दूध में कोई मिलावट है या नहीं...अब सिर्फ 30 सेकेंड में चल जाएगा पता, आईआईटी-मद्रास ने किया अविष्कार, जानें इस बारे में
By भाषा | Published: March 29, 2023 03:34 PM2023-03-29T15:34:42+5:302023-03-29T15:40:51+5:30
दूध में मिलावट कई एशियाई देशों में एक बड़ी समस्या है। इस मिलावट के खतरे भी काफी ज्यादा हैं। ऐसे दूध के सेवन से गुर्दे की समस्या, शिशुओं को परेशानी, पेट संबंधी जटिलताएं और कैंसर तक हो सकता है। अब हालांकि इस मिलावट को आसानी से पकड़ने के लिए एक नया अविष्कार सामने आया है।
नयी दिल्ली: अनुसंधानकर्ताओं ने एक ऐसे त्रिआयामी (थ्री डी) पेपर-आधारित पोर्टेबल डिवाइस का आविष्कार किया है जो 30 सेकंड के भीतर दूध में मिलावट का पता लगा सकता है। अनुसंधानकर्ताओं ने कहा कि इसका परीक्षण घर पर किया जा सकता है।
यह डिवाइस दूध में यूरिया, डिटर्जेंट, साबुन, स्टार्च, हाइड्रोजन परऑक्साइड, सोडियम-हाइड्रोजन-कार्बोनेट और नमक एवं अन्य मिलावटी चीजों का पता लगा सकता है। अनुसंधानकर्ताओं ने कहा कि परीक्षण के लिए सिर्फ एक मिलीलीटर दूध की आवश्यकता होगी और परीक्षण से पानी, ताजा जूस तथा मिल्कशेक जैसे तरल पदार्थों में मिलावट का भी पता लगाया जा सकता है।
नेचर पत्रिका में प्रकाशित हुआ आईआईटी-मद्रास का रिसर्च
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) - मद्रास के अनुसंधानकर्ताओं के नेतृत्व में किया गया यह अनुसंधान ‘नेचर’ पत्रिका में प्रकाशित हुआ है। मेकैनिकल इंजीनियरिंग विभाग के सहायक प्रोफेसर और अध्ययन के प्रमुख अनुसंधानकर्ता पल्लब सिन्हा महापात्रा ने कहा कि थ्री डी पेपर-आधारित माइक्रोफ्लुडिक डिवाइस उतनी ही सटीकता से गाढ़े तरल पदार्थों में भी मिलावट की जांच कर सकता है।
उन्होंने कहा, ‘‘इस डिजाइन में व्हाटमैन फिल्टर पेपर ग्रेड 4 का उपयोग किया गया है, जो तरल प्रवाह में सहायता करता है और अधिक अभिकर्मकों के भंडारण की अनुमति देता है।’’ अभिकर्मक वह पदार्थ या यौगिक होता है जो किसी तंत्र में रासायनिक अभिक्रिया उत्पन्न करने के लिये डाला या मिलाया जाता है। उस पदार्थ को भी अभिकर्मक कहेंगे जिसे यह जांचने के लिये मिलाया जाता है कि कोई अभिक्रिया होती है या नहीं।
दूध में मिलावट के सामने आते हैं कई खतरे
अनुसंधानकर्ताओं ने कहा कि यह नयी प्रौद्योगिकी महंगी और समय लेने वाली पारंपरिक प्रयोगशाला आधारित परीक्षण की तुलना में सस्ती है। दूध में मिलावट खासकर भारत, पाकिस्तान, चीन और ब्राजील जैसे विकासशील देशों में एक बढ़ता हुआ खतरा है। मिलावटी दूध के सेवन से गुर्दे की समस्या, शिशु मृत्यु, पेट संबंधी जटिलताएं, डायरिया और यहां तक कि कैंसर जैसी चिकित्सीय जटिलताएं हो सकती हैं।