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मैं दो महीने से दिल्ली में हूं और खुद कार चलाता हूं, रोज सड़कों पर वही बच्चों को भीख मांगते हुए देखता हूं, हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा ने कहा

By भाषा | Updated: August 24, 2022 18:12 IST

दो सदस्यीय खंडपीठ की अगुवाई कर रहे मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा ने कहा कि वह पिछले दो महीनों से दिल्ली में हैं और उन्हें रोज सड़कों पर वही बच्चे भीख मांगते हुए दिखते हैं।

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ठळक मुद्देअदालत परिणाम चाहती है। पीठ में न्यायमूर्ति सुब्रह्मण्यम प्रसाद भी हैं।डीसीपीसीआर के वकील ने कहा था कि प्राधिकारी चौबीसों घंटे काम कर रहे हैं। राष्ट्रीय राजधानी में बच्चों को भिक्षावृत्ति से दूर रखने का अनुरोध किया गया है।

नई दिल्लीः दिल्ली उच्च न्यायालय ने केंद्र, शहर की सरकार और दिल्ली बाल अधिकार संरक्षण आयोग (डीसीपीसीआर) को राष्ट्रीय राजधानी की सड़कों पर भीख मांग रहे बच्चों को भिक्षावृत्ति से रोकने तथा उनके पुनर्वास के लिए उठाए कदमों की जानकारी देने का निर्देश दिया।

दो सदस्यीय खंडपीठ की अगुवाई कर रहे मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा ने कहा कि वह पिछले दो महीनों से दिल्ली में हैं और उन्हें रोज सड़कों पर वही बच्चे भीख मांगते हुए दिखते हैं। उन्होंने यह स्पष्ट किया कि अदालत परिणाम चाहती है। पीठ में न्यायमूर्ति सुब्रह्मण्यम प्रसाद भी हैं।

मुख्य न्यायाधीश ने कहा, ‘‘मैं दो महीने से दिल्ली में हूं और खुद कार चलाता हूं तथा मैं रोज सड़कों पर वही बच्चों को भीख मांगते हुए देखता हूं। आप एक दिन में नतीजों की बात कर रहे हैं। पिछले दो महीने से मैं देख रहा हूं।’’ दरअसल, डीसीपीसीआर के वकील ने कहा था कि प्राधिकारी चौबीसों घंटे काम कर रहे हैं और कदम उठा रहे हैं तथा याचिकाकर्ता एक दिन में नतीजे देखना चाहता है।

उच्च न्यायालय एक जनहित याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जिसमें राष्ट्रीय राजधानी में बच्चों को भिक्षावृत्ति से दूर रखने का अनुरोध किया गया है। इस मामले में केंद्र, दिल्ली सरकार तथा डीसीपीसीआर को पहले ही नोटिस जारी किए जा चुके हैं।

पीठ ने प्राधिकारियों को यहां सड़कों पर भीख मांगते पाए गए बच्चों को इससे रोकने तथा उनके पुनर्वास के लिए पूरी दिल्ली में जोन के आधार पर उनके द्वारा उठाए कदमों की जानकारी देने के लिए आठ हफ्तों का समय दिया। अदालत ने मामले पर अगली सुनवाई के लिए दो दिसंबर की तारीख तय की।

याचिकाकर्ता अजय गौतम ने भीख मांगने वाले बच्चों के पुनर्वास के लिए प्राधिकारियों को निर्देश देने तथा उन लोगों को गिरफ्तार करने का अनुरोध किया, जो ‘‘महिलाओं को शिशुओं, किशोरियों तथा छोटे बच्चों का इस्तेमाल कर भिक्षावृत्ति और अपराध में धकेल रहे हैं’’ तथा युवतियों का शोषण कर रहे हैं।

उन्होंने आरोप लगाया कि शहर के हर हिस्से में भिखारी होने के बावजूद प्राधिकारी इस समस्या से निपटने के लिए कोई कदम उठाने में नाकाम रहे हैं। सुनवाई के दौरान उच्च न्यायालय ने कहा कि प्राधिकारियों ने कागजी काम बहुत शानदार किया है लेकिन वह यह जानना चाहता है कि जमीनी हकीकत क्या है और इस संबंध में कौन-से कदम उठाए जा रहे हैं। याचिका में दावा किया गया है कि छोटे बच्चों को ‘‘लोगों की ज्यादा से ज्यादा हमदर्दी बटोरने’’ के लिए जानबूझकर चोट पहुंचायी जाती है। 

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