सुपरटेक टॉवरों को गिराने का निर्देश देने का उच्च न्यायालय का फैसला सही था : शीर्ष अदालत

By भाषा | Published: August 31, 2021 09:22 PM2021-08-31T21:22:52+5:302021-08-31T21:22:52+5:30

High Court's decision to direct demolition of Supertech towers was correct: Supreme Court | सुपरटेक टॉवरों को गिराने का निर्देश देने का उच्च न्यायालय का फैसला सही था : शीर्ष अदालत

सुपरटेक टॉवरों को गिराने का निर्देश देने का उच्च न्यायालय का फैसला सही था : शीर्ष अदालत

उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को रियल्टी प्रमुख सुपरटेक लिमिटेड के साथ नोएडा प्राधिकरण के अधिकारियों की मिलीभगत और एमेराल्ड कोर्ट परियोजना में दो 40 मंजिला टावरों के निर्माण में बिल्डर द्वारा मानदंडों के उल्लंघन की कई घटनाओं की ओर इशारा किया। उच्चतम न्यायालय ने साथ ही कहा कि नोएडा में एमेराल्ड कोर्ट परियोजना में सुपरटेक के चालीस मंजिला दो अवैध टॉवरों को गिराने और अधिकारियों के खिलाफ मुकदमे की अनुमति देने का इलाहाबाद उच्च न्यायालय का फैसला सही था तथा यह मामला नोएडा प्राधिकरण के अधिकारियों एवं सुपरटेक के बीच मिलीभगत के उदाहरणों से भरा पड़ा है। न्यायालय ने कहा, ‘‘इस मामले का रिकॉर्ड नोएडा प्राधिकरण के अधिकारियों और अपीलकर्ता (सुपरटेक) तथा इसके प्रबंधन के बीच मिलीभगत के उदाहरणों से भरा है। मामले से डेवलपेर द्वारा कानून के प्रावधानों के उल्लंघन को लेकर योजना प्राधिकरण की कुटिल मिलीभगत का खुलासा हुआ है।’’ इसने कहा, ‘‘इसलिए हम टॉवरों को गिराने और अपीलकर्ता के अधिकारियों के खिलाफ यूपीयूडी कानून की धारा 49 तथा नोएडा प्राधिकरण के अधिकारियों के खिलाफ यूपीआईएडी कानून 1976 तथा यूपी अपार्टमेंट्स एक्ट 2010 के तहत मुकदमा चलाने की अनुमति देने के उच्च न्यायालय के निर्देश की पुष्टि करते हैं।’’ न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति एम आर शाह की पीठ ने संबंधित दोनों टॉवरों को तीन महीने के भीतर गिराने का निर्देश दिया और कहा कि सभी घर खरीदारों का धन 12 प्रतिशत ब्याज के साथ वापस किया जाए। इसने कहा कि नोएडा प्राधिकरण के अधिकारियों की मिलीभगत के कई उदाहरण हैं जिनमें नोएडा भवन विनियमन 2006 का स्पष्ट उल्लंघन करते हुए 26 नवंबर 2009 को द्वितीय संशोधित योजना को मंजूरी देना भी शामिल है। पीठ ने कहा कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय के फैसले में किसी हस्तक्षेप की जरूरत नहीं है। न्यायालय ने कहा कि नोएडा के सेक्टर 93 ए में स्थित सुपरटेक के 915 फ्लैट और 21 दुकानों वाले 40 मंजिला दो टॉवरों का निर्माण नोएडा प्राधिकरण के साथ सांठगांठ कर किया गया है और उच्च न्यायालय का यह विचार सही था। पीठ ने कहा कि दोनों टॉवरों को नोएडा प्राधिकरण और विशेषज्ञ एजेंसी की निगरानी में तीन माह के भीतर गिराया जाए और इसका पूरा खर्च सुपरटेक लिमिटेड उठाएगा। उच्चतम न्यायालय ने कहा कि हाल में उसने देखा है कि मेट्रोपॉलिटन इलाकों में योजना प्राधिकारों की सांठगांठ से अनधिकृत निर्माण तेजी से बढ़ा है और इससे सख्ती से निपटा जाना चाहिए। शीर्ष अदालत ने कहा कि 26 नवंबर, 2009 को परियोजना की दूसरी संशोधित योजना को मंजूरी देने, भवन नियमों के स्पष्ट उल्लंघन , रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन को योजना का खुलासा करने से इनकार करने से नोएडा प्राधिकरण प्रशासन की मिलीभगत का पता चलता है। पीठ ने कहा कि जब मुख्य अग्निशमन अधिकारी ने नोएडा प्राधिकरण को दो टॉवरों के बीच न्यूनतम दूरी की आवश्यकता के उल्लंघन के बारे में लिखा, तो योजना अधिकारियों ने कोई कार्रवाई नहीं की । पीठ ने कहा कि उच्च न्यायालय ने बिल्डर के साथ नोएडा प्रशासन की मिलीभगत की बात कही थी जो अदालत के समक्ष तथ्यों के रूप में उभरी। इसने कहा कि उच्च न्यायालय सही निष्कर्ष पर पहुंचा था कि योजना प्राधिकरण और डेवलपर के बीच मिलीभगत थी।

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