छत्तीसगढ़: 8 साल पहले 4 नाबालिगों समेत 8 बेकसूरों को माओवादी कहकर मार दिया, हाईकोर्ट को सौंपी गयी न्यायिक जाँच की रपट का खुलासा

By वैशाली कुमारी | Published: September 10, 2021 12:15 PM2021-09-10T12:15:06+5:302021-09-10T12:22:37+5:30

न्यायमूर्ति वीके अग्रवाल जोकि मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश हैं, उनकी रिपोर्ट के अनुसार  सुरक्षा कर्मियों ने “घबराहट में गोलियां चलाई होंगी" ऐसा निष्कर्ष निकाला गया है।

In Chhattisgarh 8 years ago killed 8 innocents including 4 minors by calling them Maoists judicial inquiry report submitted to High Court | छत्तीसगढ़: 8 साल पहले 4 नाबालिगों समेत 8 बेकसूरों को माओवादी कहकर मार दिया, हाईकोर्ट को सौंपी गयी न्यायिक जाँच की रपट का खुलासा

रिपोर्ट के अनुसार  सुरक्षा कर्मियों ने “घबराहट में गोलियां चलाई होंगी" ऐसा निष्कर्ष निकाला गया है।

Highlightsएक न्यायिक जांच रिपोर्ट ने निष्कर्ष निकाला कि मारे गए लोगों में से कोई भी माओवादी नहीं थासुरक्षाबलों के अनुसार वे आग से घिर गए थे और अपने बचाव के लिए उन्होंने उन माओवादियों पर फायरिंग की

छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले के एडेसमेट्टा में सुरक्षाकर्मियों द्वारा चार नाबालिगों सहित आठ लोगों की मुठभेड़ के आठ सालों बाद इस रहस्य का खुलासा हुआ जिसने पूरे रक्षातंत्र के साथ साथ सुरक्षाकर्मियों पर भी सवालिया निशान खड़े किए हैं। बुधवार को राज्य मंत्रिमंडल को सौंपी गई एक न्यायिक जांच रिपोर्ट ने निष्कर्ष निकाला कि मारे गए लोगों में से कोई भी माओवादी नहीं था, और वे सभी निहत्थे थे।

न्यायमूर्ति वीके अग्रवाल जोकि मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश हैं, उनकी रिपोर्ट के अनुसार  सुरक्षा कर्मियों ने “घबराहट में गोलियां चलाई होंगी" ऐसा निष्कर्ष निकाला गया है।

न्यायमूर्ति वीके अग्रवाल ने कहा कि मारे गए आदिवासी निहत्थे थे जिनपर 44 राउंड गोलियां चलाई गईं थी। आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद सीबीआई इस घटना की अलग जांच कर रही है।

कब हुई थी एडेसमेटा की घटना?

17-18 मई 2013 की रात को हुई यह घटना सुकमा जिले में झीरम घाटी की घटना से ठीक एक सप्ताह पहले हुई थी जिसमें कांग्रेस नेताओं सहित 27 लोग माओवादी हमले में मारे गए थे।

पुलिस ने एडेसमेटा में माओवादियों की मौजूदगी से इनकार किया था लेकिन कोबरा दस्ते ने एक माओवादी ठिकाने के होने का दावा किया था।

जिला मुख्यालय से 40 किमी से अधिक दूर, बीजापुर जिले के गंगालूर पुलिस स्टेशन के अंतर्गत आता है एडेसमेटा जिसे राज्य में वामपंथी उग्रवाद के लिए जाना जाता है।

आतंक का साया ऐसा की उस गांव में अभी भी कोई सड़क नहीं जा सकी। उस घटना के बाद सुप्रीम कोर्ट की न्यायिक रिपोर्ट के अनुसार, 25-30 लोग बीज के रूप में नए जीवन की पूजा करने के लिए एक आदिवासी त्योहार बीज पांडम मनाने के लिए इकट्ठा हुए थे, इसी दौरान सुरक्षाबलों का सामना उन आदिवासियों से हुआ और ये घटना हुई।

सुरक्षाबलों के अनुसार वे आग से घिर गए थे और अपने बचाव के लिए उन्होंने उन माओवादियों पर फायरिंग की,जबकि रिपोर्ट्स के अनुसार जवानों ने घबराहट में जल्दी गोलीबारी कर दी।

रिपोर्ट में कहा गया है, “अगर सुरक्षा बलों को आत्मरक्षा के लिए पर्याप्त गैजेट दिए जाते, अगर उनके पास जमीन से बेहतर खुफिया जानकारी होती और वे सावधान रहते तो घटना को टाला जा सकता था।”
सुरक्षा बल आत्मरक्षा के लिए पर्याप्त उपकरणों से लैस नहीं थे, खुफिया जानकारी की कमी थी, यही वजह है कि आत्मरक्षा और ‘घबराहट’ में, उन्होंने गोलीबारी की।”

इस घटना के बाद ग्रामीणों से भी बयान लिए गए जोकि इस प्रकार हैं। करम मंगलू ने तब कहा था, “जब फायरिंग चल रही थी, हमने अचानक उन्हें चिल्लाते हुए सुना,गोलीबारी बंद करो, हमारे एक आदमी को गोली मार दी गई है।

आयोग ने सुरक्षा बल के काम में कई खामियां पाईं। दो “भरमार” तोपों की जब्ती को अविश्वसनीय बताते हुए, रिपोर्ट ने जब्त की गई वस्तुओं में से किसी का भी आधार ना होने और किसी भी चीज को फोरेंसिक लैब में ना भेजने पर खिंचाई की।

Web Title: In Chhattisgarh 8 years ago killed 8 innocents including 4 minors by calling them Maoists judicial inquiry report submitted to High Court

भारत से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे