गुजरात चुनावः भारत का मिनी 'अफ्रीकी गांव जम्बूर' पहली बार खुद के बूथ पर कर रहा मतदान, पारंपरिक नृत्य और पकवान बनाकर मनाया जश्न, देखें
By अनिल शर्मा | Updated: December 1, 2022 13:59 IST2022-12-01T09:17:32+5:302022-12-01T13:59:30+5:30
जम्बूर गांव के वरिष्ठ नागरिक रहमान ने कहा, हम बरसों से इस गांव में रह रहे हैं। लेकिन ऐसा पहली बार हो रहा है जिससे हमें बहुत खुशी हो रही है। रहमान बताते हैं कि उनके पूर्वज अफ्रीका से हैं और वे कई साल पहले भारत आए थे।

गुजरात चुनावः भारत का मिनी 'अफ्रीकी गांव जम्बूर' पहली बार खुद के बूथ पर कर रहा मतदान, पारंपरिक नृत्य और पकवान बनाकर मनाया जश्न, देखें
जम्बूरः गुजरात चुनाव यहां के जनजातीय समुदाय के लिए खुशियां लेकर आया है। गुजरात का जम्बूर गांव जिसे भारत का मिनी अफ्रिका कहा जाता है, पहली बार खुद के बूथ पर मतदान करने जा रहा है। इस समुदाय के लिए पहली बार चुनाव आयोग ने विशेष जनजातीय बूथ बनाया है। इस अवसर पर उन्होंने पारंपरिक नृत्य कर, अच्छे पकवान बनाकर अपनी खुशियां जाहिर कीं। इससे पहले यह समुदाय बगल के गांव में जाकर अपना मतदान करता था।
जम्बूर गांव के वरिष्ठ नागरिक रहमान ने समचार एजेंसी एएनआई से कहा कि यह बहुत खुशी की बात है कि चुनाव आयोग ने हमें वोट देने के लिए एक विशेष बूथ बनाने का फैसला किया है। हम बरसों से इस गांव में रह रहे हैं। लेकिन ऐसा पहली बार हो रहा है जिससे हमें बहुत खुशी हो रही है। उन्होंने कहा कि हमें अब आजादी मिली है। हालांकि अभी और भी मिलनी बाकी है। रहमान बताते हैं कि उनके पूर्वज अफ्रीका से हैं और वे कई साल पहले भारत आए थे।
#WATCH गुजरात के मिनी अफ्रीकी गांव जम्बूर के लोगों ने अपने विशेष आदिवासी बूथ में मतदान करने का पहला अवसर मिलने पर जश्न मनाया। (30.11)#GujaratElectionspic.twitter.com/S6qDsAcAi5
— ANI_HindiNews (@AHindinews) December 1, 2022
बकौल रहमान- 'जब जूनागढ़ में किला बन रहा था तो हमारे पूर्वज काम के लिए यहां आए थे, पहले हम रतनपुर गांव में बसे और फिर धीरे-धीरे जांवर गांव में बस गए।' रहमान ने कहा कि हमें सिद्दी आदिवासी समुदाय का दर्जा मिला है।
तलाला से तीसरी बार निर्दलीय चुनाव लड़ रहे अब्दुल मगुज भाई
रहमान ने कहा कि हमारे पूर्वज भले ही अफ्रीका से हैं लेकिन हम भारत और गुजरात की परंपरा का पालन करते हैं। तलाला से निर्दलीय चुनाव लड़ने वाले अब्दुल मगुज भाई ने कहा कि क्षेत्र में स्थानीय समुदाय पीड़ित है।
उन्होंने बताया, गांव दो नदियों के बीच में स्थित है। यहां सब मिलजुल कर रहते हैं। मैं यहां से तीसरी बार चुनाव लड़ रहा हूं। हम चाहते हैं कि हम भी विधानसभा जाएं। हमें अधिकार इसलिए मिलते हैं ताकि हम और अच्छा काम कर सकें।''
अब्दुल मगुज ने आगे कहा, ''हमें भारत का अफ्रीका कहा जाता है। हम सिद्धि आदिवासी समुदाय के रूप में जाने जाते हैं। सरकार आदिवासियों को मदद देती रहती है, इसमें कोई समस्या नहीं है, लेकिन हमारे स्थानीय समुदाय को यहां तकलीफ होती है, हमें उतनी सुविधा नहीं मिलती है। आदिवासी अपने रास्ते पर चलते हैं।''
मगुज कहते हैं कि उन्होंने यहां की समस्याओं से सरकार को भी अवगत कराया। लिखित रूप में यहां की समस्याएं बताईं, लेकिन हमारा समुदाय यहां एक जनजाति बन जाता है और हर कोई अपने रास्ते का पालन करता है, इसलिए समस्या होती है। वे बिना किसी कारण के सरकार को बदनाम करते हैं।
मगुज भाई ने कहा कि खेती समुदाय का मुख्य व्यवसाय है। इसके अलावा जस सिद्धि आदिवासी नृत्य करते हैं। इसी से उनकी आमदनी होती है। उन्होंने कहा कि हमारे समुदाय के लोग खेती के अलावा स्थानीय जस सिद्धि आदिवासी नृत्य करते हैं। जहां भी पर्यटक आते हैं, विभिन्न स्थानों पर कार्यक्रम किए जाते हैं। यह हमारी आय का स्रोत भी है।
गौरतलब है कि गुजरात विधानसभा चुनाव के पहले चरण के लिए गुरुवार को गुजरात के 18 जिलों की 182 सीटों में से 89 पर मतदान हो रहा है। बाकी सीटों पर दूसरे चरण में पांच दिसंबर को मतदान होगा।
भारत निर्वाचन आयोग के अनुसार, मतदान सुबह 8 बजे शुरू होगा और शाम 5 बजे समाप्त होगा। कुल 39 राजनीतिक दल चुनाव लड़ रहे हैं और 718 पुरुष उम्मीदवारों और 70 महिला उम्मीदवारों सहित 788 उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है।
गुजरात चुनाव के पहले चरण में कुल 2,39,76,670 मतदाता, जिनमें 1,24,33,362 पुरुष, 1,1,5,42,811 महिलाएं और 497 तीसरे लिंग के मतदाता शामिल हैं, मतदान करने के पात्र हैं। 4 लाख से अधिक पीडब्ल्यूडी मतदाता वोट डालने के पात्र हैं। लगभग 9.8 लाख वरिष्ठ नागरिक मतदाता (80+) और लगभग 10,000 मतदाता जो 100 और उससे अधिक हैं, मतदान करने के पात्र हैं।