सरकार सुनिश्चित करे कि शराब खरीदने वालों से पशुओं की तरह व्यवहार नहीं किया जाए: केरल उच्च न्यायालय

By भाषा | Updated: September 16, 2021 17:04 IST2021-09-16T17:04:43+5:302021-09-16T17:04:43+5:30

Government should ensure that those who buy liquor are not treated like animals: Kerala High Court | सरकार सुनिश्चित करे कि शराब खरीदने वालों से पशुओं की तरह व्यवहार नहीं किया जाए: केरल उच्च न्यायालय

सरकार सुनिश्चित करे कि शराब खरीदने वालों से पशुओं की तरह व्यवहार नहीं किया जाए: केरल उच्च न्यायालय

कोच्चि, 16 सितंबर केरल उच्च न्यायालय ने बृहस्पतिवार को कहा कि यह सुनिश्चित करना आबकारी विभाग की जिम्मेदारी होगी कि सरकारी पेय पदार्थ निगम (बेवको) की दुकानों समेत अन्य दुकानों पर शराब खरीदने आने वाले लोगों के साथ ‘‘पशुओं की भांति’’ व्यवहार नहीं किया जाए और यह देखने वाले लोगों को ‘‘शर्मिंदगी’’ नहीं हो।

न्यायमूर्ति देवन रामचंद्रन ने कहा, ‘‘आप (आबकारी विभाग) एक कानूनी प्राधिकारी हैं। आपको यह सुनिश्चित करना होगा कि इन दुकानों पर शराब खरीदने आने वाले लोगों के साथ पशुओं की तरह व्यवहार नहीं किया जाए और जो लोग शराब को इस तरह बेचा जाता देखते हैं, उन्हें उपहास या शर्मिंदगी का पात्र नहीं बनना पड़े। शराब की दुकानों के बाहर कतारें देखकर मुझे स्वयं को शर्मिंदगी होती है।’’

उन्होंने कहा कि हालांकि कुछ लोगों को लगता है कि हमें इस बात पर गर्व करना चाहिए कि लोग इन दुकानों के बाहर ‘‘अनुशासित तरीके से’’ पंक्तिबद्ध खड़े रहते हैं। उन्होंने आबकारी विभाग को निर्देश दिया कि वह शराब की दुकानों के कामकाज को अदालत के पूर्व के आदेश के स्तर तक लाने के लिए उठाए गए कदमों को लेकर एक महीने के भीतर एक रिपोर्ट दाखिल करे।

अदालत ने कोट्टायम की एक महिला के पत्र का जिक्र करते हुए मामले की सुनवाई शुरू की, जिसमें उसने अपने इलाके में एक बैंक के निकट शराब की दुकान स्थानांतरित किए जाने पर चिंता व्यक्त की थी। महिला ने सात सितंबर को लिखे पत्र में कहा था कि महिलाओं एवं लड़कियों के लिए इस प्रकार की दुकानों के पास से गुजरना मुश्किल होता है।

अदालत ने आबकारी विभाग और बेवको दोनों से कहा कि वे महिला द्वारा पत्र में उठाए गए मामले पर गौर करे। उसने आबकारी विभाग से यह भी कहा कि यदि अदालत को इस मामले में भविष्य में कोई ऐसी शिकायत मिलती है, तो उसे ही जिम्मेदार या जवाबदेह ठहराया जाएगा।

अदालत ने एक अवमानना याचिका पर सुनवाई के दौरान यह टिप्पणी की। यह याचिका अदालत के 2017 के फैसले का पालन न करने का आरोप लगाते हुए दायर की गई है। अदालत ने राज्य सरकार और बेवको को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया गया था कि त्रिशूर में बेवको की दुकान के कारण व्यवसायों और निवासियों को कोई परेशानी न हो।

सुनवाई के दौरान बेवको के वकील ने सुझाव दिया कि अदालत को मिले हर पत्र पर गौर नहीं किया जाना चाहिए। इस पर अदालत ने कहा, ‘‘मैंने आपको कितने पत्रों के बारे में बताया है? आपको बता दूं कि केवल एक ही पत्र नहीं मिला है। मुझे अब तक इस मामले पर कम से कम 50 पत्र मिल चुके हैं। मैंने केवल वह पत्र लिया जो मेरे अनुसार प्रासंगिक था।’’

न्यायाधीश ने कहा कि यह पत्र इंगित करता है कि इस तरह की दुकानों के अपने क्षेत्रों के पास खुलने से "लोग डरे हुए हैं" और महिलाएं इसकी शिकायत करने से भी डरती हैं।

न्यायमूर्ति रामचंद्रन ने कहा कि किसी को ऐसी दुकानों के खिलाफ शिकायत करने के लिए बहुत साहस चाहिए और उन्होंने आबकारी विभाग को निर्देश दिया, ‘‘मैं चाहता हूं कि इस मामले में तुरंत कदम उठाया जाए।’’

अदालत ने इस मामले को अगली सुनवाई के लिए 18 अक्टूबर को सूचीबद्ध किया है।

इससे पहले, केरल उच्च न्यायालय ने दो सितंबर को कहा था कि अगर उसने बेवको की शराब की दुकानों के बाहर कतारें कम करने के लिए हस्तक्षेप नहीं किया होता तो ''हम एक विनाशकारी टाइम बम पर बैठे होते।

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