Independence Day Special: लंबे संघर्ष के बाद मिली थी देश को आजादी, जानिए स्वतंत्रता आंदोलन के अहम पड़ावों के बारे में

By शिवेन्द्र कुमार राय | Published: August 8, 2023 09:56 PM2023-08-08T21:56:03+5:302023-08-08T21:57:41+5:30

भारत को ब्रिटिश साम्राज्य से आजादी के लिए लंबा संघर्ष करना पड़ा था। इस लड़ाई में कई अहम पड़ाव भी आए। अंतत: 200 सालों के संघर्ष और लाखों लोगों के बलिदान के बाद 15 अगस्त 1947 को भारत आजाद हुआ। इस साल हम आजादी की 76वीं वर्षगांठ मना रहे हैं।

Independence Day Special Know about the important milestones of the freedom movement | Independence Day Special: लंबे संघर्ष के बाद मिली थी देश को आजादी, जानिए स्वतंत्रता आंदोलन के अहम पड़ावों के बारे में

15 2023 को अगस्त के दिन भारत अपना 77वां स्वतंत्रता दिवस मनाने जा रहा है

Highlights15 अगस्त के दिन भारत अपना 77वां स्वतंत्रता दिवस मनाने जा रहा हैदेश को आजादी मिले 76 बरस पूरे गए हैंभारत को ब्रिटिश साम्राज्य से आजादी के लिए लंबा संघर्ष करना पड़ा था

Independence Day 2023: 15 अगस्त के दिन भारत अपना 77वां स्वतंत्रता दिवस मनाने जा रहा है। देश को आजादी मिले 76 बरस पूरे गए हैं। भारत को ब्रिटिश साम्राज्य से आजादी के लिए लंबा संघर्ष करना पड़ा था। इस लड़ाई में कई अहम पड़ाव भी आए। अंतत: 15 अगस्त 1947 को भारत एक स्वतंत्र देश बन गया। आजादी की लड़ाई के दो सबसे अहम पड़ाव थे 1857 का स्वतंत्रता संग्राम और कांग्रेस की स्थापना। इसके बाद भी कई छोटी-बड़ी बाधाओं को पार करते हुए देश आजाद हुआ। इस लेख में आजादी की लड़ाई के अहम पड़ावों की चर्चा करेंगे।

1857 का स्वाधीनता संग्राम

प्लासी की लड़ाई के लगभग 100 साल बाद 1857 में  ब्रिटिश शासन के खिलाफ पहला विद्रोह हुआ।  इस विद्रोह की शुरुआत 10 मई, 1857 ई. को मेरठ से हुई। धीरे-धीरे यह कानपुर, बरेली, झांसी, दिल्ली, अवध आदि स्थानों पर फैल गई। इसकी शुरूआत तो एक सैन्य विद्रोह के रूप में हुई थी लेकिन जल्द ही यह क्रान्ति के रूप में बदल गई। पूरे भारत में ब्रिटिश सत्ता के विरुद्ध एक जनव्यापी विद्रोह शुरू के हो गया। इस महान क्रांति को भारत का प्रथम स्वतन्त्रता संग्राम कहा गया। 

1857 के विद्रोह का एक प्रमुख राजनीतिक कारण तब के ब्रिटिश भारत के गवर्नर जनरल लॉर्ड डलहौजी की राज्य हड़प नीति थी। डलहौजी ने नियम बनाया था कि किसी राजा के निःसंतान होने पर उस राज्य को ब्रिटिश साम्राज्य का हिस्सा बना लिया जाएगा। राज्य हड़प नीति के कारण भारतीय राजाओं में बहुत असंतोष पैदा हुआ। रानी लक्ष्मी बाई के दत्तक पुत्र को झांसी की गद्दी पर नहीं बैठने दिया गया। हड़प नीति के तहत ब्रिटिश शासन ने सतारा, नागपुर और झांसी को ब्रिटिश राज्य में मिला लिया। अब अन्य राजाओं को भय सताने लगा कि उनका भी विलय थोड़े दिनों की बात रह गई है। इसके अलावा बाजीराव द्वितीय के दत्तक पुत्र नाना साहेब की पेंशन रोक दी गई जिससे भारत के शासक वर्ग में विद्रोह की भावना मजबूत होने लगी।

