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दिल्ली विधानसभा के विशेष सत्र में आप सरकार ने तीन कृषि कानून के खिलाफ प्रस्ताव पारित किया

By भाषा | Updated: November 26, 2021 22:08 IST

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नयी दिल्ली, 26 नवंबर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने शुक्रवार को किसानों को केंद्र सरकार के कृषि कानूनों के खिलाफ उनकी आंदोलन की सफलता के लिये बधाई देते हुये कहा कि उनकी जीत, लोकतंत्र की जीत है और आम आदमी पार्टी की सरकार उनकी मांगों का समर्थन करती है ।

दिल्ली विधानसभा ने शुक्रवार को एक प्रस्ताव पास कर तीन कृषि कानूनों को वापस लेने, आंदोलन के दौरान दिवंगत हुए 700 किसानों के परिवारों को मुआवजा देने तथा फसल के न्यूनतम समर्थन मूल्य की कानूनी गारंटी दिये जाने की बात कही गयी है ।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल में घोषणा की थी कि जिन तीन कृषि कानूनों के खिलाफ किसान आंदोलन कर रहे हैं, उन्हें वापस लिया जायेगा ।

सदन में प्रस्ताव पर हुई चर्चा का जवाब देते हुये केजरीवाल ने विधानसभा में कहा, ‘‘किसानों की जीत लोकतंत्र की जीत है । हम किसानों की लंबित मांग का समर्थन करते हैं, और हम किसानों के साथ हैं ।’’

विधानसभा में यह प्रस्ताव ध्वनि मत से पारित हो गया । यह प्रस्ताव दिल्ली सरकार के मंत्री गोपाल राय ने सदन में रखा था ।

मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार ने लोकसभा में बहुमत होने के कारण ‘‘अहंकार’’ में तीनों कृषि कानून पारित किया था ।

केजरीवाल ने कहा, ‘‘लोकसभा में बहुमत होने के कारण कृषि कानून अहंकार में पारित कराया गया। मैं किसानों की सफलता पर उन्हें बधाई देता हूं । देश के लोगों, महिलाओं, युवाओं एवं व्यापारियों के हित में जो कुछ भी होगा, उसका समर्थन करता हूं। मैं विशेष रूप से पंजाब के किसानों को बधाई देता हूं ।’’

उन्होंने कहा कि यह कितना अजीब है कि जब तीन कृषि कानून पारित किए गए, तो भाजपा ने इसे ‘‘मास्टरस्ट्रोक’’ करार दिया।

उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन जब तीन कानूनों को वापस ले लिया गया, तो उन्होंने इसे फिर से मास्टरस्ट्रोक कहा। मुझे उन पर दया आती है, हो सकता है कि उनकी जगह किसी को न रखा जाए।’’

पंजाब की महिलाओं के साहस को सलाम करते हुए केजरीवाल ने कहा कि वे ‘‘कठिन मौसम का सामना करते हुए और सभी बाधाओं को पार करते हुए एकजुट होकर चलीं ।’’

विधानसभा में पारित प्रस्ताव में कहा गया है कि केंद्र सरकार की ओर से पारित तीन कृषि कानून सामान्य तौर पर किसानों एवं जनता के हित के खिलाफ था और मुट्ठी भर व्यापारिक घरानों के पक्ष में बनाया गया था ।

केजरीवाल ने कहा कि किसानों को सफलता प्राप्त करने के लिये कोविड, खराब मौसम और डेंगू जैसी परिस्थितियों से गुजरना पड़ा ।

केजरीवाल ने कहा कि आम आदमी पार्टी की सरकार ने भारी दबाव के बावजूद स्टेडियमों को जेल में तब्दील नहीं होने दिया।

उन्होंने कहा, ‘‘यह सबसे लंबा अहिंसक आंदोलन है । सत्तारूढ़ दल (भाजपा) ने उन्हें उकसाने के लिये सब कुछ किया । उन्हें गाली सुननी पड़ी, उन्हें आतंकवादी कहा गया, चीन और पाकिस्तान का एजेंट कहा गया लेकिन वे इसस उबर गये । इस आंदोलन ने लोगों का लोकतंत्र में विश्वास बढा है जो हाल ही में हिल गया था ।’’

आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक की ओर से बाद में जारी एक बयान में, कहा गया है, ‘‘किसने सोचा होगा कि स्वतंत्र भारत के इतिहास में एक दिन ऐसा होगा जब किसानों को इस तरह का अपमान और अवहेलना झेलनी पड़ेगी? अगर हमारे देश के सभी किसान राष्ट्र विरोधी हैं तो वे लोग कौन हैं जो उन्हें गालियां दे रहे हैं?”

प्रस्ताव में लखीमपुर खीरी मामले में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा को पद से हटाने और उन्हें गिरफ्तार किये जाने की मांग की गयी है।

आप के राष्ट्रीय संयोजक ने कहा, ‘‘केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा को तत्काल बर्खास्त कर दिया जाना चाहिये । मुझे समझ में नहीं आता कि उन्हें नहीं हटाने को लेकर केंद्र सरकार की क्या मजबूरी है । किसानों के खिलाफ मामलों को वापस लिया जाना चाहिये ।’’

चर्चा में हिस्सा लेते हुये उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि भाजपा और (प्रधानमंत्री नरेंद्र) मोदी ने इस आंदोलन को बाहरी ताकतों द्वारा प्रयोजित आंदोलन करार दिया ।’’

उन्होंने सदन में आरोप लगाया, ‘‘प्रधानमंत्री और अन्य (भाजपा) नेताओं ने आंदोलन में मरने वाले किसानों के बारे में एक शब्द नहीं बोले । किसानों के आंदोलन को अपमानित करने के लिये सरकार ने 100 करोड़ रुपये खर्च कर दिये ।’’

विधानसभा में पारित प्रस्ताव में कहा गया है, ‘‘यह सदन किसानों को आतंकी और राष्ट्र विरोधी कह कर उनका अपमान करने वाली राजनीतिक पार्टियों की निंदा करती है, जो अपने अधिकारों के लिये अहिंसक तरीके से विरोध प्रदर्शन कर रहे थे ।

इसमें कहा गया है, ‘‘यह देश 700 किसानों के सर्वोच्च बलिदान को कभी नहीं भूल सकता है और यह सदन इन किसानों के प्रति अपनी हार्दिक कृतज्ञता और सम्मानजनक श्रद्धांजलि व्यक्त करता है।’’

इसमें कहा गया है, ‘‘यह सम्मानित सदन उन सभी किसानों के परिजनों को सम्मानजनक मुआवजा दिये जाने की मांग करता है, जिन्होंने अपने अधिकारों के लिए लड़ते हुए अपनी जान गंवाई।’’

मुख्य रूप से पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के हजारों किसान, केंद्र के तीन कृषि कानूनों को रद्द करने और फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य की कानूनी गारंटी की मांग को लेकर पिछले एक साल से दिल्ली की सीमा-सिंघू, गाजीपुर और टिकरी - पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।

इसमें कहा गया है, ‘‘यह सदन इन कृषि कानूनों को निरस्त करने की घोषणा का स्वागत करता है और केंद्र सरकार से इन्हें जल्द से जल्द निरस्त करने का आह्वान करता है। यह सदन न्यूनतम समर्थन मूल्य की कानूनी गारंटी की उनकी जायज मांग में किसानों के साथ खड़ा है ।’’

इस बीच दिल्ली विधानसभा में विपक्ष के नेता रामबीर सिंह विधूड़ी ने कहा कि इस प्रस्ताव की कोई आवश्यकता नहीं थी क्योंकि केंद्र सरकार ने पहले ही इन कानूनों को वापस लेने की घोषणा कर चुकी है ।

भाजपा विधायक विजेंदर गुप्ता ने कहा कि पुलिस अथवा अर्द्धसैनिक बलों ने किसान आंदोलन पर एक भी गोली नहीं चलायी । उन्होंने कहा कि आम आदमी पार्टी आधारहीन आरोप लगा रही है।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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