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गुजरात: अंबाजी मंदिर के प्रसाद विवाद पर सरकार ने दी सफाई, बोली- "चिक्की की शेल्फ लाइफ मोहनथाल से ज्यादा होती है"

By आशीष कुमार पाण्डेय | Updated: March 12, 2023 15:50 IST

गुजरात के बनासकांठा स्थित विश्व प्रसिद्ध अंबाजी मंदिर में भक्तों के द्वारा चढ़ाये जाने वाले प्रसाद में परिवर्तन करके प्रदेश सरकार फंसती जा रही है। पहले भक्तों द्वारा प्रसाद के तौर पर मोहनथाल चढ़ाने की परंपरा था, जिसमें मंदिर प्रशासन द्वारा बदलाव करते हुए मोहनथाल की जगह चिक्की कर दिया गया है।

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ठळक मुद्देगुजरात के अंबाजी मंदिर में चढ़ाये जाने वाले प्रसाद में परिवर्तन करके फंसती जा रही है सरकारअंबाजी मंदिर में सदियों से प्रसाद के तौर पर मोहनथाल चढ़ाने की परंपरा थीलेकिन अब मंदिर प्रशासन मोहनथाल की जगह प्रसाद के तौर पर चिक्की का वितरण कर रही है

बनासकांठा: गुजरात सरकार विश्व प्रसिद्ध अंबाजी मंदिर में भक्तों के द्वारा चढ़ाये जाने वाले प्रसाद में परिवर्तन करके फंसती जा रही है। बताया जा रहा है कि पहले भक्तों द्वारा प्रसाद के तौर पर मोहनथाल चढ़ाने की परंपरा था, जिसमें मंदिर प्रशासन द्वारा बदलाव करते हुए मोहनथाल की जगह चिक्की कर दिया गया।

चूंकि मंदिर प्रशासन सरकार की ओर बनाया गया है और जिलाधिकारी इसके पदेन प्रमुख हैं। इस कारण मामले में सीधे तौर पर राज्य सरकार को नाराजगी का सामना करना पड़ रहा है।

बीते शनिवार को विश्व हिंदू परिषद ने बनासकांठा के विश्व प्रसिद्ध अंबाजी मंदिर के प्रसाद में बदलाव का भारी विरोध किया। विहिप ने बनासकांठा जिला प्रशासन पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया है। जिसके जवाब में गुजरात सरकार ने कहा कि यह मोहनथाल की जगह 'चिक्की' को प्रसाद की तौर पर इसलिए रखा गया है क्योंकि इसकी शेल्फ लाइफ मोहनथाल की तुलना में अधिक होती है।

इसके साध ही जिला प्रशासन ने जो तर्क दिया है, उसके अनुसार जो भी मां के भक्त सशारीर अंबाजी मंदिर में उपस्थित नहीं हो सकते हैं और ऑनलाइन दर्शन करने वाले भक्त प्रसाद के तौर पर मोहनथाल की जगह चिक्की ऑनलाइन माध्यम से मंगवा सकते हैं।

प्रशासन का कहना है कि मोहनथल की शेल्फ लाइफ केवल सात से आठ दिन है जबकि चिक्की की शेल्फ लाइफ ज्यादा होती है। इस कारण से मंदिर प्रशासन ने मोहनथाल की जगह 'चिक्की'को प्राथमिकता दी है। चूंकि चिक्की मेवे और मूंगफली के साथ बनाई जाती है इस कारण से लगभग 90 दिनों तक खराब नहीं होती है।

गुजरात सरकार के मंत्री ऋषिकेश पटेल ने इस विवाद पर कहा कि मंदिर का प्रसाद पूरी तरह से आस्था का विषय है। उन्होंने कहा, "यह विवाद किसी स्वादिष्ट व्यंजन के लिए  नहीं है क्योंकि चिक्की लंबे समय तक चलती है और इसे देश-विदेश में बैठे अंबाजी मंदिर के भक्त ऑनलाइन भी मंगा सकते हैं। इस कारण से मंदिर प्रशासन ने मोहनथाल की जगह चिक्की को बतौर प्रसाद तय किया गया है।"

उन्होंने कहा कि बीते दो साल की अवधि में फैली कोविड महामारी के दौरान लगभग 1.25 करोड़ लोगों ने अंबाजी मंदिर का ऑनलाइन दर्शन किया था। इस कारण ऑनलाइन प्रसाद की मांग को देखते हुए मोहनथाल की जगह चिक्की को शामिल किया गया है।

लेकिन सरकार के इस कदम के बाद बनासकांठा में भारी विवाद हो रहा है। विहिप ने अंबाजी मंदिर के मोहनथाल को प्रसाद के तौर पर वापसी के लिए तीव्र आंदोलन छेड़ दिया है। गुजरात विहिप प्रवक्ता हितेंद्रसिंह राजपूत ने प्रसाद विवाद पर कहा, "हमने सरकार पर फैसला वापस लेने के लिए विहिप राज्य सचिव अशोक रावल और उप सचिव अश्विन पटेल सहित लगभग 300-400 कार्यकर्ताओं के साथ विरोध प्रदर्शन किया।"

विहिप के अलावा इस मुद्दे को लेकर गुजरात विधानसभा में प्रदर्शन कर रहे कांग्रेस विधायकों को बीते शुक्रवार को विधानसभा अध्यक्ष द्वारा सदन से निलंबित कर दिया गया था।

कांग्रेस को इस मुद्दे पर राजनीति न करने की सलाह देते हुए गुजरात सरकार के मंत्री ऋषिकेश पटेल ने कहा कि कांग्रेस बिना कारण के इस मुद्दे पर राजनीति कर रही है, जबकि मोहनथाल को चिक्की से बदलने का फैसला हाल ही में नहीं लिया गया था। मंदिर में चिक्की के भोग लगाने की परंपरा भी पुरानी है और भक्त मोहनथाल के साथ-साथ चिक्की भी अंबाजी मंदिर में चढ़ाते हैं।

टॅग्स :बनासकांठागुजरातवीएचपी
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