HINDI Protest: तमिलनाडु और केरल के बाद महाराष्ट्र में हिंदी विरोध?, स्टालिन, शिवनकुट्टी के बाद राज-उद्धव ठाकरे-हर्षवर्धन सपकाल कूदे, जानें राजनीति क्यों
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: April 19, 2025 17:24 IST2025-04-19T16:33:52+5:302025-04-19T17:24:52+5:30
HINDI Protest: शिवसेना (उबाठा) की श्रमिक शाखा ‘भारतीय कामगार सेना’ के एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए ठाकरे ने कहा कि उनकी पार्टी को हिंदी भाषा से कोई परहेज नहीं है।

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HINDI Protest: हिंदी को लेकर विरोध प्रदर्शन तेज है। तमिलनाडु और केरल के बाद महाराष्ट्र में कई दिन से राजनीति जारी है। महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने राज्य भर के मराठी और अंग्रेजी माध्यम के विद्यालयों में पहली और पांचवीं कक्षा तक के छात्रों के लिए हिंदी को अनिवार्य तीसरी भाषा बनाने का विरोध करने पर राजनीतिक दलों की आलोचना की है। शिवसेना (उबाठा) प्रमुख उद्धव ठाकरे ने शनिवार को कहा कि उनकी पार्टी महाराष्ट्र में हिंदी को अनिवार्य नहीं बनाने देगी। ठाकरे का यह बयान राज्य सरकार द्वारा कक्षा एक से पांचवीं तक के छात्रों के लिए हिंदी को तीसरी भाषा के तौर पर अनिवार्य करने के फैसले के बाद आया है। शिवसेना (उबाठा) की श्रमिक शाखा ‘भारतीय कामगार सेना’ के एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए ठाकरे ने कहा कि उनकी पार्टी को हिंदी भाषा से कोई परहेज नहीं है।
HINDI Protest: दो भाषा अध्ययन की प्रथा से हटकर
लेकिन उन्होंने सवाल उठाया कि इसे क्यों थोपा जा रहा है? ठाकरे की यह टिप्पणी महाराष्ट्र सरकार द्वारा राज्य भर के मराठी और अंग्रेजी माध्यम विद्यालयों में कक्षा 1 से 5 तक के विद्यार्थियों के लिए हिंदी को अनिवार्य तीसरी भाषा बनाने के निर्णय पर विपक्ष के विरोध के बीच आयी है, जो दो भाषा अध्ययन की प्रथा से हटकर है।
महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के अध्यक्ष राज ठाकरे ने राज्य सरकार के इस निर्णय की निंदा करते हुए कहा कि उनकी पार्टी इस फैसले का पुरजोर विरोध करेगी और यह सुनिश्चित करेगी कि इसे लागू न किया जाए। कांग्रेस की महाराष्ट्र इकाई के अध्यक्ष हर्षवर्धन सपकाल ने सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर हिंदी थोपकर क्षेत्रीय भाषाओं और संस्कृति को खत्म करने की कोशिश करने का आरोप लगाया।
HINDI Protest: मोदी ने ही मराठी को शास्त्रीय भाषा का दर्जा दिया
उन्होंने कहा कि ‘महायुति’ सरकार को विद्यालयों में तीसरी भाषा के रूप में हिंदी को अनिवार्य बनाने के फैसले को वापस लेना चाहिए। पवार ने जोर देकर कहा कि मराठी, हिंदी और अंग्रेजी तीनों भाषाएं महत्वपूर्ण हैं लेकिन मराठी राज्य में हमेशा प्रमुख रखेगी। पवार ने मराठी भाषा को बढ़ावा देने में केंद्र की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए कहा, ‘‘प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ही मराठी को शास्त्रीय भाषा का दर्जा दिया। यह निर्णय वर्षों से लंबित था। राजग (राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन) सरकार ने इसे लागू करने का साहस दिखाया।’’
HINDI Protest: नए पाठ्यक्रम के चरणबद्ध कार्यान्वयन की योजना की घोषणा
उन्होंने कहा कि भाषा को और बढ़ावा देने के लिए मुंबई में मराठी भाषा भवन स्थापित करने की योजना पर काम जारी है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 के तहत नए पाठ्यक्रम के कार्यान्वयन में पहली से पांचवीं कक्षा के लिए त्रि-भाषा फॉर्मूले को लागू किया गया है। एनईपी 2020 की सिफारिशों के अनुसार तैयार किए गए नए पाठ्यक्रम के चरणबद्ध कार्यान्वयन की योजना की घोषणा की है।
देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्व वाली महाराष्ट्र सरकार ने राज्य के सभी मराठी और अंग्रेजी माध्यम के विद्यालयों में पहली से पांचवी कक्षा तक के विद्यार्थियों के लिए तीसरी भाषा के रूप में हिंदी अनिवार्य करने का फैसला लिया है। इससे पहले राज्य में दो भाषाओं की पढ़ाई पांचवी कक्षाओं तक थी। राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 के तहत महाराष्ट्र के विद्यालयों में पहली से पांचवी कक्षा के लिए त्रि-भाषा फॉर्मूला लागू किया गया है। वर्तमान में, इन विद्यालयों में पहली से चौथी कक्षाओं में केवल मराठी और अंग्रेजी की पढ़ाई अनिवार्य है।
HINDI Protest: पहली ही कक्षा से हिंदी अनिवार्य करना गलत निर्णय
सपकाल ने कहा, ‘‘मराठी भाषा महाराष्ट्र की ‘अस्मिता’और संस्कृति है, लेकिन भाजपा सरकार इसे चोट पहुंचाने की कोशिश कर रही है। विविधता में एकता हमारी पहचान है और भाजपा इसे मिटाने का प्रयास कर रही है। भाजपा क्षेत्रीय संस्कृति और भाषाओं को खत्म करना चाहती है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘पहली ही कक्षा से हिंदी अनिवार्य करना गलत निर्णय है और इसे तुरंत वापस लिया जाना चाहिए।
सरकार दोहरे मापदंड कैसे अपना सकती है? एक तरफ तो वह मराठी को शास्त्रीय भाषा का दर्जा देती है, वहीं दूसरी तरफ लोगों को इससे दूर रखती है।’’ सपकाल ने कहा,‘‘लेकिन कांग्रेस हिंदी, हिंदू और हिंदू राष्ट्र थोपने के भाजपा के एजेंडे का विरोध करेगी। अगर दक्षिण में हिंदी थोपने का विरोध किया जाता है, तो महाराष्ट्र में इसे क्यों थोपा जा रहा है?
HINDI Protest: अगर बच्चों पर चीजें जबरन थोपी जाएंगी तो
क्या मराठीभाषी हिंदू नहीं हैं?’’ कांग्रेस नेता ने कहा कि भाषा संचार और संस्कृति का माध्यम है। उन्होंने कहा कि अगर बच्चों को एक समय में तीन भाषाएं पढ़ने को कहा जाएगा तो वे अन्य विषयों के लिए कैसे समय निकाल पाएंगे। सपकाल ने कहा कि अगर बच्चों पर चीजें जबरन थोपी जाएंगी तो वे बुनियादी ज्ञान से दूर हो जाएंगे।
HINDI Protest: तमिलनाडु ‘हिंदी उपनिवेशवाद’ को बर्दाश्त नहीं करेगा: स्टालिन
तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम. के. स्टालिन ने केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान पर हिंदी थोपने की धमकी देकर राज्य को उकसाने का आरोप लगाते हुए शुक्रवार को कहा कि राज्य ‘‘ब्रिटिश उपनिवेशवाद की जगह लेने वाले हिंदी उपनिवेशवाद’’ को बर्दाश्त नहीं करेगा। स्टालिन ने सोशल मीडिया पर लिखा, ‘‘पेड़ शांत रहना पसंद कर सकता है, लेकिन हवा शांत नहीं होगी।
हम जब बस अपना काम कर रहे थे, तब वह केंद्रीय शिक्षा मंत्री ही थे, जिन्होंने हमें पत्र लिखने के लिए उकसाया। वह अपनी जगह भूल गए और पूरे राज्य को हिंदी लागू करने के लिए धमकाने की हिम्मत की।द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक) के एक सदस्य ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 के जरिये देशभर में ‘त्रिभाषा फॉर्मूला’ लागू किये जाने का विरोध करते हुए सवाल किया कि क्या उत्तर भारत के सांसद हिंदी के अलावा किसी और भाषा में बातचीत कर सकते हैं। द्रमुक सदस्य के. वीरास्वामी ने आरोप लगाया कि नयी शिक्षा नीति के तहत त्रिभाषा फॉर्मूला लागू कराने के लिए तमिलनाडु सरकार को ‘ब्लैकमेल’ किया जा रहा है।
HINDI Protest: हिंदी या कोई भी दूसरी नीति हम पर तब तक नहीं थोपी जा सकती जब तक हमारा नेता सत्ता
