उच्चतम न्यायालय में प्रतिवादी ने कहा- मराठा ‘ सामाजिक व राजनीति‘ रूप से प्रभावशाली वर्ग

By भाषा | Updated: March 17, 2021 22:08 IST2021-03-17T22:08:40+5:302021-03-17T22:08:40+5:30

In the Supreme Court, the defendant said - Maratha 'socially and politically' influential class | उच्चतम न्यायालय में प्रतिवादी ने कहा- मराठा ‘ सामाजिक व राजनीति‘ रूप से प्रभावशाली वर्ग

उच्चतम न्यायालय में प्रतिवादी ने कहा- मराठा ‘ सामाजिक व राजनीति‘ रूप से प्रभावशाली वर्ग

नयी दिल्ली, 17 मार्च मराठा आरक्षण के खिलाफ याचिका दायर करने वाले ने बुधवार को उच्चतम न्यायालय में कहा कि समुदाय ‘ सामाजिक और राजनीतिक’ रूप से प्रभावशाली है और महाराष्ट्र के 40 प्रतिशत सांसद और विधायक इस समुदाय से आते हैं। ऐसे में यह परिकल्पना कि वे पीछे छूट गए हैं और ऐतिहासिक रूप से अन्याय का सामना किया है पूरी तरह से गलत है।

न्यायमूर्ति अशोक भूषण की अध्यक्षता में पांच न्यायाधीशों की पीठ इस मामले की सुनवाई कर रही है साथ ही वह इस पर विचार कर रही है कि वर्ष 1992 में इंदिरा शाहणे फैसले जिसे मंडल फैसला कहते हैं, की समीक्षा करने के लिए बड़ी पीठ को भेजने की जरूरत है या नहीं। इस फैसले में अदालत ने आरक्षण के लिए 50 प्रतिशत की सीमा तय की थी।

इस पीठ में न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव, न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर, न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता और न्यायमूर्ति एस रवींद्र भट्ट भी शामिल हैं जो महाराष्ट्र में सरकारी नौकरियों एवं शिक्षण संस्थानों में मराठा आरक्षण के फैसले को बरकरार रखने के बंबई उच्च न्यायालय के निर्णय को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है।

एक याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता प्रदीप संचेती ने कहा कि मराठा के पीछे छूट जाने एवं ऐतिहासिक रूप से अन्याय होने की पूरी परिकल्पना ‘पूरी तरह से त्रृटिपूर्ण’ है और आरक्षण की अहर्ता नहीं रखती।

उन्होंने कहा, ‘‘ लगभग 40 प्रतिशत सांसद और विधायक उसी समुदाय के है।’’

संचेती ने वर्ष 2018 में आई एमजी गायकवाड़ समिति की रिपोर्ट पर तीखा प्रहार किया जिसमें कहा गया था कि मराठा का राज्य की सरकारी नौकरियों में कम प्रतिनिधित्व होने की वजह से वह सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़ा है।

उन्होंने गायकवाड़ समिति की रिपोर्ट को ‘सुविधानुसार तैयार दस्तावेज’ करार देते हुए कहा कि अगर शीर्ष न्यायालय भी मराठा के पिछड़े होने के फैसले को कायम रखता है तो भी यह मामला अन्य पिछड़ा वर्ग को 50 प्रतिशत की सीमा में शामिल करने का होगा न कि 50 प्रतिशत से अधिक आरक्षण देने का।’’

उन्होंने वर्ष 2000 में बंबई उच्च न्यायालय के समक्ष पेश रिपोर्ट का संदर्भ दिया और कहा कि अदालत ने रेखांकित किया था कि उसमें ऐसी सामग्री है जो इंगित करती है कि ‘मराठा सामाजिक एवं राजनीतिक रूप से प्रभावशाली है।’’

उन्होंने कहा कि मंडल फैसले के तहत मराठा का पिछड़ापन यह कहने के लिए अपवाद स्वरूप परिस्थिति नहीं है कि हम आरक्षण की 50 प्रतिशत की सीमा को पार करेंगे।’’

संचेती ने उस रिपोर्ट पर भी हमला किया जिसके आधार पर मराठा आरक्षण दिया गया है और कहा कि सर्वेक्षण ‘अवैज्ञानिक’ तरीके से किया गया।

अन्य वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव धवन ने भी मामले में बहस की और कहा कि पिछड़ा वर्ग की सूची में अधिक समुदायों को जोड़ने के लिए ‘‘उल्लेखनीय राजनीतिक दबाव होता’ है।

उन्होंने इस मामले को बड़ी पीठ को भेजने संबंधी सवाल पर कहा, ‘‘ऐसा कोई फैसला नहीं जिसमें इंदिरा शाहणे फैसले पर सवाल उठाया गया है।

धवन ने कहा, ‘‘यह त्रासदी है...कोई सुधारवादी उपाय (पिछड़े वर्ग के लिए) नहीं है। आप आरक्षण दीजिए और आपको उसी अनुसार वोट मिलता है लेकिन कुछ योजना, जैसे महात्मा गांधी ग्रामीण रोजगार जैसी योजना, आनी चाहिए।’’

इस बीच, पीठ ने अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल से केंद्र के रुख से अवगत कराने को कहा जिसपर उन्होंने कहा कि वह निर्देश लेंगे।

पीठ ने कहा, ‘‘आप अपना रुख बताएं (कल), जरूरत पड़ी तो हम सॉलिसीटर जनरल से केंद्र का रुख बताने को कहेंगे।’’

मामले में बहस अधूरी रही जो अब बृहस्पतिवार को होगी।

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Web Title: In the Supreme Court, the defendant said - Maratha 'socially and politically' influential class

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