हरियाणा: स्काइलार्क कंपनी ने 10 कर्मचारियों को बिना सूचना के निकाला, लेबर कोर्ट पहुंचा मामला
By कोमल बड़ोदेकर | Updated: June 15, 2018 18:54 IST2018-06-15T18:54:58+5:302018-06-15T18:54:58+5:30
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली से सटे गुड़गांव में हाईवे रोड सेफ्टी पर काम करने वाली कंपनी स्काइलार्क ने अपने 10 से कर्मचारियों को बिना किसी पूर्व सूचना के नौकरी से निकाल दिया है। पीड़ित कर्मचारी को बीते डेढ़ महीने का वेतन भी नहीं दिया गया है।

हरियाणा: स्काइलार्क कंपनी ने 10 कर्मचारियों को बिना सूचना के निकाला, लेबर कोर्ट पहुंचा मामला
नई दिल्ली, 15 जून। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली से सटे गुड़गांव में हाईवे रोड सेफ्टी पर काम करने वाली कंपनी स्काइलार्क ने अपने 10 कर्मचारियों को बिना किसी पूर्व सूचना के नौकरी से निकाल दिया है। मामला करीब 15 दिन पुराना है जहां स्काय लार्क कंपनी में बीते चार सालों यानी साल 2014 से हाईवे रोड सेफ्टी के लिए कंट्रोल रूम में काम करने वाले 10 कर्मचारियों को कंपनी ने बिना नोटिस दिए टर्मिनेट कर दिया।
इस मामले में जानकारी देते हुए पीड़ित कर्मचारी हरीश ने बताया कि हम बीते चार सालों से यहां कंट्रोल रूप में मॉनीटरिंग का काम कर रहे हैं लेकिन हमें अचानक बिना किसी कारण और बिना कोई नोटिस दिए हुए निकाल दिया गया। उन्होंने बताया कि हम कंट्रोल रूम में लाइव सीसीटीवी फुटेज के माध्यम से हाईवे से गुजरने वाले वाहनों पर नजर रखते थे। इस दौरान अगर कोई हादसा या एक्सीडेंट होता था तो हम तो हम उसे रेस्क्यु करते थे।
#Gurgaon: #Skylark company has removed 10 employees without any notice, didn't get 45 days of salary. filed complaint in labour court. pic.twitter.com/cuErihrVml
— komal badodekar (@komalbadodekar) June 15, 2018
वहीं इस मामले में एक अन्य कर्मचारी देवेंद्र ने बताया कि, हमें बिना किसी सूचना के निकाला गया है। हमारी डेढ़ महीने की थंख्वा रुकी हुई है। हम कई बार स्काइलार्क कंपनी के चक्कर के काट चुके हैं लेकिन अब तक हमारा मेहनताना नहीं मिला है। हमें प्रतिमाह 16 हजार रुपये मिलते थे।
इस मामले में हमने लेबर कोर्ट में भी याचिका दाखिल की है जहां बीते गुरूवार को हुई सुनवाई के दौरान कंपनी की ओर से पैरवी कर रहे वकील और कंपनी के लीगल एडवाइजर रामेश्वर ने कंपनी के मालिक और अपने उच्च अधिकारियों से इस मामले में बात करने की दलील दी। इस मामले में लेबर कोर्ट अब 21 जून को सुनवाई करेगी।
वहीं इस मामले में जब हमने कंपनी के मालिक नवनीत प्रताप सिंह और स्काइलार्क कंपनी के संबंधित अधिकारियों से कई बार संपर्क करने की कोशिश की गई लेकिन उन्होंने कोई रिस्पोंस नहीं दिया। बता दें कि कंपनी नियमों के मुताबिक, किसी कर्मचारी को निकालने से पहले कंपनी कर्मचारी को एक महीने पहले सूचित करती है। वहीं अगर अचानक किसी कर्मचारी को टर्मिनेट या निकाला जाता है तो उसे बतौर मुआवजा तीन महीने की सैलरी दी जाती है।
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