तमिलनाडु के उपमुख्यमंत्री उदयनिधि स्टालिन ने कहा कि जब तक मुख्यमंत्री एम के स्टालिन सत्ता में हैं, तब तक राज्य पर हिंदी नहीं थोपी जा सकती। मुख्यमंत्री द्वारा द्वि-भाषा नीति का बचाव किये जाने की सराहना करते हुए उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ने (14 मार्च को प्रस्तुत) राज्य के बजट में रुपये के प्रतीक चिह्न को बदल दिया, जिससे उन लोगों को निराशा हुई जो त्रि-भाषा नीति थोपना चाहते थे। स्टालिन के बेटे उदयनिधि ने विधानसभा में कहा, ‘‘फासीवादी हमें दबाने के लिए चाहे कितने भी नियम लागू कर दें, हिंदी या कोई भी दूसरी नीति हम पर तब तक नहीं थोपी जा सकती जब तक हमारा नेता सत्ता में है।’’
HINDI Protest: भारत की भाषाई विविधता को कमजोर करता
केरल के सामान्य शिक्षा मंत्री वी. शिवनकुट्टी ने एनसीईआरटी द्वारा अंग्रेजी माध्यम की पाठ्यपुस्तकों के लिए हिंदी शीर्षक का उपयोग करने के कथित निर्णय की आलोचना की और इसे गंभीर तर्कहीनता बताया। उन्होंने इसे संस्कृति को थोपना बताया जो भारत की भाषाई विविधता को कमजोर करता है।
शिवनकुट्टी ने तर्क दिया कि छात्रों में संवेदनशीलता और समझ को बढ़ावा देने वाले लंबे समय से चले आ रहे अंग्रेजी शीर्षकों को 'मृदंगम' और 'संतूर' जैसे हिंदी शीर्षकों से बदलना अनुचित है। उन्होंने कहा कि यह परिवर्तन भाषाई विविधता को संरक्षित करने और क्षेत्रीय सांस्कृतिक स्वायत्तता को प्राथमिकता देने की केरल की प्रतिबद्धता के विपरीत है।
मराठी भाषा का अपमान बर्दाश्त नहीं किया जाएगा: सुप्रिया सुले
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरदचंद्र पवार) की नेता सुप्रिया सुले ने शनिवार को कहा कि महाराष्ट्र में राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी)-2020 के जबरन क्रियान्वयन में मराठी को नजरअंदाज करना बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। सुले का यह बयान महाराष्ट्र सरकार द्वारा राज्य भर के मराठी और अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों में पहली कक्षा से पांचवीं तक के विद्यार्थियों के लिए हिंदी को अनिवार्य तीसरी भाषा बनाने के फैसले पर विपक्षी दलों के आक्रोश के बीच आया है। पुणे में पत्रकारों से बातचीत में बारामती की सांसद ने कहा, ‘‘महाराष्ट्र में सीबीएसई बोर्ड को अनिवार्य बनाने के शिक्षा मंत्री के बयान का विरोध करने वालों में मैं सबसे पहले थी।
मौजूदा राज्य बोर्ड को सीबीएसई (केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड) से बदलने की क्या जरूरत है? भाषा के मुद्दे पर चर्चा करने से पहले हमें राज्य में बुनियादी शिक्षा ढांचे के बारे में बात करनी चाहिए।’’ केंद्र द्वारा संदर्भित गैर सरकारी संगठन ‘प्रथम फाउंडेशन’ द्वारा जारी वार्षिक शिक्षा स्थिति रिपोर्ट (असर) का हवाला देते हुए उन्होंने गणित, विज्ञान और भाषाओं में छात्रों के प्रदर्शन का मूल्यांकन करने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि सरकार को एनईपी को लागू करने में जल्दबाजी नहीं करनी चाहिए, क्योंकि इससे छात्रों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा और शिक्षक इस बदलाव के लिए तैयार नहीं हैं।
सुले ने कहा, ‘‘अगर महाराष्ट्र में एनईपी के लागू होने से मराठी भाषा को कोई नुकसान होता है, तो इसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। मराठी को प्राथमिकता दी जाएगी।’’ उन्होंने कहा कि अगर अन्य भाषाएं शुरू की जा रही हैं, तो माता-पिता को भाषा चुनने का विकल्प होना चाहिए।
उन्होंने कहा, ‘‘किसी भी चीज को अनिवार्य बनाना उचित नहीं है। मराठी राज्य के निवासियों की मातृभाषा है और इसे पहली भाषा ही रहना चाहिए।’’ सुले ने ससून जनरल हॉस्पिटल की उस रिपोर्ट की भी आलोचना की जिसमें एक गर्भवती महिला को दीनानाथ मंगेशकर अस्पताल में कथित तौर पर 10 लाख रुपये जमा न कराने पर भर्ती करने से मना कर दिया गया था। मामले में महिला की मौत हो गई थी। उन्होंने आरोप लगाया कि रिपोर्ट में अस्पताल और स्त्री रोग विशेषज्ञ के प्रति नरम रुख अपनाया गया है। उन्होंने कहा कि ऐसी रिपोर्ट को ‘‘जला दिया जाना चाहिए।’’
(इनपुट एजेंसी)