निजाम की संपत्ति को लेकर 71 साल पुरानी जंग में पाकिस्तान से जीता भारत, जानें क्या है पूरा मामला?

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: October 3, 2019 16:24 IST2019-10-03T16:23:47+5:302019-10-03T16:24:45+5:30

निजाम के वंशज और हैदराबाद के आठवें निजाम प्रिंस मुकर्रम जाह और उनके छोटे भाई मुफ्फकम जाह ने नेटवेस्ट बैंक पीएलसी में पड़े साढ़े तीन करोड़ पाउंड को लेकर कानूनी लड़ाई में पाकिस्तान के खिलाफ भारत सरकार से हाथ मिला लिया।

Hyderabad Nizam property: India won from Pakistan in 71-year-old war over Nizam's property, here know all detail | निजाम की संपत्ति को लेकर 71 साल पुरानी जंग में पाकिस्तान से जीता भारत, जानें क्या है पूरा मामला?

2013 में पाकिस्तान की सरकार ने अदालत में याचिका दायर कर दावा किया कि यह धन उनका है।'

Highlightsब्रिटेन की हाई कोर्ट ने हैदराबाद के निजाम के धन को लेकर भारत के पक्ष में फैसला सुनाया। यह विवाद 1947 में विभाजन के समय का है और धन लंदन में एक बैंक खाते में जमा है। 

पाकिस्तान को बड़ा झटका देते हुए ब्रिटेन की हाई कोर्ट ने 1947 में विभाजन के समय हैदराबाद के निजाम के धन को लेकर इस्लामाबाद के साथ चल रही दशकों पुरानी कानूनी लड़ाई और इसे लंदन के एक बैंक में जमा कराने के मामले में बुधवार को भारत के पक्ष में फैसला सुनाया। 

यहां नैटवेस्ट बैंक पीएलसी में जमा करीब 3.5 करोड़ पाउंड को लेकर पाकिस्तान सरकार के खिलाफ लड़ाई में निजाम के वंशजों और हैदराबाद के आठवें निजाम प्रिंस मुकर्रम जाह तथा उनके छोटे भाई मुफ्फखम जाह ने भारत सरकार के साथ हाथ मिला लिया था। 

लंदन की रॉयल कोर्ट्स ऑफ जस्टिस में दिये गये फैसले में जस्टिस मार्कस स्मिथ ने फैसला सुनाया कि 'सातवें निजाम को धन के अधिकार मिले थे और सातवें निजाम के उत्तराधिकारी होने का दावा करने वाले जाह भाइयों तथा भारत को धन का अधिकार है।'

फैसले में कहा गया है कि किसी दूसरे देश से जुड़ी गतिविधि के सिद्धांत और गैरकानूनी होने के आधार पर प्रभावी नहीं होने के तर्क के आधार पर इस मामले के अदालत में विचारणीय नहीं होने की पाकिस्तान की दलीलें विफल हो जाती हैं। विवाद 1948 में हैदराबाद के तत्कालीन निजाम से करीब 10,07,940 पाउंड और नौ शिलिंग का ब्रिटेन में नवनियुक्त पाकिस्तान के उच्चायुक्त को हस्तांतरण से जुड़ा है। 

यह राशि बढ़कर 3.5 करोड़ पाउंड हो गयी है। भारत के समर्थन के साथ निजाम के वंशज दावा करते हैं कि यह धन उनका है, वहीं पाकिस्तान का दावा है कि इस पर उसका अधिकार है। इस व्यवस्था पर इस्लामाबाद में पाकिस्तान के विदेश कार्यालय ने कहा कि फैसले का विस्तार से अध्ययन करने के बाद वह आगे की कार्रवाई करेगा। 

जानें इस मामले में क्या कहते हैं निजाम के परिजन

हैदराबाद के सातवें निजाम के धन पर भारत के पक्ष में ब्रिटेन की अदालत द्वारा फैसला देने पर खुशी जाहिर करते हुए उनके प्रपौत्र नवाब नजफ अली ने बुधवार को कहा कि उन्होंने 2008 में पाकिस्तान के साथ अदालत के बाहर समझौते का प्रयास किया था लेकिन पड़ोसी देश ने कोई जवाब नहीं दिया। 

ब्रिटेन की हाई कोर्ट ने हैदराबाद के निजाम के धन को लेकर इस्लामाबाद के साथ दशकों पुराने कानूनी विवाद में बुधवार को भारत के पक्ष में फैसला दिया। यह विवाद 1947 में विभाजन के समय का है और धन लंदन में एक बैंक खाते में जमा है। 

निजाम के वंशज और हैदराबाद के आठवें निजाम प्रिंस मुकर्रम जाह और उनके छोटे भाई मुफ्फकम जाह ने नेटवेस्ट बैंक पीएलसी में पड़े साढ़े तीन करोड़ पाउंड को लेकर कानूनी लड़ाई में पाकिस्तान के खिलाफ भारत सरकार से हाथ मिला लिया। यहां रहने वाले नजफ अली ने से कहा 'हमें खुशी है कि सात वर्षों बाद फैसला आया है। यह 2008 से ही मेरा प्रयास था।'

 उन्होंने कहा 'मैंने तत्कालीन पाकिस्तान के उच्चायुक्त (भारत में) से बात शुरू की थी। मैंने तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से मुलाकात की थी। उस वक्त प्रणब मुखर्जी विदेश मंत्री थे। हमने इन सब लोगों से मुलाकात की और उस वक्त हम पाकिस्तान के साथ अदालत के बाहर समझौता करना चाहते थे। 2013 में पाकिस्तान की सरकार ने अदालत में याचिका दायर कर दावा किया कि यह धन उनका है।' नजफ अली ने कहा कि प्रिंस मुकर्रम जाह वर्तमान में इंस्तांबुल में रहते हैं जबकि उनके भाई मुफ्फकम जाह लंदन में हैं। 

Web Title: Hyderabad Nizam property: India won from Pakistan in 71-year-old war over Nizam's property, here know all detail

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