बहुत कम समय में आंदोलन देश के कई हिस्सों तक पहुंच गया। लेकिन दक्षिण के प्रांतों ने इसमें कोई हिस्सा नहीं लिया। अहम शासकों जैसे सिंधिया, होल्कर, जोधपुर के राणा और अन्यों ने विद्रोह का समर्थन नहीं किया। 1857 का संग्राम एक साल से ज्यादा समय तक चला। इसे 1858 के मध्य में कुचला गया। मेरठ में विद्रोह भड़कने के चौदह महीने बाद 8 जुलाई, 1858 को लार्ड कैनिंग ने घोषणा की कि विद्रोह को पूरी तरह दबा दिया गया है।

कांग्रेस की स्थापना और स्वतंत्रता के लिए संघर्ष

28 दिसंबर 1885 को भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (आईएनसी) का गठन गोकुलदास तेजपाल संस्कृत स्कूल, बॉम्बे में किया गया। अंग्रेज अधिकारी ए. ओ. ह्यूम ने इसके गठन में बड़ी भूमिका निभाई। कांग्रेस की स्थापना का शुरूआती उद्देश्य भारत के युवाओं को राजनीतिक आंदोलन के लिए प्रशिक्षित करना था। हालांकि यह भी कहा जाता है कि कांग्रेस की स्थापना सेफ्टी वाल्व के रूप में की गई थी। 

9 जनवरी 1915 को महात्मा गांधी जी 46 वर्ष की उम्र में दक्षिण अफ्रीका से भारत वापस आए। फरवरी, 1919 में गांधी जी ने सत्याग्रह सभा की स्थापना की। इसके बाद 1920 में असहयोग – आंदोलन की शुरुआत हुई। असहयोग आंदोलन भारत में ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ पहला बड़ा राजनीतिक आंदोलन था। इसने ब्रितानी हुकुमत की जड़ें हिला दी। इस बीच भारत में क्रांतिकारी आंदोलन की भी शुरूआत हो चुकी थी। 26 जनवरी 1930 को पहली बार स्वतंत्रता दिवस मनाया गया। 12 मार्च से  6 अप्रैल 1930 तक गांधी जी ने अपने 78 अनुयायियों के साथ साबरमती आश्रम से दांडी तक की यात्रा की और  6 अप्रैल 1930 को नमक बनाकर नमक कानून को तोड़ा। 

सितंबर 1939 में द्वितीय विश्व युद्ध छिड़ा और ब्रिटिश सरकार ने भारत को भी इसमें झोंक दिया। द्वितीय विश्व युद्ध ब्रिटिश हुकुमत के लिए बहुत महंगा पड़ा। इसने साम्राज्य को काफी कमजोर कर दिया। 08 अगस्त 1942 को गांधीजी ने अंग्रेज शासन के खिलाफ भारत छोड़ो आंदोलन शुरू दिया। इस आंदोलन के लिए गांधी जी ने नारा दिया 'करो या मरो'।

साल 1946 में तत्कालीन ब्रिटिश प्रधानमंत्री क्लिमेंट एटली ने कैबिनेट मिशन प्लान की घोषणा की। 2 सितंबर 1946 को जे.एल. नेहरू के नेतृत्व में अंतरिम सरकार का गठन हुआ। ब्रिटिश सरकार ने मार्च 1947 में लॉर्ड माउंटबेटन को सत्ता के हस्तांतरण की तरीका ढूंढ़ने के लिए भारत भेजा गया। 3 जून को इंडिपेंडेस ऑफ इंडिया एक्ट 1947 पारित किया गया जिसके द्वारा सत्ता को दो प्रभुत्व राष्ट्रों – भारत और पाकिस्तान, को सौंपा गई।

इस तरह 200 सालों के संघर्ष और लाखों लोगों के बलिदान के बाद 15 अगस्त 1947 को भारत आजाद हुआ। इस साल हम आजादी की 76वीं वर्षगांठ मना रहे हैं। भारत सरकार आजादी के अमृत महोत्सव के अतर्गत कई कार्यक्रम आयोजित कर रही है जिसमें हर घर तिरंगा अभियान भी शामिल है। लंबी गुलामी के बाद जब भारत आजाद हुआ तब उसने लोकतांत्रिक व्यवस्था अपनाई और अपने हर नागरिक को शासक चुनने के लिए मतदान का अधिकार दिया। आजादी के बाद से भारत ने अब तक 14 प्रधानमंत्री देख लिए हैं। 14वें प्रधानमंत्री के रूप में नरेंद्र मोदी लाल किले की प्राचीर से 10वीं बार राष्ट्रीय ध्वज फहराएंगे। ये अवसर है उन अनगिनत लोगों के संघर्ष, त्याग और बलिदान को याद करने का जिन्होंने अपने प्राणों की आहुति दे दी ताकि हम आजाद हवा में सांस ले सकें।

Web Title: Independence Day Special Know about the important milestones of the freedom movement

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