किसानों की मांग पूरी नहीं हुई तो संसद सत्र होगा हंगामेदार: कांग्रेस के मुख्य सचेतक

By भाषा | Updated: January 24, 2021 20:58 IST2021-01-24T20:58:31+5:302021-01-24T20:58:31+5:30

If the demand of the farmers is not met then the Parliament session will be disturbed: Chief whip of Congress | किसानों की मांग पूरी नहीं हुई तो संसद सत्र होगा हंगामेदार: कांग्रेस के मुख्य सचेतक

किसानों की मांग पूरी नहीं हुई तो संसद सत्र होगा हंगामेदार: कांग्रेस के मुख्य सचेतक

नयी दिल्ली, 24 जनवरी कांग्रेस के लोकसभा में मुख्य सचेतक कोडिकुन्निल सुरेश ने रविवार को कहा कि नये कृषि कानूनों को निरस्त करने की किसानों की मांग यदि सरकार द्वारा नहीं मानी गई तो आगामी संसद सत्र ‘‘हंगामेदार’’ होगा। सुरेश ने कहा कि उनकी पार्टी किसानों के आंदोलन के मुद्दे को दोनों सदनों में जोरदार तरीके से उठाएगी।

संसद का बजट सत्र 29 जनवरी से शुरू हो रहा है और यह दो हिस्सों में आयोजित होगा। पहला हिस्सा 15 फरवरी को समाप्त होगा और दूसरा हिस्सा आठ मार्च से आठ अप्रैल तक होगा।

सुरेश ने कहा कि किसानों का आंदोलन, रिपब्लिक टीवी के प्रधान संपादक अर्नब गोस्वामी के कथित व्हाट्सऐप चैट जैसे मुद्दों को कांग्रेस द्वारा जोरदार तरीके से उठाया जाएगा।

उन्होंने कहा, ‘‘हमारी मुख्य प्राथमिकता किसानों का आंदोलन है और हम लोकसभा और राज्यसभा दोनों में किसानों के मुद्दे को जोरदार तरीके से उठाने की योजना बना रहे हैं। हम इस मुद्दे पर चर्चा और बहस करने के लिए स्थगन प्रस्ताव जैसे सभी उपायों का इस्तेमाल करेंगे।’’

उन्होंने कहा, ‘‘हम आगामी संसद सत्र के लिए एक संयुक्त रणनीति बनाने के लिए समान विचारधारा वाले दलों के साथ भी संपर्क में हैं और मुख्य मुद्दा किसान आंदोलन है।’’

केरल से कांग्रेस के सांसद सुरेश ने कहा कि कांग्रेस किसानों की ‘‘पीड़ा’’ को समझती है जो 60 दिनों से अधिक समय से सड़कों पर हैं और ‘‘उनमें से 145 से अधिक अपनी जान गंवा चुके हैं’’, इसलिए इसे संसद के अंदर जोरदार तरीके से उठाया जाना चाहिए।

सुरेश ने कहा, ‘‘किसानों की मांग है कि कृषि कानूनों को वापस लिया जाए, लेकिन सरकार इस पर सहमत नहीं हो रही है, इसलिए स्वाभाविक रूप से सत्र हंगामेदार होगा और हम सहयोग नहीं कर सकते हैं यदि किसानों की अनदेखी की जा रही है, हम अपनी आंखें बंद नहीं कर सकते, हमें उनकी पीड़ा व्यक्त करनी होगी।’’

सुरेश ने कहा कि यदि किसान सड़कों पर हैं, तो यह सदन में प्रतिबिंबित होगा क्योंकि किसान देश की रीढ़ हैं।

हजारों प्रदर्शनकारी किसानों के प्रतिनिधियों के साथ सरकार की बातचीत में शुक्रवार को तब बाधा आ गई जब यूनियनों ने केंद्र द्वारा तीनों कानूनों को स्थगित करने के प्रस्ताव को खारिज कर दिया। कृषि मंत्री ने कठोर रुख के लिए बाहरी ‘‘ताकतों’’ को दोषी ठहराया।

केंद्र द्वारा तीन कृषि कानूनों को कृषि क्षेत्र में बड़े सुधारों के रूप में पेश किया गया है, जो बिचौलियों को दूर करेगा और किसानों को देश में कहीं भी अपनी उपज बेचने की अनुमति देगा।

हालांकि, प्रदर्शनकारी किसानों ने यह आशंका व्यक्त की है कि नए कानून न्यूनतम समर्थन मूल्य और मंडी व्यवस्था को समाप्त करने का मार्ग प्रशस्त करेंगे और उन्हें बड़े कॉर्पोरेट की दया पर छोड़ देंगे।

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