साबुन और टूथपेस्ट में पाया जाने वाला ट्राइक्लोसैन नर्वस सिस्टम पर डालता है बुरा असर, IIT हैदराबाद ने किया खुलासा

By स्वाति सिंह | Updated: December 16, 2020 18:08 IST2020-12-16T16:50:08+5:302020-12-16T18:08:58+5:30

टूथपेस्ट, साबुन और डियोड्रेंट जैसी रोजमर्रा की चीजों में पाया जाने वाला एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-माइक्रोबियल एजेंट ट्राइक्लोसैन, हमारे नर्वस सिस्टम पर नकारात्मक असर डाल सकता है।

IIT Hyderabad researchers uncover neurotoxic nature of one chemical used in soaps, toothpastes | साबुन और टूथपेस्ट में पाया जाने वाला ट्राइक्लोसैन नर्वस सिस्टम पर डालता है बुरा असर, IIT हैदराबाद ने किया खुलासा

साबुन और टूथपेस्ट में पाया जाने वाला ट्राइक्लोसैन नर्वस सिस्टम पर डालता है बुरा असर, IIT हैदराबाद ने किया खुलासा

Highlightsट्राईक्लोसन का उपयोग कई उपभोक्ता उत्पादों में अवांछित सूक्ष्म जीवों के विकास को रोककर उनके शेल्फ जीवन को बढ़ाने के लिए किया जाता हैआईआईटी-एच के शोधकर्ताओं ने पाया कि जबकि ट्राइक्लोसन की अनुमेय सीमा भारत में 0.3% है, यह उपयोग करने योग्य हैशोध के निष्कर्षों को हाल ही में यूनाइटेड किंगडम के वैज्ञानिक पत्रिका ‘केमोस्फीयर’ में प्रकाशित किया गया था।

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) हैदराबाद के शोधकर्ताओं ने टूथपेस्ट, साबुन और दुर्गन्ध वाले दैनिक उपयोग के उत्पादों में पाए जाने वाले ट्राइक्लोसन को खतरनाक पाया है। शोध के निष्कर्षों को हाल ही में यूनाइटेड किंगडम से प्रकाशित एक प्रमुख वैज्ञानिक पत्रिका, Chemosphere में प्रकाशित किया गया था।

ट्राइक्लोसन एक एंटी बैक्टीरियल और एंटी माइक्रोबियल एजेंट है जो मानव शरीर के नर्वस सिस्टम (तंत्रिका तंत्र) को प्रभावित करता है। इस रसायन को रसोई की वस्तिओं और कपड़ों में पाया जा सकता है।

उल्लेखनीय है कि 1960 के दशक में इसका इस्तेमाल केवल मेडिकल केयर उत्पादों तक ही सीमित था। हाल ही में अमेरिकी एफडीए (खाद्य एवं औषधि प्रशासन) ने ट्राइक्लोसन के खिलाफ प्रमाणों की समीक्षा की थी और इसके इस्तेमाल पर आंशिक प्रतिबंध लगाया था।

डॉ. अनामिका भार्गव ने कहा, 'इस अध्ययन से पता चलता है कि सूक्ष्म मात्रा में भी ट्राइक्लोसन न केवल न्यूरोट्रांसमिशन से संबंधित जीन और एंजाइमों को प्रभावित कर सकता है बल्कि, यह न्यूरॉन को भी नुकसान पहुंचा सकता है। यह एक ऑर्गेनिज्म के मोटर फंक्शन को प्रभावित कर सकता है।' उन्होंने कहा कि मानव ऊतकों और तरल पदार्थों में ट्राईक्लोसन की उपस्थिति से मनुष्यों में न्यूरो-व्यवहार में बदलाव हो सकता है, जो आगे चलकर न्यूरो-अपक्षयी रोगों से जुड़ा हो सकता है।

 

Web Title: IIT Hyderabad researchers uncover neurotoxic nature of one chemical used in soaps, toothpastes

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