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आईआईएम-अहमदाबाद अमेरिकी वास्तुकार के डिजाइन वाली 14 असुरक्षित डोरमिट्री को ध्वस्त करेगा

By भाषा | Updated: December 25, 2020 17:19 IST

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अहमदाबाद, 25 दिसंबर भारतीय प्रबंध संस्थान (आईआईएम)-अहमदाबाद ने महान अमेरिकी वास्तुकार लुईस कान द्वारा 1960 के दशक में डिजाइन की गई अपनी 14 ‘डोरमिट्री’ को ध्वस्त करने का फैसला किया है। संस्थान ने कहा है कि वे जर्जर हालत में हैं।

डोरमिट्री एक बड़ा शयनकक्ष या भवन होता है, जिसमें छात्रों के लिए कई बिस्तर लगे होते हैं और उसमें साझा स्नानघर एवं शौचालय होता है।

संस्थान ने कहा कि 2001 के भूकंप और पानी का रिसाव होने की वजह से ये डोरमिट्री साल-दर-साल काफी क्षतिग्रस्त होती गई।

उल्लेखनीय है कि प्रख्यात वैज्ञानिक विक्रम साराभाई ने विभिन्न इमारतों का डिजाइन तैयार करने के लिए विश्व प्रसिद्ध वास्तुकार कान को अहमदाबाद बुलाया था। आईआईएम-ए, उन ऐतिहासिक इमारतों में शामिल है, जिनका निर्माण उनके द्वारा 1960 के दशक में किया गया था।

आईआईएम-ए के निदेशक एरोल डिसूजा ने पूर्व छात्रों को भेजे एक पत्र में करीब 60 साल पुरानी एवं ईंट से बनी इमारतों की जर्जर हालत को प्रदर्शित करती तस्वीरें साझा की हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘हम आपको इस बात से अवगत कराना जरूरी समझते हैं क्योंकि हम लुईस कान की उन इमारतों के संरक्षक हैं, जिनमें भविष्य की पीढ़ियों को प्रेरित करने की क्षमता है। पिछले कुछ दशकों में ये इमारतें जर्जर होती चली गईं। ’’

उन्होंने कहा कि सहस्राब्दी की शुरूआत में आए भूकंप और ईंट से बनी एवं पुरानी पड़ चुकी इमारतों में पानी के रिसाव के चलते दरारें पड़ गई हैं। वे रहने के लिए असुरक्षित हैं।

उन्होंने दावा किया कि इमारतों के निर्माण में जिन ईंटों का इस्तेमाल किया गया था, वे सर्वश्रेष्ठ श्रेणी की नहीं थी।

पत्र में कहा गया है, ‘‘कान ने जिन ईंटों का इस्तेमाल किया था, उन्हें वास्तुकारों में आईएस 3102-1971 (गुणवत्ता मानदंड) के मुताबिक दूसरी श्रेणी का ईंट बताया है जो अपेक्षाकृत कम मजबूत है और उसके बाहरी आवरण पर नमक की परत भी जम गई है। ’’

इसमें कहा गया है कि ईंट का प्लास्टर झड़ गया और जिस कारण पानी एकत्र होने लगा, इसकी परिणिति रिसाव के रूप में हुई। 2001 के भूकंप सहित अन्य कारणों ने इमारत को कमजोर कर दिया।

उन्होंने कहा, ‘‘हमनें इन मुद्दों का हल संरक्षण वास्तुकारों की सर्वश्रेष्ठ टीम के द्वारा कराने की कोशिश की। हमनें सलाह लेने के लिए पीटर इनस्किप और टीफन गी सरीखे अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों को भी बुलाया तथा उन्होंने सुझाव दिया कि पहले एक इमारत को दुरूस्त करिए और फिर अपने निष्कर्ष के आधार पर हम अन्य इमारतों में आगे का काम कर सकते हैं। ’’

उन्होंने कहा, ‘‘हमनें डोरमिट्री 15 और पुस्तकालय को दुरूस्त करने का फैसला किया। जहां कहीं दरार दिखी, उन्हें स्टील की छड़ से भर दिया गया। जहां दरार गहरी थी, वहां बाहरी ईंट हटा कर नयी ईंट डाली गई।’’

उन्होंने कहा, ‘‘हमनें एक भवन ढांचा मामलों के स्वतंत्र सलाहकार को भी नियुक्त किया, जिन्होंने सुझाव दिया कि ये इमारतें असुरक्षित हो गई हैं। ’’

उन्होंने कहा कि डोरमिट्री 16 से लेकर 18 तक को दुरूस्त करने का फैसला किया गया। वहीं, एक से लेकर 14 तक, डोरमिट्री के लिए दुनिया भर से वास्तुकारों को इस बारे में राय देने के लिए बुलाया जाएगा कि नयी डोरमिट्री किस तरह से बनाई जाए।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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