दिल्ली की एक कोर्ट निर्भया सामूहिक बलात्कार एवं हत्याकांड के चार दोषियों को तीन मार्च सुबह छह बजे फांसी देने के लिए नया मृत्यु वारंट जारी कर चुकी है। इस बीच तिहाड़ जेल ने दोषियों को उनके परिजनों से आखिरी बार मिलने के लिए के लिए कहा है और पूछा है कि उन्हें कब मुलाकात करनी है।
समाचार एजेंसी एएनआई की रिपोर्ट के अनुसार, तिहाड़ जेल के अधिकारी का कहना है कि निर्भया मामले के चारों दोषियों को परिवारों के साथ उनकी आखिरी मुलाकात के संबंध में कहा गया है। मुकेश और पवन को बताया गया कि वे एक फरवरी को डेथ वारंट से पहले ही अपने परिजनों से मुलाकात कर चुके हैं। अक्षय और विनय से अब पूछा गया है कि वह कब मिलना चाहते हैं?
बता दें, चारों दोषियों -मुकेश कुमार सिंह (32), पवन गुप्ता (25), विनय कुमार शर्मा (26) और अक्षय कुमार (31) को फांसी देने के लिए यह मृत्यु वारंट तीसरी बार जारी किया है। सबसे पहले फांसी देने की तारीख 22 जनवरी तय की गई थी। लेकिन, 17 जनवरी के अदालत के आदेश के बाद इसे टालकर एक फरवरी सुबह छह बजे किया गया था। फिर 31 जनवरी को निचली अदालत ने अगले आदेश तक चारों दोषियों की फांसी की सजा पर रोक लगा दी थी, क्योंकि उनके सारे कानूनी विकल्प खत्म नहीं हुए थे।
जेल अधिकारियों ने बताया कि विनय ने कुछ समय के लिए खाना छोड़ दिया था। उसका स्वभाव चिड़चिड़ा है और अन्य तीन दोषियों की तुलना में उसका बर्ताव भी कुछ अलग है। बाकी के तीनों की तुलना में वह अलग है, अलग तरीके से पेश आता है।
सोलह दिसंबर, 2012 को दक्षिण दिल्ली में एक चलती बस में 23 साल की एक फिजियोथेरेपी प्रशिक्षु के साथ सामूहिक बलात्कार किया गया था और उसपर नृशंस हमला किया गया था। पीड़ता ने सिंगापुर के एक अस्पताल में दम तोड़ दिया था। इस मामले में राम सिंह और एक किशोर समेत छह लोग आरोपी नामजद किये गये थे। पांच बालिग आरोपियों की मार्च, 2013 में त्वरित अदालत में सुनवाई शुरु हुई।
रामसिंह ने सुनवाई शुरू होने के कुछ समय बाद तिहाड़ जेल में कथित रूप से फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। किशोर को तीन साल के सुधार गृह में रखा गया। बताया जाता है कि इस वारदात के दौरान सबसे क्रूर व्यवहार उसी का था। किशोर को 2015 में रिहा कर दिया गया और उसे उसकी जान पर खतरा की चिंता के बीच अज्ञात स्थान पर भेज दिया गया। जब उसे रिहा किया गया तब वह 20 साल का था। मुकेश, विनय,अक्षय और पवन को निचली अदालत ने सितंबर, 2013 में मृत्युदंड सुनाया । चारों ने उसे ऊपरी अदालतों में चुनौती दी।