कोविड संकट, कश्मीर में लोगों पर आतंकी हमलों जैसी घटनाओं से निपटने में व्यस्त रहा गृह मंत्रालय

By भाषा | Updated: December 26, 2021 16:45 IST2021-12-26T16:45:10+5:302021-12-26T16:45:10+5:30

Home Ministry busy dealing with incidents like Kovid crisis, terrorist attacks on people in Kashmir | कोविड संकट, कश्मीर में लोगों पर आतंकी हमलों जैसी घटनाओं से निपटने में व्यस्त रहा गृह मंत्रालय

कोविड संकट, कश्मीर में लोगों पर आतंकी हमलों जैसी घटनाओं से निपटने में व्यस्त रहा गृह मंत्रालय

(अचिंत बोरा)

नयी दिल्ली, 26 दिसंबर केंद्रीय गृह मंत्रालय 2021 में कोविड-19 संकट, जम्मू-कश्मीर में आम लोगों पर आतंकी हमलों से उत्पन्न स्थिति, छत्तीसगढ़ और मणिपुर में सुरक्षाबलों पर घात लगाकर किए गए हमलों जैसी घटनाओं से निपटने में व्यस्त रहा।

महामारी की दूसरी भयावह लहर के दौरान ऑक्सीजन की कमी से निपटने के लिए विदेशों से उच्च क्षमता वाले क्रायोजेनिक टैंकर लाने, पश्चिम बंगाल में राजनीतिक हिंसा को लेकर राज्य सरकार के साथ टकराव और प्राकृतिक आपदाओं का खामियाजा भुगतने वाले राज्यों की मदद करने जैसे मुद्दों ने भी गृह मंत्रालय को काफी व्यस्त रखा।

पिछले वर्ष की तरह, 2021 में भी गृह मंत्रालय कोविड-19 रोधी उपायों को विनियमित करने संबंधी नोडल प्राधिकरण रहा जिसने जहां आवश्यक हुआ, वहां प्रतिबंध लगाए और स्थिति में सुधार होने पर इनमें ढील दी।

पूरे वर्ष हर महीने केंद्रीय गृह सचिव कोविड-19 की स्थिति के आधार पर राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को महामारी संबंधी दिशानिर्देश जारी करते रहे।

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने महामारी की दूसरी लहर और इस दौरान चिकित्सीय ऑक्सीजन की कमी के बीच भारत के एक हिस्से से दूसरे हिस्से में प्राणवायु पहुंचाने के लिए सिंगापुर तथा संयुक्त अरब अमीरात जैसे देशों से उच्च क्षमता वाले क्रायोजेनिक टैंकर आयात करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

शाह ने स्थिति से निपटने के लिए राज्यों की सहायता करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और उनसे बंद पड़े ऑक्सीजन संयंत्र फिर शुरू करने को भी कहा।

केंद्रीय गृह मंत्रालय का काम तब और बढ़ गया जब जम्मू-कश्मीर में आतंकवादियों ने आम लोगों और पुलिसकर्मियों पर कई हमले किए। शाह ने अक्टूबर में आतंकी हमलों में आम लोगों के मारे जाने की घटनाओं के बीच जम्मू कश्मीर का दौरा भी किया।

देश को छत्तीसगढ़ में अप्रैल में नक्सलियों द्वारा 22 सुरक्षाकर्मियों और मणिपुर में 14 नवंबर को नगा विद्रोहियों द्वारा एक कर्नल, उनकी पत्नी, बेटे और चार सुरक्षाकर्मियों की हत्या किए जाने की घटनाएं भी देखनी पड़ीं।

ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली पश्चिम बंगाल सरकार और केंद्र के बीच मई में तब एक और कड़वाहट शुरू हो गई जब गृह मंत्रालय ने राज्य के तत्कालीन मुख्य सचिव अलपन बंद्योपाध्याय को केंद्र सरकार में सेवा करने के लिए बुलाया, क्योंकि वह 28 मई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में चक्रवात 'यास' पर हुई एक समीक्षा बैठक में अनुपस्थित रहे थे।

पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव से संबंधित राजनीतिक हिंसा को लेकर भी अप्रैल-मई में केंद्र और राज्य सरकार के बीच कड़वाहट दिखी।

गृह मंत्रालय और गृह मंत्री जुलाई में असम-मिजोरम सीमा पर संघर्ष के कारण उत्पन्न स्थिति से निपटने में भी व्यस्त रहे। इस संघर्ष में असम पुलिस के छह जवान मारे गए थे और जिला पुलिस अधीक्षक सहित 50 अन्य घायल हो गए थे।

इस साल केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय कुमार मिश्रा सितंबर में उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में गाड़ी से कुचलकर चार प्रदर्शनकारी किसानों के मारे जाने की घटना में अपने बेटे आशीष के कथित रूप से शामिल होने के बाद से विपक्ष के हमले का सामना करते रहे।

इस मुद्दे पर भले ही विपक्ष ने हाल ही में समाप्त हुए शीतकालीन सत्र के दौरान संसद के दोनों सदनों की कार्यवाही को बाधित किया, लेकिन मिश्रा ने सामान्य रूप से अपना कार्य करना जारी रखा और नियमित रूप से नॉर्थ ब्लॉक स्थित अपने कार्यालय में उपस्थित रहे।

पेगासस जासूसी विवाद के मद्देनजर शाह को मजबूती से सरकार के बचाव का नेतृत्व करते हुए भी देखा गया।

विपक्षी कांग्रेस और अंतरराष्ट्रीय संगठनों पर निशाना साधते हुए, उन्होंने नेताओं, पत्रकारों और अन्य लोगों की निगरानी में सरकार की किसी भी संलिप्तता से इनकार करते हुए कहा कि ऐसे "अवरोधक" और "विघटनकर्ता" केवल विश्व स्तर पर भारत को अपमानित करना चाहते हैं।

म्यांमार में तख्तापलट के मद्देनजर पड़ोसी देश से पुलिसकर्मियों सहित कई लोग शरण लेने के लिए मिजोरम में दाखिल हुए।

इसके चलते गृह मंत्रालय ने म्यांमार की सीमा से लगते चार पूर्वोत्तर राज्यों- मिजोरम, मणिपुर, नगालैंड और अरुणाचल प्रदेश को पड़ोसी देश से लोगों के आने को लेकर आगाह किया और कानून के अनुसार उचित कार्रवाई करने को कहा।

स्वतंत्रता के बाद पहली बार, गृह मंत्रालय ने घोषणा की कि देश के विभाजन के दौरान अपनी जान गंवाने वालों की याद में 14 अगस्त का दिन 'विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस' के रूप में मनाया जाएगा।

गृह मंत्रालय की घोषणा से पहले, प्रधानमंत्री ने कहा कि लोगों के संघर्षों और बलिदानों की याद में हर साल 'विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस' मनाया जाएगा क्योंकि विभाजन के दर्द को कभी नहीं भुलाया जा सकता है।

मंत्रालय ने एक अधिसूचना में कहा कि भारत के लोग ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ मनाते हुए, देश के उन बेटों और बेटियों को नमन करेंगे, जिन्होंने भारत के विभाजन के दौरान अपने प्राणों की आहुति दी थी।

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