हरियाणा विधानसभा चुनाव : 52 साल से बरवाला ने कभी दूसरी बार मौका नहीं दिया किसी विधायक को

By बलवंत तक्षक | Updated: September 30, 2019 08:59 IST2019-09-30T08:59:53+5:302019-09-30T08:59:53+5:30

पांच साल पहले वर्ष 2014 में हुए विधानसभा चुनावों में बरवाला के लोगों ने इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) के उम्मीदवार वेद नारंग को विजयी बनाया था.

Haryana: Barwala has never given a chance to a MLA for the second time in 52 years. | हरियाणा विधानसभा चुनाव : 52 साल से बरवाला ने कभी दूसरी बार मौका नहीं दिया किसी विधायक को

फाइल फोटो

Highlightsवर्ष 2000 के चुनाव में कांग्रेस के जयप्रकाश इनेलो की प्रमिला को हराकर विधानसभा में पहुंचे थे.हरियाणा में 21 अक्तूबर को विधानसभा चुनावों के लिए मतदान होना है.

हरियाणा के हिसार जिले में बरवाला एक ऐसा चुनाव क्षेत्र है, जहां लोगों ने किसी भी विधायक को दूसरी बार विधानसभा में पहुंचने का मौका नहीं दिया. चाहे यह चुनाव क्षेत्र रिजर्व रहा हो या सामान्य, लेकिन किसी भी विधायक को इस क्षेत्र से दोबारा नहीं चुनने की परंपरा आज तक चली आ रही है. पिछले 52 साल के दौरान 12 बार चुनाव हुए हैं और इस क्षेत्र के लोग हर बार जीत का सेहरा नए उम्मीदवार के सिर पर बांधते रहे हैं.

इस इलाके के लोगों का शुरू  से ही चुनाव जीतने वाले अपने विधायकों के लिए एक साफ संदेश रहा है, अगर काम के मामले में लोगों की भावनाओं पर खरे नहीं उतरे तो दोबारा यहां आने की जरूरत नहीं है. इस क्षेत्र से एक बार जीते किसी विधायक के आज तक दूसरी बार विधानसभा में नहीं पहुंच पाने पर आप कह सकते हैं कि बरवाला के
लोग अपने विधायक के कामकाज से कभी भी संतुष्ट हुए ही नहीं.  

पांच साल पहले वर्ष 2014 में हुए विधानसभा चुनावों में बरवाला के लोगों ने इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) के उम्मीदवार वेद नारंग को विजयी बनाया था. नारंग ने भाजपा उम्मीदवार सुरेंद्र पूनिया को शिकस्त दी थी. इससे पहले वर्ष 2009 के चुनावों में इनेलो की शीला भ्याण को हराकर कांग्रेस के रामनिवास घोडेला जीते थे. वर्ष 2005 के चुनावों में जीत का सेहरा कांग्रेस के रणधीर सिंह उर्फ धीरा के सिर पर बंधा था, उन्होंने इनेलो के उमेद सिंह लोहान को मात दी थी.

अगर बरवाला के चुनावी इतिहास पर नजर दौड़ाएं तो पाएंगे कि वर्ष 2000 के चुनाव में कांग्रेस के जयप्रकाश इनेलो की प्रमिला को हराकर विधानसभा में पहुंचे थे. यहां वर्ष 1996 के चुनाव में हरियाणा विकास पार्टी के अनंतराम को हरा कर आजाद उम्मीदवार रेलूराम ने जीत दर्ज की थी. वर्ष 1991 के चुनावों में यहां जनता दल के उम्मीदवार को हराकर कांग्रेस के जोगेंद्र सिंह जोग विधानसभा में पहुंचने में कामयाब रहे थे. वर्ष 1987 के चुनावों में हरियाणा में पूर्व मुख्यमंत्री देवीलाल की लहर थी और इस लहर पर सवार हो कर लोकदल के सुरेंद्र सिंह ने कांग्रेस के इंद्रसिंह नैन को हराकर जबरदस्त जीत हासिल की थी.

बरवाला क्षेत्र से वर्ष 1982 के चुनाव में कांग्रेस के टिकट पर इंद्रसिंह नैन आज़ाद उम्मीदवार जोगेंद्र सिंह जोग को हराने में कामयाब रहे थे, जबकि वर्ष 1977 के चुनावों में यहां से आजाद उम्मीदवार ठंडीराम को शिकस्त दे कर जनता पार्टी के जय नारायण ने जीत हासिल की थी. इससे पहले यह चुनाव क्षेत्र जब रिजर्व था, तब वर्ष 1968 के चुनाव में कांग्रेस के गोवर्धन दास ने बीकेडी के पीरचंद को हरा दिया था. पंजाब से 1966 में हरियाणा के अलग होने के बाद पहली बार वर्ष 1967 में हुए आम चुनावों में कांग्रेस उम्मीदवार पी. सिंह अपने विरोधी एसएसपी उम्मीदवार ए. सिंह को हरा कर विधानसभा में पहुंचे थे.

हरियाणा में 21 अक्तूबर को विधानसभा चुनावों के लिए मतदान होना है. देखना है कि हर बार की तरह इस बार भी बरवाला क्षेत्र के लोग अपने लिए नया विधायक चुनने की परंपरा कायम रख पाते हैं या नहीं? लगता तो ऐसा ही है, लेकिन तस्वीर के पूरी तरह साफ होने के लिए 24 अक्तूबर तक तो इंतजार करना ही पड़ेगा. 

Web Title: Haryana: Barwala has never given a chance to a MLA for the second time in 52 years.

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