विशेष अदालतों में यूएपीए के मामलों की सुनवाई में तेजी लाना महत्वपूर्ण:दिल्ली उच्च न्यायालय

By भाषा | Published: December 17, 2021 09:46 PM2021-12-17T21:46:45+5:302021-12-17T21:46:45+5:30

Important to expedite trial of UAPA cases in special courts: Delhi High Court | विशेष अदालतों में यूएपीए के मामलों की सुनवाई में तेजी लाना महत्वपूर्ण:दिल्ली उच्च न्यायालय

विशेष अदालतों में यूएपीए के मामलों की सुनवाई में तेजी लाना महत्वपूर्ण:दिल्ली उच्च न्यायालय

नयी दिल्ली, 17 दिसंबर दिल्ली उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को कहा कि यह बहुत महत्वपूर्ण है कि गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम के तहत मामलों की तेजी से सुनवाई की जाए। अदालत ने यहां विशेष अदालतों में मामलों के त्वरित निस्तारण को सुव्यवस्थित करने के लिए उनके प्रशासन का रुख मांगा।

न्यायमूर्ति मुक्ता गुप्ता ने कहा कि यह उच्च न्यायालय के अधिकारियों की जिम्मेदारी है कि वे गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के मामलों के शीघ्र निस्तारण के मुद्दे पर विचार करें और उनकी सुनवाई के लिए विशेष अदालतों के गठन के लिए उचित सिफारिशें करें।

न्यायमूर्ति गुप्ता ने कहा, ‘‘यह उच्च न्यायालय को तय करना है कि मामलों को स्थानांतरित करना है (विशेष अदालतों से अन्य अदालतों में)।’’

अदालत एक आरोपी की उस याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसने एक विशेष एनआईए अदालत में अपने खिलाफ यूएपीए के तहत लंबित राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) के मामले में दिन-प्रतिदिन सुनवाई का अनुरोध किया था।

अदालत ने कहा, ‘‘कई आरोपी हैं, चार से 14 तक और गवाह 100 से 500 के करीब हैं, और इस प्रकार सुनवाई में काफी समय लगता है। इसके अलावा, अपराध गंभीर होने और कई बार विदेशी नागरिकों से जुड़े होने के कारण, जमानत आसानी से नहीं दी जाती है और इस प्रकार यह महत्वपूर्ण है कि यूएपीए के तहत अपराध, चाहे एनआईए या दिल्ली पुलिस के विशेष प्रकोष्ठ द्वारा जांच की जाती है, विशेष अदालतों द्वारा तेजी से विचार किया जाये।’’

अदालत ने आदेश दिया, ‘‘यूएपीए मामलों में मुकदमे के त्वरित निस्तारण को कारगर बनाने के लिए उठाए गए कदमों का संकेत देते हुए उच्च न्यायालय द्वारा आगे हलफनामा दायर किया जाए।’’

उच्च न्यायालय के वकील गौरव अग्रवाल ने बताया कि यूएपीए मामलों की सुनवाई के लिए शहर में एनआईए के लिए दो विशेष अदालतें हैं और गैर-यूएपीए मामलों की सूची का यूएपीए मामलों की स्थिति पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा।

अदालत ने कहा, ‘‘उच्च न्यायालय सिफारिशें (यदि आवश्यक हो) भेजेगा। यही एकमात्र उद्देश्य है। उच्च न्यायालय यह आकलन करेगा कि आपको कितनी अदालतों की आवश्यकता है।’’

वकील कार्तिक मुरुकुटला के माध्यम से दायर याचिका में, याचिकाकर्ता मंजर इमाम ने कहा कि वह आठ साल से हिरासत में हैं और उसके मामले में सुनवाई में देरी हुई है क्योंकि केवल दो नामित अदालतें हैं जो जमानत मामले, अन्य आईपीसी अपराध और मकोका मामलों समेत गैर-एनआईए मामलों की सुनवाई भी कर रही हैं।

याचिकाकर्ता को एनआईए के एक मामले के अनुसार अगस्त 2013 में गिरफ्तार किया गया था, जिसमें आरोप लगाया गया था कि इंडियन मुजाहिदीन के सदस्य, देश में स्थित अन्य आईएम स्लीपर सेल और अन्य के साथ मिलकर आतंकवादी कृत्य करने की साजिश रच रहे थे और भारत के प्रमुख स्थानों को निशाना बनाने की तैयारी कर रहे थे।

मामले में अगली सुनवाई फरवरी में होगी।

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Web Title: Important to expedite trial of UAPA cases in special courts: Delhi High Court

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