कर्नाटक: 2017 से भ्रष्टाचार के 72 फीसदी मामलों में सरकार ने मुकदमा चलाने की नहीं दी मंजूरी
By विशाल कुमार | Published: April 4, 2022 02:53 PM2022-04-04T14:53:28+5:302022-04-04T14:57:00+5:30
अर्धन्यायिक कर्नाटक लोकायुक्त की जगह एसीबी पुलिस ने राज्य में भ्रष्टाचार की जांच करने की मुख्य एजेंसी बन गई है। हालांकि, एसीबी लोकायुक्त की तरह सेवानिवृत्त न्यायाधीशों के अधीन नहीं बल्कि राज्य सरकार के अधीन कार्य करता है।
बेंगलुरु:कर्नाटक सरकार ने पिछले पांच वर्षों में राज्य पुलिस के भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) द्वारा दर्ज और जांच किए गए भ्रष्टाचार के 310 मामलों में से 72 प्रतिशत में सरकारी अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी नहीं दी है। राज्य सरकार द्वारा हाल ही में विधायिका में उपलब्ध कराए गए आंकड़ों से यह जानकारी सामने आई है।
बता दें कि, अर्धन्यायिक कर्नाटक लोकायुक्त की जगह एसीबी पुलिस राज्य में भ्रष्टाचार की जांच करने की मुख्य एजेंसी बन गई है। हालांकि, एसीबी लोकायुक्त की तरह सेवानिवृत्त न्यायाधीशों के अधीन नहीं बल्कि राज्य सरकार के अधीन कार्य करता है।
दरअसल, साल 2015 में आंतरिक भ्रष्टाचार के कारण भ्रष्टाचार की जांच के लिए लोकायुक्त की पुलिस शक्तियों को छीन लिया गया था।
मुख्यमंत्री बोम्मई द्वारा विधान परिषद में रखे गए आंकड़ों के अनुसार, 2017 से एसीबी द्वारा सरकारी अधिकारियों के खिलाफ दर्ज किए गए 310 मामलों में से 248 या 80 प्रतिशत मामलों में में 223 या 72 प्रतिशत मामलों में राज्य सरकार को कार्रवाई के लिए अनुशंसा के साथ चार्जशीट दाखिल नहीं की गई है।
आंकड़ों से पता चलता है कि वर्तमान में 27 मामले (नौ प्रतिशत) अदालतों में विचाराधीन हैं, 25 मामलों (आठ प्रतिशत) में जांच के बाद एक क्लोजर रिपोर्ट दायर की गई है और 10 मामलों (तीन प्रतिशत) में एक स्टे, एक बरी या जांच को रद्द करने वाला रहा है।