पर साझा करने के लिये मेरे पास कुछ भी नहीं है।”

यह पता चला है कि ऑस्ट्रेलियाई विदेश मंत्री मारिस पायने और रक्षा मंत्री पीटर डटन ने बुधवार को अपने भारतीय समकक्षों एस जयशंकर और राजनाथ सिंह को फोन करके उन्हें 'ऑकस' (ऑस्ट्रेलिया, ब्रिटेन और अमेरिका) नामक नई साझेदारी के बारे में जानकारी दी।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके ऑस्ट्रेलियाई समकक्ष स्कॉट मॉरिसन के बीच बुधवार को बातचीत हुई थी।

‘क्वाड’ या चतुर्भुज गठबंधन के पहले व्यक्तिगत शिखर सम्मेलन से कुछ दिन पहले 'ऑकस' साझेदारी के सामने आने के बारे में पूछे जाने पर बागची ने कहा कि आगामी शिखर सम्मेलन का अपना वजूद है।

बागची ने कहा, “मुझे लगता है कि क्वाड शिखर सम्मेलन अपने आप में पूर्ण है। जैसा कि मैंने उल्लेख किया है यह अत्यंत महत्वपूर्ण है... स्पष्ट रूप से क्वाड साझेदार इसे बहुत महत्व देते हैं। आप देख सकते हैं कि कोविड-19 महामारी के बीच, एक व्यक्तिगत शिखर सम्मेलन हो रहा है। मैं (ऑकस के) निहितार्थ पर टिप्पणी या अटकलें नहीं लगाना चाहूंगा।”

भारत के अलावा अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया क्वाड के सदस्य है। अमेरिका वाशिंगटन में 24 सितंबर को भौतिक रूप से क्वाड शिखर सम्मेलन की मेजबानी कर रहा है।

यह पूछे जाने पर कि क्या भारत ऑस्ट्रेलिया और ब्रिटेन से महत्वपूर्ण साइबर तकनीक प्राप्त कर सकता है, यह देखते हुए कि अमेरिका उन्हें ऑकस के तहत दोनों देशों के साथ साझा करने के लिए सहमत है, बागची ने केवल कहा, “ऑस्ट्रेलिया के साथ हमारे बहुत मजबूत रिश्ते हैं।” ऑकस साझेदारी भागीदार देशों के बीच विभिन्न अन्य महत्वपूर्ण तकनीकों को साझा करने की सुविधा भी प्रदान करेगी।

अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन, ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री मॉरिसन और ब्रिटिश प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन की तरफ से जारी एक संयुक्त बयान में कहा गया, “हमारी सरकारें हमारे दीर्घकालीन द्विपक्षीय संबंधों को आगे बढ़ाते हुए ऑकस के माध्यम से हमारे सुरक्षा हितों के लिए प्रत्येक की क्षमता को मजबूत करेंगी।”

इसमें कहा गया है, “हम सूचना और प्रौद्योगिकी साझा करने को बढ़ावा देंगे। हम सुरक्षा से संबंधित विज्ञान, प्रौद्योगिकी, औद्योगिक स्थलों और आपूर्ति श्रृंखलाओं के गहन एकीकरण को बढ़ावा देंगे। हम विशेष रूप से सुरक्षा क्षमताओं की एक श्रृंखला पर सहयोग को गहरा करेंगे।’’

बयान में कहा गया, “ऑस्ट्रेलिया को परमाणु संचालित पनडुब्बी का बेड़ा मुहैया कराना ऑकस की पहली बड़ी पहल होगी।”

बयान में कहा गया है कि ऑस्ट्रेलिया की परमाणु शक्ति वाली पनडुब्बियों का विकास तीन देशों के बीच एक संयुक्त प्रयास होगा, जिसमें अंतरसक्रियता, समानता और पारस्परिक लाभ पर ध्यान दिया जाएगा।

फ्रांस ने गठबंधन से खुद को बाहर रखे जाने की आलोचना करते हुए कहा कि जब हिंद-प्रशांत क्षेत्र में एक जैसी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है तो यह सुसंगतता की कमी को दर्शाता है।

चीन ने अपनी प्रतिक्रिया में सुरक्षा गठबंधन की निंदा करते हुए कहा कि यह क्षेत्रीय स्थिरता की व्यापक अनदेखी करता है और हथियारों की होड़ को बढ़ावा देगा।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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