हरियाणाः इस बार BJP छू पाएगी 75 सीटों का आंकड़ा? केवल दो बार ही कांग्रेस विरोधी पार्टियां इस आंकड़े को कर पाई हैं पार
By बलवंत तक्षक | Published: August 23, 2019 09:15 AM2019-08-23T09:15:02+5:302019-08-23T09:15:02+5:30
भारतीय जनता पार्टी लंबे समय तक हरियाणा में लोकदल की बैसाखियों के सहारे चुनाव लड़ती रही है. वर्ष 2014 के चुनावों में भाजपा ने पहली बार अपने बलबूते पर 47 सीटें जीत कर सरकार बनाई.
हरियाणा में भाजपा का नारा है, अबकी बार, 75 पार. चाहे भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह हों और चाहे राज्य के मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर, सब एक सुर में कह रहे हैं कि आने वाले विधानसभा चुनावों में उनकी पार्टी 75 से ज्यादा सीटें जीतेगी. हरियाणा में दो महीने बाद विधानसभा चुनाव होने हैं. सबसे बड़ा सवाल यही है कि क्या भाजपा अपने दावे के मुताबिक 75 से ज्यादा सीटें जीत पाएगी?
इससे पहले हरियाणा में केवल दो दफा ही कांग्रेस विरोधी पार्टियां इस आंकड़े को पार कर पाई हैं. उस समय सभी पार्टियां कांग्रेस के खिलाफ एकजुट हो कर मैदान में उतरी थीं. आपातकाल के बाद वर्ष 1977 में हुए विधानसभा चुनाव में जनता पार्टी ने 75 सीटों पर जीत दर्ज की थी.
इससे पहले हरियाणा में विधानसभा की 81 सीटें होती थीं. 1977 के चुनावों में सीटों की तादाद 90 कर दी गई. तब लोगों में आपातकाल को लेकर इतना गुस्सा था कि कांग्रेस केवल 3 सीटों पर सिमट गई थी. वर्ष 1987 के चुनावों में गैर कांग्रेसी पार्टियों ने एक बार फिर चौधरी देवी लाल की अगुवाई में चुनाव लड़ा और राज्य की 90 में से 85 सीटों पर जीत दर्ज की. कांग्रेस को केवल 5 सीटों पर ही संतोष करना पड़ा था.
भाजपा लंबे समय तक हरियाणा में लोकदल की बैसाखियों के सहारे चुनाव लड़ती रही है. वर्ष 2014 के चुनावों में भाजपा ने पहली बार अपने बलबूते पर 47 सीटें जीत कर सरकार बनाई. यह चुनाव प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम पर लड़े गए और पहली बार बनी भाजपा सरकार की बागडोर मनोहर लाल खट्टर को सौंप दी गई.
इस दौरान हरियाणा तीन बार हिंसा की आग (संत रामपाल प्रकरण, जाट आरक्षण और डेरा प्रमुख गुरमीत राम रहीम को दोषी ठहराने के भड़की हिंसा) में झुलसा, लेकिन भाजपा नेतृत्व ने आखिर तक खट्टर पर अपना भरोसा बनाए रखा.
हरियाणा में 75 पार का एजेंडा सेट कर चल रही भाजपा ने मुख्यमंत्री के तौर पर खट्टर का ही चेहरा एक बार फिर आगे किया है. खट्टर की नजर में जिताऊ उम्मीदवारों को ही मैदान में उतारा जाएगा.
लोकसभा चुनावों की तर्ज पर विधानसभा चुनावों में भी राष्ट्रवाद सबसे बड़ा मुद्दा होगा. इसमें धारा-370 हटाने का मुद्दा भी शामिल किया जाएगा.
कांग्रेस में गुटबाजी, इनेलो टूटी पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला की पार्टी इनेलो के टूट कर बिखर जाने और कांग्रेस में जबरदस्त गुटबाजी के चलते भाजपा नेतृत्व को उम्मीद है कि मिशन-75 पार के लक्ष्य को हासिल कर लिया जाएगा.