अरावली क्षेत्र में निर्माण की मंजूरी का बिल पारित करवा कर फंस गई खट्टर सरकार, सुप्रीम कोर्ट से फटकार
By बलवंत तक्षक | Published: March 3, 2019 11:30 AM2019-03-03T11:30:42+5:302019-03-03T11:30:42+5:30
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि हम जानते हैं कि हरियाणा सरकार की मंशा क्या है, लेकिन कोई भी कानून से ऊपर नहीं हो सकता.
हरियाणा विधानसभा में अरावली क्षेत्र में निर्माण की मंजूरी देने संबंधी बिल पारित करवा कर खट्टर सरकार फंस गई है. सुप्रीम कोर्ट ने मनोहर लाल सरकार को इसके लिए फटकार लगाई है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि हरियाणा सरकार नया कानून लागू करने की कोशिश नहीं करे, वरना अवमानना का केस चलेगा. विधानसभा के बजट सत्र में जब यह बिल पेश किया गया, तब कांग्रेस के विधायकों ने इसका भारी विरोध किया था.
विपक्ष के विधायकों की तरफ से यह याद दिलाने के भी प्रयास किए गए कि सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही रोक लगाईं हुई है, लेकिन खट्टर सरकार ने बहुमत के बलबूते बिल को पारित करा लिया. इस बीच सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि नया कानून लागू करने की जरूरत नहीं है, जो अरावली क्षेत्र में निर्माण की इजाजत देता हो. सुप्रीम कोर्ट ने हरियाणा सरकार से कहा है कि आप सुप्रीम नहीं हैं. कानून का शासन ही सर्वोपरि है. सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि हम जानते हैं कि हरियाणा सरकार की मंशा क्या है, लेकिन कोई भी कानून से ऊपर नहीं हो सकता.
गौरतलब है कि खट्टर सरकार की तरफ से पारित कराए गए पंजाब भूमि संरक्षण संशोधन अधिनियम विधेयक-2019 के जरिये अरावली की पहाडि़यों में वन नियमों को ताक पर रख कर अवैध निर्माण को मान्यता देने का रास्ता साफ हो गया था. पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने इस बिल का विरोध करते हुए राज्यपाल के पास अपनी शिकायत दर्ज कराने की बात कही है.
हुड्डा ने कहा कि वे राज्यपाल से मिलने का समय मांग रहे हैं, ताकि उन्हें हकीकत से रूबरू करवाया जा सके. उन्होंने आशंका जाहिर की थी कि यह सैकड़ों करोड़ रु पए का घोटाला है. उधर, कांग्रेस विधायक दल की नेता किरण चौधरी ने बिल पारित करते समय कहा था कि अदालत में चुनौती देने पर यह बिल टिक नहीं पाएगा. उन्होंने कहा था कि चाहते बिल्डरों को फायदा पहुंचाने के मकसद से यह बिल लाया गया है.