नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने गुरुवार को नई ड्रोन नीति की घोषणा कर दी। नए ड्रोन नियम 2021 के तहत, ड्रोन का कवरेज 300 किलोग्राम से बढ़ाकर 500 किलोग्राम कर दिया गया है। साथ ही इसमें भारी पेलोड और ड्रोन टैक्सी भी शामिल होंगे।
इसके अलावा, नए ड्रोन नियम में किसी भी पंजीकरण या लाइसेंस जारी करने से पहले सुरक्षा मंजूरी को हटा दिया गया है। फीडबैक के आधार पर नागरिक उड्डयन मंत्रालय (MoCA) ने कहा कि उसने UAS नियम 2021 को रद्द करने और इसके बदले ज्यादा उदार ड्रोन नियम का निर्णय लिया गया है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी नए ड्रोन नियमों की सराहना करते हुए कहा कि ये भारत में इस क्षेत्र के लिए एक ऐतिहासिक क्षण की शुरुआत है। पीएम मोदी ने कहा कि नए नियम स्टार्ट-अप और इस क्षेत्र में काम करने वाले युवाओं की काफी मदद करेंगे।
Drone Rules 2021: नए ड्रोन नियम की 15 बड़ी बातें
1) नागरिक उड्डयन मंत्रालय के अनुसार कई अप्रूवल लेने की प्रक्रिया को खत्म कर दिया गया है। इसमें यूनिक ऑथोराइजेशन नंबर, यूनिक प्रोटोटाइप पहचान संख्या, विनिर्माण और उड़ान योग्यता का प्रमाण पत्र, रखरखाव का प्रमाण पत्र, आयात मंजूरी, मौजूदा ड्रोन की स्वीकृति, ऑपरेटर परमिट, स्टूडेंट रिमोट पायलट लाइसेंस, रिमोट पायलट प्रशिक्षक ऑथोराइजेशन, ड्रोन पोर्ट ऑथोराइजेशन आदि प्रक्रियाएं शामिल हैं, जिन्हें खत्म किया गया है।
2) फॉर्म की संख्या 25 से घटाकर 5 कर दी गई है। वहीं, कई शुल्क के प्रकार 72 से घटाकर 4 किए गए हैं।
3) शुल्क को भी काफी घटाया गया है। उदाहरण के लिए सभी श्रेणी के ड्रोनों के लिए रिमोट पायलट लाइसेंस शुल्क 3,000 रुपये (बड़े ड्रोन के लिए) से घटाकर 100 रुपये कर दिया गया है और यह 10 साल के लिए वैध होगा।
4) डिजिटल स्काई प्लेटफॉर्म को उपयोगकर्ता के अनुकूल सिंगल-विंडो सिस्टम के रूप में विकसित किया जाएगा। इन नियमों के प्रकाशन के 30 दिनों के भीतर डिजिटल स्काई प्लेटफॉर्म पर हरे, पीले और लाल क्षेत्रों के साथ इंटरएक्टिव हवाई क्षेत्र का नक्शा प्रदर्शित किया जाएगा।
5) ग्रीन जोन में ड्रोन के संचालन के लिए अब किसी इजाजत की जरूरत नहीं है। ग्रीन जोन का मतलब 400 फीट या 120 मीटर की वर्टिकल दूरी तक का क्षेत्र है जिसे हवाई क्षेत्र के नक्शे में रेज जोन या येलो जोन के रूप में नहीं रखा गया है।
6) एयरपोर्ट की परिधि से येलो जोन 45 किमी से घटाकर 12 किमी किर दिया गया है।
7) माइक्रो ड्रोन (गैर-व्यावसायिक उपयोग) और नैनो ड्रोन के लिए रिमोट पायलट लाइसेंस की आवश्यकता अब नहीं होगी।
8) किसी भी पंजीकरण या लाइसेंस को जारी करने से पहले सुरक्षा मंजूरी की कोई आवश्यकता नहीं होगी।
9) अब भारतीय ड्रोन कंपनियों में विदेशी स्वामित्व पर कोई प्रतिबंध नहीं होगा। ड्रोन के आयात को डीजीएफटी नियंत्रित करेंगी।
10) डीजीसीए से आयात मंजूरी की जरूरत को भी खत्म कर दिया गया है। नए ड्रोन नियम, 2021 के तहत ड्रोन का कवरेज अब 300 किलोग्राम से बढ़ाकर 500 किलोग्राम किया गया है। इसमें ड्रोन टैक्सियां भी शामिल होंगी।
11) डीजीसीए ड्रोन प्रशिक्षण आवश्यकताओं को निर्धारित करेगा। साथ ही ड्रोन स्कूलों की निगरानी करेगा और पायलट लाइसेंस ऑनलाइन देगा।
12) अधिकृत ड्रोन स्कूल से सर्टिफिकेट प्राप्त करने के बाद 15 दिनों के भीतर डीजीसीए द्वारा रिमोट पायलट लाइसेंस जारी किया जाएगा।
13) टाइप सर्टिफिकेट के लिए ड्रोन की टेस्टिंग क्वॉलिटी काउंसिल ऑफ इंडिया या अधिकृत परीक्षण संस्थाओं की ओर से जारी होगा।
14) टाइप सर्टिफिकेट की आवश्यकता तभी होती है जब भारत में ड्रोन का संचालन किया जाना है। पूरी तरह से निर्यात के लिए आयातित या निर्माण किए जा रहे ड्रोन को टाइप सर्टिफिकेट और यूनिक आइडेंटिफिकेशन नंबर की जरूरत नहीं होगी।
15) नियमों के उल्लंघन के लिए अधिकतम जुर्माने को भी घटाकर 1 लाख तक रुपये किया गया है। सरकार की ओर से ड्रोन प्रोमोशन काउंसिल भी स्थापित किया जाएगा।