केरल में भारी बारिश के बीच जंगल में फंसी तीन गर्भवती महिलाएं, एक ने जंगल में ही बच्चे को दिया जन्म, ऐसे रेस्क्यू किया गया
By अनिल शर्मा | Published: August 6, 2022 08:51 AM2022-08-06T08:51:26+5:302022-08-06T08:59:07+5:30
केरल की स्वास्थ्य मंत्री वीना जॉर्ज ने घटना पर संज्ञान लिया और गर्भवती महिलाओं को बचाने वाली टीम को बधाई दी। इससे पहले भारी बारिश को देखते हुए केरल राज्य जल प्राधिकरण ने शुक्रवार को मलमपुझा बांध के चार शटर खोल दिए।
त्रिशूर: दक्षिणी राज्य केरल के विभिन्न क्षेत्रों में भारी बारिश के बीच जंगल में फंसी तीन गर्भवती महिलाओं को अधिकारियों ने बचाया। तीनों गर्भवती महिलाएं केरल में भारी बारिश के बीच जंगल में फंस गई थीं जिनको वन विभाग और पुलिस की मदद से सुरक्षित कॉलोनी में ले जाया गया। वहीं अस्पताल जाने से मना करने पर तीन में से एक महिला ने जंगल में एक बच्ची को जन्म दिया। मां और बच्चा दोनों सुरक्षित हैं।
समाचार एजेंसी ANI के मुताबिक, अन्य दो माताएँ छह और सात महीने की गर्भवती हैं। जिला चिकित्सा अधिकारी के नेतृत्व में एक टीम ने तीनों को आश्वस्त किया और बाद में उन्हें चालकुडी तालुक अस्पताल में स्थानांतरित कर दिया। बचाव दल ने उन्हें एक फ्लैटबोट का उपयोग करके बचाया और पेरिंगलकुथ जलाशय के माध्यम से दो किलोमीटर का चुनौतीभरा सफर तय किया। .
केरल की स्वास्थ्य मंत्री वीना जॉर्ज ने घटना पर संज्ञान लिया और गर्भवती महिलाओं को बचाने वाली टीम को बधाई दी। इससे पहले भारी बारिश को देखते हुए केरल राज्य जल प्राधिकरण ने शुक्रवार को मलमपुझा बांध के चार शटर खोल दिए। और मुक्कईपुझा, कल्पथिपुझा और भरतपुझा नदियों के तट के करीब रहने वालों के लिए चेतावनी जारी की।
भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने 4 से 8 अगस्त तक केरल में व्यापक बारिश की भविष्यवाणी की है और चेतावनी दी है कि राज्य के घाट क्षेत्रों में अत्यधिक भारी वर्षा हो सकती है।
कोट्टायम और पथानामथिट्टा की सभी प्रमुख नदियों में जल स्तर तेजी से बढ़ रहा है और लोगों को राहत शिविरों में पहुंचाया जा रहा है। राज्य भर में 2,000 से अधिक लोग राहत शिविरों में हैं। केरल में अब तक भारी बारिश के कारण छह लोगों की मौत हो चुकी है। इससे पहले 4 अगस्त को, शोलयार और पेरिंगलकुथु बांधों के शटर उठाए गए। चालकुडी नदी उफान पर है। मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने चलकुडी नदी के किनारे रहने वाले लोगों से बाहर निकलने का आग्रह किया है क्योंकि शाम तक जल प्रवाह बढ़ने की संभावना है। उन्होंने कहा कि त्रिशूर और एर्नाकुलम जिलों के निचले इलाकों में रहने वालों को सतर्क रहना चाहिए।