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स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने भारत में मजबूत डिजिटल स्वास्थ्य प्रणाली की जरूरत पर जोर दिया

By भाषा | Updated: December 18, 2021 17:14 IST

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नयी दिल्ली, 18 दिसंबर स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने कोविड-19 महामारी को 'आंख खोलने' वाला करार देते हुए कहा है कि इसने देश में एक मजबूत डिजिटल स्वास्थ्य ढांचा प्रणाली की जरूरत का एहसास कराया है। विशेषज्ञों ने कहा कि अब समय आ गया है कि भारत अपनी विशाल आबादी की बढ़ती स्वास्थ्य जरूरतों को पूरा करने के लिये ऐसा कोई तंत्र विकसित करे।

स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने शुक्रवार को आयोजित आईएचडब्ल्यू शिखर सम्मेलन एवं पुरस्कारों के सातवें संस्करण में यह बात कही।

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के अध्यक्ष, डॉ. जे.ए. जयलाल ने कोविड-19 महामारी से उत्पन्न चुनौतियों को रेखांकित करते हुए कहा कि भारत सरकार को नयी तकनीक अपनाने की जरूरत है, ताकि यदि (कोरोना की) तीसरी लहर आए तो हम आसानी से उससे पार पा सकें।

उन्होंने कहा, ''जब तक कोविड-19 आसपास रहेगा, जाहिर है तब तक कई तरह की चुनौतियां होंगी, लेकिन अब लॉकडाउन की कोई आवश्यकता नहीं है। यह फायदे के बजाय अधिक नुकसान करेगा।'

पब्लिक अफेयर्स एंड स्ट्रेटेजिक एंगेजमेंट, यूनाइटेड हेल्थ ग्रुप, ऑप्टम की उपाध्यक्ष स्वाति रंगाचारी ने कहा, “कोविड -19 महामारी ने हमें एक बहुत ही महत्वपूर्ण बात सिखाई है और वह है उच्च गुणवत्ता वाली स्वास्थ्य सेवा प्रदान करना। यह तब और भी जरूरी हो जाता है जब भौतिक दूरी का नियम अनिवार्य हो। आपको हर समय काम करने वाली एक डिजिटल स्वास्थ्य प्रणाली की आवश्यकता होती है। यही कारण है कि सरकार के लिए एक मजबूत डिजिटल ढांचा स्थापित करना समय की मांग बन गया है।''

अधिकारी ने कहा कि केंद्र ने देश में डिजिटल स्वास्थ्य पारिस्थितिकी तंत्र के निर्माण में बहुत बड़े कदम उठाए हैं और यह आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन (एबीडीएम) के माध्यम से स्पष्ट होता है।

इंडिया हब और आसियान में स्वास्थ्य निदेशक विभव गर्ग के अनुसार एक डिजिटल स्वास्थ्य प्रणाली को अपनाना आवश्यक है, लेकिन यह देश में अपनी तरह की अलग चुनौतियां भी साथ लेकर आती है।

गर्ग ने कहा, “मौजूदा स्वास्थ्य सेवा प्रणाली में जब कोई व्यक्ति अस्पताल में भर्ती होता है, तो वह समझता है कि उसे सरकार या निजी बीमाकर्ता द्वारा प्रतिपूर्ति की जाएगी। दूसरी ओर, जब डिजिटल स्वास्थ्य की बात आती है, तो हमें यह ध्यान रखना चाहिये कि क्या हमारे पास लागत, मूल्य निर्धारण या प्रतिपूर्ति तंत्र मौजूद है?''

उन्होंने कहा, ''इसलिए, एक डिजिटल स्वास्थ्य ढांचे को तैयार करने से पहले हमें यह देखने की जरूरत है कि क्या हमारे पास एक उचित बुनियादी ढांचा है।''

आईएचडब्ल्यू शिखर सम्मेलन एवं पुरस्कारों के सातवें संस्करण में विशेषज्ञों ने भारत के एकीकृत स्वास्थ्य एवं सामाजिक-आर्थिक प्रभाव के बाद कोविड-19 पर विचार-विमर्श किया।

'पैथ इंडिया' के कंट्री निदेशक नीरज जैन ने कहा, ''एक बात निश्चित है कि कोविड-19 महामारी के चलते भारत में सार्वजनिक स्वास्थ्य क्षेत्र पर अतिरिक्त ध्यान केंद्रित किया गया है। भारत की आजादी के बाद से लगभग 75 वर्षों तक, सार्वजनिक स्वास्थ्य को कभी भी एक व्यापक चुनौती के रूप में नहीं देखा गया।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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