कूनो नेशनल पार्क के पास चीता सफारी की योजना बना रही है सरकार, एक साल पहले शुरू हुआ था 'प्रोजेक्ट चीता'

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: September 17, 2023 05:22 PM2023-09-17T17:22:43+5:302023-09-17T17:24:33+5:30

देश में चीतों के विलुप्त होने के बाद उन्हें फिर से बसाने की भारत की महत्वाकांक्षी पहल ‘प्रोजेक्ट चीता’ की रविवार को पहली वर्षगांठ है। यह पहल पिछले साल 17 सितंबर को उस समय शुरू हुई थी, जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने नामीबिया से लाए गए चीतों के एक समूह को मध्य प्रदेश के कूनो राष्ट्रीय उद्यान के एक बाड़े में छोड़ा था।

government planning cheetah safari near Kuno National Park 'Project Cheetah' | कूनो नेशनल पार्क के पास चीता सफारी की योजना बना रही है सरकार, एक साल पहले शुरू हुआ था 'प्रोजेक्ट चीता'

भारत की महत्वाकांक्षी पहल ‘प्रोजेक्ट चीता’ की रविवार को पहली वर्षगांठ है

Highlightsकूनो नेशनल पार्क (केएनपी) के पास चीता सफारी की योजना चल रही हैमहत्वाकांक्षी पहल ‘प्रोजेक्ट चीता’ की रविवार को पहली वर्षगांठ हैयह पहल पिछले साल 17 सितंबर को शुरू हुई थी

भोपाल: मध्य प्रदेश में कूनो नेशनल पार्क (केएनपी) के पास चीता सफारी की योजना चल रही है। प्रोजेक्ट चीता के प्रमुख एसपी यादव के अनुसार, परियोजना के लिए भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया जारी है। रिपोर्टों से पता चलता है कि यह पहल न केवल पर्यटकों के लिए एक विशिष्ट अनुभव प्रदान करेगी बल्कि विशेष रूप से स्थानीय युवाओं के लिए रोजगार के अवसर भी पैदा करेगी।

प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले साल अपने जन्मदिन पर कूनो नेशनल पार्क में देश में फिर से चीतों को बसाने का महात्वाकांक्षी प्रोजेक्ट शुरू किया था। चीतों की प्रजाति जो भारत में लंबे समय पहले विलुप्त हो गई थी, उसे दोबारा बसाने की प्रक्रिया जारी है। 

देश में चीतों के विलुप्त होने के बाद उन्हें फिर से बसाने की भारत की महत्वाकांक्षी पहल ‘प्रोजेक्ट चीता’ की रविवार को पहली वर्षगांठ है। यह पहल पिछले साल 17 सितंबर को उस समय शुरू हुई थी, जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने नामीबिया से लाए गए चीतों के एक समूह को मध्य प्रदेश के कूनो राष्ट्रीय उद्यान के एक बाड़े में छोड़ा था। तब से, इस परियोजना पर दुनिया भर के संरक्षणवादी और विशेषज्ञ निकटता से नजर रख रहे हैं। नामीबिया और दक्षिण अफ्रीका से कूनो में दो समूहों में 20 चीते लाए गए थे, लेकिन मार्च के बाद से इनमें से छह वयस्क चीतों की विभिन्न कारणों से मौत हो गई है। मादा नामीबियाई चीता के चार शावकों में से तीन की अत्यधिक गर्मी के कारण मई में मौत हो गई। 

‘प्रोजेक्ट चीता’ के प्रमुख एस पी यादव के अनुसार, भारत में चीतों के प्रबंधन के पहले वर्ष में सामने आई सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक चुनौती यह थी कि (जून से सितंबर तक) अफ्रीका में सर्दी का मौसम होने के अनुसार अनुकूलन प्रक्रिया के चलते कुछ चीतों के शरीर पर ‘शीतकालीन कोट’ का विकास हो गया, जबकि भारत में गर्मी और मानसून का मौसम था। 

चीतों की मौत का कारण बताते हुए एस पी यादव ने कहा कि अत्यधिक नमी और गर्मी के कारण चीतों को खुजली की परेशानी होने लगी, जिसके कारण उन्होंने पेड़ों और जमीन से स्वयं को रगड़कर खुजलाना शुरू कर दिया। यादव ने बताया कि इसके कारण उनकी त्वचा पर घाव हो गए जहां मक्खियों ने अपने अंडे दिए, जिसके परिणामस्वरूप कीड़ों का संक्रमण हुआ और अंततः जीवाणु संक्रमण तथा सेप्टीसीमिया से कई चीतों की मौत हो गई। उन्होंने बताया कि चीतों की मौत का कारण पता चलते ही उन्हें बाड़ों में वापस लाया गया और एहतियातन दवा दी गई तथा अब वे सभी स्वस्थ हैं। 

इस बीच  नामीबिया आधारित ‘चीता संरक्षण कोष’ (सीसीएफ) ने कहा है कि भारत में चीतों को फिर से बसाने की परियोजना के पहले साल की उल्लेखनीय यात्रा असफलताओं एवं सफलताओं से भरपूर रही और यह परियोजना पटरी पर है। सीसीएफ की संस्थापक लॉरी मार्कर ने इन परियोजनाओं का मसौदा तैयार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है और 2009 से कई बार भारत की यात्रा की है।  

Web Title: government planning cheetah safari near Kuno National Park 'Project Cheetah'

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