उच्च न्यायालय ने शीर्ष अदालत में एएजी नियुक्त करने के तमिलनाडु सरकार के आदेश को रद्द करने से इनकार किया
By भाषा | Published: September 4, 2021 10:42 PM2021-09-04T22:42:55+5:302021-09-04T22:42:55+5:30
मद्रास उच्च न्यायालय ने तमिलनाडु सरकार के हाल के उस शासन आदेश को रद्द करने से इनकार कर दिया है, जिसमें उच्चतम न्यायालय के समक्ष राज्य का प्रतिनिधित्व करने के लिए दिल्ली में रहने वाले दो अधिवक्ताओं को अतिरिक्त महाधिवक्ता (एएजी) के रूप में नियुक्त किया गया था।इस साल छह अगस्त के शासन आदेश के जरिए राज्य सरकार ने वी कृष्णमूर्ति और अमित आनंद तिवारी को एएजी के रूप में नियुक्त किया था।मुख्य न्यायाधीश संजीब बनर्जी और न्यायमूर्ति पी डी औदिकेसावलु ने कहा, “ यह शायद बेहतर रहता अगर याचिका दायर नहीं की जाती।” पीठ ने शुक्रवार को जनहित याचिका खारिज कर दी और कहा कि इसमें कोई आधार नहीं है। साथ में याचिकाकर्ता पर जुर्माना भी लगाया। चेंगलपट्टू जिले के एच राजाराम की दलील थी कि संविधान के अनुच्छेद 165 में किसी भी राज्य के लिए अतिरिक्त महाधिवक्ता (एएजी) नियुक्त करने का कोई प्रावधान नहीं है।उन्होंने कहा कि अनुच्छेद के तहत, राज्य के राज्यपाल द्वारा केवल महाधिवक्ता की नियुक्ति की जा सकती है, लिहाजा शासन आदेश को असंवैधानिक, मनमाना और कानून के स्थापित सिद्धांतों के विपरीत होने के कारण रद्द करने आग्रह किया, क्योंकि इसपर राज्यपाल के ‘प्रधिकारी’ की जगह अतिरिक्त मुख्य सचिव ने हस्ताक्षर किए हैं। अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ता की दलीलों का कोई आधार नहीं है कि मौजूदा सरकार के पास किसी भी मामले में या किसी भी तरीके से अदालत में उसका प्रतिनिधित्व करने के लिए किसी एएजी या किसी अन्य व्यक्ति को नियुक्त करने का अधिकार नहीं हो सकता है।
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