हरियाणा में क्या पूर्व केंद्रीय मंत्री कुमारी सैलजा की अगुवाई में कांग्रेस एकजुट हो कर चुनाव लड़ पाएगी? दरअसल डॉ. अशोक तंवर के प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष रहते पार्टी कई गुटों में बंट गई थी.
दो महीने बाद हरियाणा में विधानसभा चुनाव होने हैं, लेकिन सत्तारूढ़ पार्टी भाजपा के खिलाफ कोई ठोस रणनीति बनाने के बजाये अभी तक आंतरिक कलह से ही जूझती रही है.
पूर्व सांसद और मौजूदा राज्यसभा सदस्य कुमारी शैलजा को पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी का करीबी माना जाता है. उनके पिता चौधरी दलबीर सिंह भी हरियाणा में कांग्रेस के अध्यक्ष रहे थे और केंद्र सरकार में मंत्री भी. शैलजा मिलनसार और विनम्र मानी जाती हैं, ऐसे में वे सभी गुटों को साथ लेकर चलने की कोशिश करेंगी.
पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा की लड़ाई तंवर को हटवाने की थी. शैलजा के अध्यक्ष बनने पर उन्हें किसी तरह का कोई ऐतराज नहीं है.
कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला, पूर्व मंत्री कैप्टन अजय सिंह यादव और पूर्व मंत्री किरण चौधरी को भी शैलजा के साथ चलने में किसी तरह की कोई दिक्कत नहीं होगी. दिक्कत यह है कि पार्टी संगठन को मजबूत करने के लिए शैलजा को ज्यादा समय नहीं मिल पाएगा. अगले दो महीने के भीतर विधानसभा चुनाव हैं. शैलजा के सिर पर एक तरह से कांटों का ताज रख दिया गया है. उन्हें पार्टी को मजबूत बनाने की चुनौती है.
हुड्डा और मैं अपनी जिम्मेदारी निभाएंगे : शैलजा
हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी की नवनियुक्त अध्यक्ष कुमारी शैलजा ने पार्टी की राज्य इकाई में लंबे समय तक चली अंदरूनी कलह और पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा की अतीत की नाराजगी की पृष्ठभूमि में आज कहा कि सभी नेताओं को पुरानी बातें भूलकर आगे बढ़ना है तथा अब हुड्डा और वह दोनों आगामी विधानसभा चुनाव में अपनी जिम्मेदारी निभाएंगे.'
पिछले दिनों अनुच्छेद 370 पर कांग्रेस के रुख की हुड्डा द्वारा आलोचना किए जाने के सवाल पर शैलजा ने कहा, ‘‘ वह पुरानी बात है. हमें पुरानी बातें भूलकर आगे बढ़ना है. हमें जिम्मेदारी मिली है. हम भी अपनी जिम्मेदारी निभाएंगे, वह भी अपनी जिम्मेदारी निभाएंगे और जो हमारे दूसरे वरिष्ठ नेता हैं वह भी अपनी जिम्मेदारी निभाएंगे. हमारा ध्यान सिर्फ इस चुनाव पर है.’’