कहीं आपका बच्चा भी तो नहीं जंक फूड का आदी- रहें सावधान, हो सकती हैं ये बीमारियां

By ऐश्वर्य अवस्थी | Published: February 8, 2018 06:41 PM2018-02-08T18:41:58+5:302018-02-08T19:31:05+5:30

केंद्र सरकार ने बच्चों को ध्‍यान में रखते हुए कार्टून चैनलों पर आने वाले कुछ विज्ञापनों पर प्रतिबंध लगाने का फैसला किया है, सरकार ने कार्टून चैनलों पर आने वाले जंक-फूड और कोका-कोला के विज्ञापनों को बैन करने की योजना बनाई है।

government informs cartoon channels can not broadcast junk food | कहीं आपका बच्चा भी तो नहीं जंक फूड का आदी- रहें सावधान, हो सकती हैं ये बीमारियां

कहीं आपका बच्चा भी तो नहीं जंक फूड का आदी- रहें सावधान, हो सकती हैं ये बीमारियां

केंद्र सरकार ने बच्चों को ध्‍यान में रखते हुए कार्टून चैनलों पर आने वाले कुछ विज्ञापनों पर प्रतिबंध लगाने का फैसला किया है, सरकार ने कार्टून चैनलों पर आने वाले जंक-फूड और कोका-कोला के विज्ञापनों को बैन करने की योजना बनाई है। मोदी सरकार ने 'जंक फूड' के खिलाफ बड़ा फैसला लिया  है। जिसमें कोका कोला, नेस्ले समेत 9 कंपनियों को निर्देश दिया गया है कि अब वह किसी भी कार्टून चैनल पर विज्ञापन नहीं दिखाए जाएंगे। सरकार के मुताबिक  विज्ञापनों पर रोक लगाकर बच्चों को जंक फूड से बचाए जानने की एक कोशिश है। दरअसल हाल हा में सामने आया है कि दिल्ली-एनसीआर के बड़े प्राइवेट स्कूलों के छात्रों का वजन अधिक मात्रा में बढ़ रहा है, जिसकी बड़ी बजह फास्ट फूड है।

एम्स और बायोटेक्नोलॉजी विभाग ने एक अध्ययन को पेश किया है। जिसमें ढाई साल तक 7,000 छात्रों का सर्वे किया गया है। इस सर्वे के अनुसार दिल्ली के  निजी स्कूल में हर तीसरा बच्चा आज के समय में मोटापे में ग्रसि्त पाया जा रहा है। इतना ही नहीं पांचवीं से लेकर बारहवीं कक्षा के छात्रों पर भी अध्ययन किया गया। वहीं, खास बात ये है कि सरकार द्वारा संचालित विद्यालयों के स्कूली बच्चों की स्वास्थ्य स्थिति बेहतर रही।

क्या कहते हैं विशेषज्ञ

दिल्ली एम्स के निदेशक राणदीप गुलेरिया का इस पर कहना है कि निजी स्कूलों के बच्चे अपने रोजमर्रा के आवश्यक आहार से चार गुना ज्यादा खा रहे हैं, जिसके कारण उनको हेल्थ पर खराब असर डाल रहा है। इन स्कूलों में बच्चों के खाने संबंधी आदतें और जंक फूड का अधिक सेवन जुड़ा है। इस तरह के खाने की चीजों के कारण बच्चों में बढ़ते  मोटापा से इन बच्चों में कम उम्र में डायबिटीज, ऑब्स्ट्रक्टिव स्लीप एपनिया (ओएसए) जैसी बीमारियों की भी संभावना बढ़ रही है।

स्कूली बच्चों का बढ़ता वजन

इस सर्वे में लगभग 90 बच्चों में ओएसए के लक्षण पाए गए हैं, जैसे कि खर्राटे, सांस लेने में परेशानी आदि इसके लक्षण हैं। 40 बच्चों में प्री- डाइबैटिक के लक्षण देखे गए। अधिक मात्रा में वजन बढ़ने की समस्या में दिल्ली के कई नामीं स्कूलों नाम सामने आया है। जिसमें दिल्ली पब्लिक स्कूल, ब्लू बेल, सलवान स्कूल, ग्रीन फील्ड, स्प्रिंगडेल्स, फादर एजेंल्स, माउंट कार्मेल, बाल भारती, भटनागर इंटरनेशनल, टिनू पब्लिक स्कूल, सेंट मैरीज और एअर फोर्स गोल्डन  जैसे स्कूल टॉप पर हैं।

वजन पर आर्थिक स्तर का पड़ता असर

वजन पर आर्थिक स्तर का भी सीधा असर पाया गया है। सर्वे के मुताबिक पैसे से समृद्ध परिवार मोटापे का शिकार ज्यादा हो रहे हैं। खास बात ये है कि मोटापे से प्रभावित बच्चों के कई माता-पिता ने काउंसलिंग में भाग लेने के लिए एम्स के निमंत्रण से इनकार कर देते हैं।

इन बीमारियों की है संभावना

 70% से 80% स्कूली बच्चों में मोटापा वयस्कता तक रह सकती है।  इन बच्चों को 20 या 30 के दशक में मधुमेह  खतरा उम्र से पहले बढ़ रहा है। इतना ही नहीं अननैचुरल फैशियल हेयर, उच्च रक्तचाप, उच्च कॅालेस्ट्रॅाल की समस्या भी हो सकती है। खबर के मुताबिक भारत में लगभग 36% बाल रोगी आबादी (0-18 वर्ष) जीवनशैली संबंधी विकारों से ग्रस्त हैं, जिनमें से 25% से 35% उच्च रक्तचाप, अस्थमा, किडनी और लिवर की बीमारी या विटामिन डी की कमी जैसी अन्य सह-रोगी स्थितियों के साथ अधिक वजन और 15% से 18% बचपन के मोटापा से पीड़ित हैं। 
 

Web Title: government informs cartoon channels can not broadcast junk food

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