बिहार के नक्सल प्रभावित इलाके जहां की जमीन रहती थी रक्तरंजित, वहां लेमनग्रास ने लाई खुशहाली

By एस पी सिन्हा | Published: October 15, 2022 04:10 PM2022-10-15T16:10:16+5:302022-10-15T16:10:16+5:30

नक्सलियों के संरक्षण में इस इलाके में बड़े पैमाने पर अफीम की खेती किये जाने की सच्चाई समय-समय पर साबित होती रही है। लेकिन अब इलाके में केंद्र सरकार ने सकारात्मक पहल की है।

In the Naxal affected areas of Bihar, lemon grass brought prosperity here | बिहार के नक्सल प्रभावित इलाके जहां की जमीन रहती थी रक्तरंजित, वहां लेमनग्रास ने लाई खुशहाली

बिहार के नक्सल प्रभावित इलाके जहां की जमीन रहती थी रक्तरंजित, वहां लेमनग्रास ने लाई खुशहाली

Highlightsधान गेंहू के मुकाबले किसान लेमन ग्रास ऊगा कर दोगुनी कमाई कर रहे हैंपरंपरागत खेती के मुकाबले ऑर्गेनिक खेती ने इलाके की तस्वीर ही बदल दीनक्सलियों का दंश झेल रहा इलाका जैविक खेती कर हो रहा मालामाल

पटना: बिहार में अति नक्सल प्रभावित इलाके में जहां कभी जमीन रक्तरंजित रहा करता था, वह जमीन आज ऑर्गेनिक खेती की बदौलत लहलहा रहा है। नक्सलियों का दंश झेल रहा यह इलाका खेती कर किसान मालामाल हो रहे हैं। परंपरागत खेती के मुकाबले ऑर्गेनिक खेती ने इलाके की तस्वीर ही बदल दी। धान गेंहू के मुकाबले किसान लेमन ग्रास ऊगा कर दोगुनी कमाई कर रहे हैं।

राज्य के गया जिलान्तर्गत बाराचट्टी प्रखंड क्षेत्र के दक्षिणी इलाके का अंजनिया टांड़ गांव नक्सलियों का गढ़ माना जाता है। नक्सलियों के संरक्षण में इस इलाके में बड़े पैमाने पर अफीम की खेती किये जाने की सच्चाई समय-समय पर साबित होती रही है। लेकिन अब इलाके में केंद्र सरकार ने सकारात्मक पहल की है। विशेष केंद्रीय सहायता योजना के तहत वैकल्पिक और आधुनिक कृषि को बढ़ावा दिया जा रहा है। 

अब इस क्षेत्र के लोग परंपरागत खेती को छोड़कर लेमन ग्रास की खेती कर रहे हैं और दोगुना मुनाफा भी कमा रहे हैं। लेमनग्रास के इस क्लस्टर के लिए केंद्र सरकार द्वारा 15 लाख 20 हजार रुपए की आर्थिक मदद किसानों को दी गयी है। यहां पर लेमन ग्रास से तेल निकलने का प्लांट भी लगाया है। जिससे किसान खुद लेमनग्रास का तेल निकालकर बाजार में बेच रहे हैं। महिला किसान मंजू देवी बताती हैं कि धान और गेंहू जैसे खेती में अत्यधिक श्रम करना पड़ता था साथ ही बार-बार सिंचाई जरूरी था। लेकिन लेमनग्रास में ऐसी बात नही है। धान-गेंहू के अनुपात में दुगुना मुनाफा है। 

उन्होंने बताया कि लेमन ग्रास की खेती के लिए बार-बार जुताई भी नहीं करनी पड़ती है। लेमन ग्रास से निकाला हुआ एक किलो तेल 14 सौ रुपये के हिसाब से बिकता है। पिछली बार 15 एकड़ में लेमन ग्रास की खेती की थी। जिसके बाद 64 किलो तेल निकाला गया इस हिसाब से लगभग 88 हजार रुपए की कमाई हुई। वही किसान गोविंद प्रजापति बताते हैं कि जो लोग अफीम की खेती करते थे, वे भी अब प्रेरित हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि वर्ष 2021 के जुलाई माह से लेमन ग्रास की खेती कर रहे हैं। 
 

Web Title: In the Naxal affected areas of Bihar, lemon grass brought prosperity here

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