सीमा पर तनाव कम करने के लिए भारत-चीन ने की सैन्य वार्ता, बातचीत चुशुल-मोल्डो में हुई
By शिवेन्द्र कुमार राय | Published: August 14, 2023 09:48 PM2023-08-14T21:48:49+5:302023-08-14T21:50:27+5:30
पूर्वी लद्दाख में कुछ बिंदुओं पर भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच तीन साल से अधिक समय से गतिरोध बना हुआ है। हालांकि दोनों पक्षों ने व्यापक राजनयिक और सैन्य वार्ता के बाद कई स्थानों से अपने सैनिकों को वापस बुला लिया है। बातचीत सुबह करीब साढ़े नौ बजे शुरू हुई।
नई दिल्ली: भारत और चीन ने पूर्वी लद्दाख में टकराव वाले शेष स्थानों से सैनिकों को पीछे हटाने और क्षेत्र में तनाव कम करने के मद्देनजर सोमवार को नए दौर की सैन्य वार्ता की। सैन्य सूत्रों ने बताया कि कोर कमांडर स्तरीय 19वें दौर की बातचीत वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के पास भारतीय क्षेत्र में चुशुल-मोल्डो में हुई।
पूर्वी लद्दाख में कुछ बिंदुओं पर भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच तीन साल से अधिक समय से गतिरोध बना हुआ है। हालांकि दोनों पक्षों ने व्यापक राजनयिक और सैन्य वार्ता के बाद कई स्थानों से अपने सैनिकों को वापस बुला लिया है। सूत्रों ने बताया कि बातचीत सुबह करीब साढ़े नौ बजे शुरू हुई।
भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व 14वीं कोर के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल रशीम बाली ने किया। इस कोर का मुख्यालय लेह में है। चीनी प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व दक्षिण शिनजियांग सैन्य जिले के कमांडर ने किया। इससे पहले, 23 अप्रैल को 18वें दौर की सैन्य वार्ता हुई थी जिसमें भारतीय पक्ष ने देपसांग और डेमचोक के लंबित मुद्दों पर जोर दिया था।
विदेश मंत्रालय ने पिछले महीने कहा था कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने पिछले साल बाली में जी -20 शिखर सम्मेलन के दौरान एक रात्रिभोज में द्विपक्षीय संबंधों को स्थिर बनाने की आवश्यकता पर चर्चा की थी। राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने 24 जुलाई को जोहानिसबर्ग में पांच देशों के समूह ब्रिक्स की बैठक के दौरान शीर्ष चीनी राजनयिक वांग यी से मुलाकात की थी।
बता दें कि भारतीय और चीनी सेना के बीच पूर्वी लद्दाख में कुछ स्थानों पर तीन साल से अधिक समय से गतिरोध बना हुआ है, जबकि दोनों पक्षों ने व्यापक राजनयिक और सैन्य वार्ता के बाद कई क्षेत्रों से सैनिकों को पीछे हटाने की प्रक्रिया पूरी कर ली है। गलवान घाटी में दोनों देशों के सैनिकों के बीच टकराव के बाद भारत और चीन के संबंधों में काफी गिरावट आई है। क्षेत्र में एलएसी पर दोनों ओर वर्तमान में लगभग 50,000 से 60,000 सैनिक तैनात हैं।
गलवान घाटी में हिंसक झड़पों के बाद वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर तेजी से तैनाती के लिए भारतीय वायुसेना ने 68,000 से अधिक सैनिकों, लगभग 90 टैंक और अन्य हथियार प्रणालियों को देशभर से पूर्वी लद्दाख में पहुंचाया था। बढ़ते तनाव के चलते वायुसेना ने चीन की गतिविधियों पर पैनी नजर रखने के लिए क्षेत्र में बड़ी संख्या में रिमोट संचालित विमान (आरपीए) भी तैनात किए हैं। फिलहाल सीमा पर भारी हथियारों के साथ दोनों ही देशों की सेनाएं तैनात हैं।