चेन्नई, नौ अप्रैल मद्रास उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय के उस आदेश पर रोक लगा दी, जिसमें तमिलनाडु की पूर्व मुख्य सचिव गिरिजा वैद्यनाथन को राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) की दक्षिणी पीठ का विशेषज्ञ सदस्य नियुक्त किया गया था।
मुख्य न्यायाधीश संजीब बनर्जी और न्यायमूर्ति सेंथिलकुमार राममूर्ति की पीठ ने एक सार्वजनिक ट्रस्ट 'पूवुलागिन नानबरगल' के प्रबंधन ट्रस्टी जी सुंदरराजन की जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान नियुक्ति पर रोक का अंतरिम आदेश पारित किया।
याचिका में दलील दी गई कि वैद्यनाथन के पास इसके लिए आवश्यक अनुभव नहीं है।
याचिकाकर्ता ने वैद्यनाथन से संबंधित 12 दिसंबर 2020 के नियुक्ति आदेश को रद्द करने का अनुरोध किया।
साथ ही वैद्यनाथन को एनजीटी के विशेषज्ञ सदस्य के तौर पर पदभार ग्रहण करने से रोकने का भी अनुरोध किया गया।
याचिकाकर्ता ने दलील दी कि वैद्यनाथन के पास पर्यावरण संबंधी मामलों से निपटने का पांच वर्ष का आवश्यक अनुभव नहीं है।
रिकॉर्ड को देखने और दलीलें सुनने के बाद पीठ ने कहा कि यह संभव है कि विभिन्न विभागों से जुड़े होने और उनका नेतृत्व करने के दौरान वैद्यनाथन ने कई पर्यावरणीय मुद्दों का समाधान किया होगा। हालांकि, वैद्यनाथन के लिए यह दर्शाना आवश्यक है कि वह इस पद के लिए वैधानिक पात्रता को पूरा करती हैं।
पीठ को जब बताया गया कि वैद्यनाथन 19 अप्रैल को पदभार ग्रहण करने वाली हैं तो उसने कहा कि याचिका के निस्तारण तक वैद्यनाथन के पदभार ग्रहण करने पर रोक रहेगी।
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