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99 साल पुराना स्कूल अब जर्जर हालत में, अदालत ने कहा, केंद्र-राज्य मिलकर हल करे

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: May 6, 2019 20:12 IST

एनजीओ की ओर से पेश हुए वकील अशोक अग्रवाल ने कहा था कि स्कूल में करीब 450 बच्चे पढ़ रहे हैं और वे अनुचित रूप से भौतिक ढांचा और अकादमिक फैकल्टी से वंचित हैं। दिल्ली सरकार ने कहा था कि वह छात्रों को दूसरे स्कूलों में भेज सकती है लेकिन उसे इसके बदले में स्कूल की जरूरत होगी।

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ठळक मुद्देअदालत ने केंद्र तथा आप सरकार से एक साथ बैठने और स्कूल व वहां पढ़ रहे छात्रों के भविष्य के संबंध में समाधान ढूंढने के लिए कहा। अदालत ने मामले पर अगली सुनवाई के लिए 30 जुलाई की तारीख तय की।

दिल्ली उच्च न्यायालय ने सोमवार को केंद्र और दिल्ली सरकार से 99 साल पुराने एक स्कूल की नयी इमारत के निर्माण के लिए एक वैकल्पिक जमीन आवंटित करने के मुद्दे को मिलकर हल करने के लिए कहा। 99 साल पुराना यह स्कूल अब जर्जर हालत में है।

मुख्य न्यायाधीश राजेंद्र मेनन और न्यायमूर्ति ए जे भम्भानी की पीठ ने केंद्र और दिल्ली सरकार से यह भी कहा कि जब तक दिल्ली छावनी में स्थित राजपूताना राइफल्स हीरोज मेमोरियल सीनियर सेकेंडरी स्कूल का निर्माण पूरा नहीं हो जाता तब तक उसे अस्थायी इमारत में स्थानांतरित करने के मुद्दे को हल किया जाए।

अदालत ने मामले पर अगली सुनवाई के लिए 30 जुलाई की तारीख तय की। पीठ एनजीओ सोशल ज्यूरिस्ट की एक जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही है जिसमें आरोप लगाया गया है कि राजपूताना राइफल्स हीरोज मेमोरियल सीनियर सेकण्डरी स्कूल का संचालन दिल्ली सरकार ने 1975 में अपने हाथ में ले लिया था और उसे उससे 100 प्रतिशत सहायता मिल रही है व अब यह स्कूल खतरनाक हालत में है।

दिल्ली सरकार के शिक्षा निदेशालय ने इससे पहले अदालत को बताया था कि इमारत के संयुक्त निरीक्षण में यह पता चला कि इसका निर्माण साल 1919 में किया गया और यह अपनी अवधि से अधिक समय पूरा कर चुका है तथा अब इसमें स्कूल चलाना ठीक नहीं है।

एनजीओ की ओर से पेश हुए वकील अशोक अग्रवाल ने कहा था कि स्कूल में करीब 450 बच्चे पढ़ रहे हैं और वे अनुचित रूप से भौतिक ढांचा और अकादमिक फैकल्टी से वंचित हैं। दिल्ली सरकार ने कहा था कि वह छात्रों को दूसरे स्कूलों में भेज सकती है लेकिन उसे इसके बदले में स्कूल की जरूरत होगी क्योंकि अन्य शैक्षिक संस्थानों में पहले ही अत्यधिक बोझ है। रक्षा मंत्रालय ने कहा था कि जहां स्कूल स्थित है वह जमीन दिल्ली सरकार को नया संस्थान बनाने के लिए नहीं सौंपी जा सकती है।

इसके बाद अदालत ने केंद्र वआप सरकार से एक साथ बैठने और स्कूल व वहां पढ़ रहे छात्रों के भविष्य के संबंध में समाधान ढूंढने के लिए कहा। 

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