हेमंत सोरेन ने चुनाव आयोग और गवर्नर के बीच लटके अपने भाग्य पर कहा, "अगर मैं मुजरिम हूं तो सज़ा सुना दीजिए"
By आशीष कुमार पाण्डेय | Updated: October 15, 2022 17:50 IST2022-10-15T17:45:48+5:302022-10-15T17:50:10+5:30
हेमंत सोरेन ने ऑफिस ऑफ प्रॉफिट के मामले में कहा कि वो एक ऐसे मुख्यमंत्री हैं, जो खुद चुनाव आयोग और गवर्नर से सजा की मांग कर रहे हैं लेकिन वो उनके खिलाफ मामले को लंबित कर रहे हैं।

फाइल फोटो
रांची: झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने मुख्यमंत्री पद पर रहते हुए स्वयं के लिए खनन आवंटन मामले में चुनाव आयोग द्वारा दोषी ठहराये जाने के बाद पनपे सियासी गतिरोध और उसमें राज्यपाल रमेश बैस की भूमिका को लेकर सवाल खड़ा किया है।
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि वो एक ऐसे मुख्यमंत्री हैं, जो खुद चुनाव आयोग और गवर्नर से अपनी सजा की मांग कर रहे हैं लेकिन उनके खिलाफ मामले को लंबित किया जा रहा है।
समाचार एजेंसी एएनआई से बात करते हुए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा, "राज्य में कृत्रिम बवंडर बनाया जा रहा है। राज्यपाल और चुनाव आयोग के संदर्भ में कहूंगा कि यह भारत की पहली घटना होगी कि एक मुख्यमंत्री खुद राज्यपाल महोदय और चुनाव आयोग से हाथ जोड़कर एक मुख्यमंत्री को क्या सज़ा मिलनी चाहिए उसका आग्रह कर रहा है।"
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने अपने खिलाफ मामले को लटकाये जाने के लिए केंद्र सरकार को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा, "यह हमारे विरोधियों द्वारा षड्यंत्र रचने का काम किया जा रहा है। अगर मैं मुजरिम हूं तो हमें सज़ा सुना दी जाए। अगर मैं गुनहगार हूं और इतने दिनों तक सजा नहीं सुनाई जा रही है तो मैं इस पद पर किस हैसियत से बैठा हूं? इसका जवाब उनको देना है।"
यह हमारे विरोधियों द्वारा षड्यंत्र रचने का काम किया जा रहा है। अगर मैं मुजरिम हूं तो हमें सज़ा सुना दी जाए... अगर मैं गुनहगार हूं और इतने दिनों तक सज़ा नहीं सुनाई जा रही है तो मैं इस पद पर किस हैसियत से बैठा हूं? इसका जवाब उनको देना है: झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन pic.twitter.com/He8mVt2uvh
— ANI_HindiNews (@AHindinews) October 15, 2022
मालूम हो कि खनन लीज आवंटन मामले में दोषी पाए जाने के बाद चुनाव आयोग ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की विधानसभा सदस्यता रद्द करने की सिफारिश झारखंड के राज्यपाल रमेश बैस से की थी। चुनाव आयोग ने हेमंत सोरेन को ऑफिस ऑफ प्रॉफिट और जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 9(A) के तहत मुख्यमंत्री पद पर रहते हुए स्वयं के नाम से खनन लीज के आवंटन का दोषी पाया था।
इस मामले का खुलासा शिवकुमार शर्मा नाम के एक एक्टिविस्ट द्वारा सूचना के अधिकार के तहत दो जनहित याचिकाओं के माध्यम से हुई थी। जनहित याचिका में आरोप लगाया गया था कि झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने खनन वन मंत्री का पद संभालते हुए अपने पद का दुरुपयोग करके राजधानी रांची के नजदीक ‘स्टोन क्यूएरी माइंस‘ को अपने नाम आवंटित करवा लिया था।
इसके साथ मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पर यह भी आरोप था कि उनके परिवार ने ‘शैल कंपनियों’ के जरिये अकूत धन का निवेश किया है और उसके जरिये धन का अर्जन किया है।