श्रीनगर: हैदरपोरा मुठभेड़ मामले में खुद को क्लीन चिट देने के एक दिन बाद जम्मू कश्मीर पुलिस के विशेष जांच दल (एसआईटी) ने बुधवार को एक असामान्य चेतावनी जारी की, जिसमें 15 नवंबर को हुए मुठभेड़ में पुलिस के निष्कर्षों की आलोचना करने वालों के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई की धमकी दी गई है।
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, एसआईटी प्रमुख (सुजीत कुमार) ने एक बयान में कहा कि आज 29.12.2021 को एसआईटी (विशेष जांच दल) को कुछ राजनीतिक नेताओं और परिवार के सदस्यों के मीडिया में कई पोस्ट मिले, जिसमें उन्होंने एसआईटी द्वारा अब तक प्राप्त सबूतों पर संदेह जताया है। इन लोगों ने इसे 'मनगढ़ंत कवर अप स्टोरी', 'सजावटी जांच', 'हत्यारों को क्लीन चिट', 'पुलिस की परी कथा' आदि कहने की कोशिश की है।
बयान में आगे कहा गया कि राजनीतिक नेताओं के इस तरह के अनुमानित बयानों में आम जनता या समाज के विशेष वर्ग के बीच उत्तेजना, अफवाह, भय और बेचैनी पैदा करने की प्रवृत्ति होती है। इस तरह का नजरिया कानून के शासन के खिलाफ है और कानून के तहत निर्धारित उचित धाराओं के तहत कार्रवाई की जा सकती है.
बयान में कहा गया है कि जिला मजिस्ट्रेट द्वारा घटना के बारे में किसी भी जानकारी को साझा करने के लिए जनता को आमंत्रित करने के बाद राजनीतिक नेताओं और परिवार के सदस्यों को वास्तविक सबूत के साथ जांच अधिकारी से संपर्क करना चाहिए था।
बयान में आगे कहा गया कि तत्काल मामले में गठित एसआईटी अभी भी मामले की जांच कर रही है, ऐसे सभी व्यक्तियों को एक बार फिर सलाह दी जाती है कि वे घटना के संबंध में किसी भी प्रकार के सबूत प्रदान करें ताकि जांच के हर पहलू को कवर किया जा सके और गुण-दोष के आधार पर निष्कर्ष निकाला जा सके।
हैदरपोरा में 15 नवंबर को मुठभेड़ में एक पाकिस्तानी आतंकवादी एवं तीन अन्य व्यक्ति मारे गये थे। पुलिस ने दावा किया था कि मारे गये सभी व्यक्तियों का आतंकवाद से संबंध था।
हालांकि इन तीन व्यक्तियों के परिवारों ने दावा किया था कि वे बेगुनाह थे और उन्होंने इस मुठभेड़ में गड़बड़ी का आरोप लगाया था। इसके बाद मुठभेड़ की जांच के लिए 16 नवंबर को एसआईटी का गठन किया गया था।
हैदरपोरा मुठभेड़ की जांच कर रहे जम्मू-कश्मीर पुलिस के विशेष जांच दल (एसआईटी) ने मंगलवार को कहा था कि एक विदेशी आतंकवादी ने एक नागरिक को मार डाला जबकि मकान का मालिक और एक स्थानीय “आतंकवादी” (आमिर माग्रे) की गोलीबारी में मौत हो गई।
हालांकि, जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल द्वारा आदेशित मजिस्ट्रेट जांच के निष्कर्षों को सार्वजनिक किए बिना ही पुलिस ने प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाई थी।
इस पर विभिन्न राजनीतिक दलों और लोगों ने सवाल उठाया। राजनीतिक दलों ने पुलिस के बयान को हत्या को छुपाने और न्यायोचित ठहराने की कोशिश करार दिया।